पारिवारिक विवाद में उत्पीड़न पर रोक, जवाब-तलब

कोर्ट ने प्रकरण 16 जुलाई 19 को मिडिएशन सेंटर में रखे जाने को कहा है। पत्नी की तरफ से अधिवक्ता का कहना था कि कानपुर के चकेरी थाने में दहेज उत्पीड़न धोखाधड़ी व अन्य आरापों में प्राथमिकी दर्ज है किन्तु दोनों पक्ष सुलह करने पर सहमत है।

Update: 2019-05-21 14:56 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारिवारिक वैवाहिक विवाद व मारपीट धोखाधड़ी के मामले में पति व उसके परिवार के सदस्यों के उत्पीड़न पर रोक लगा दी है और विपक्षी से याचिका पर जवाब मांगा है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी तथा न्यायमूर्ति उमेश कुमार की खण्डपीठ ने दर्खसन बेगम व सात अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि पति-पत्नी के बीच समझौता हो रहा है सदाशयता दिखाने के लिए पचास हजार जमा करने को तैयार है। इस पर कोर्ट ने याची को तीन हफ्ते में मिडिएशन सेंटर हाईकोर्ट के नाम पचास हजार रूपये का बैंक ड्राफ्ट जमा करने का आदेश देते हुए कहा है कि यह राशि पत्नी को दे दी जायेगी।

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कोर्ट ने प्रकरण 16 जुलाई 19 को मिडिएशन सेंटर में रखे जाने को कहा है। पत्नी की तरफ से अधिवक्ता का कहना था कि कानपुर के चकेरी थाने में दहेज उत्पीड़न धोखाधड़ी व अन्य आरापों में प्राथमिकी दर्ज है किन्तु दोनों पक्ष सुलह करने पर सहमत है। कोर्ट ने याचिका को 29 अगस्त को पेश करने का आदेश देते हुए कहा है कि मिडिएशन सेंटर को नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं है। दोनों पक्ष 16 जुलाई को सेंटर में हाजिर होंगे। कोर्ट ने कहा है कि पचास हजार जमा करने की रसीद दिखाने पर ही इस आदेश की प्रति जारी की जाए।

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