जब एक IAS ने कहा, अगर मैं लीडरशिप नहीं दूंगी तो कौन देगा?

नए डिस्ट्रिक्ट में पोस्टिंग के बाद पब्लिक के दिल में किसी आफिसर को जगह बनाने के लिये महीनों लग जाते हैं। लेकिन पब्लिक का दिल जीतने के लिए आईएएस संगीता सिंह ने समाज सेवा के रास्ते अपना स्था

Update: 2018-02-07 15:48 GMT
जब एक IAS ने कहा, अगर मैं लीडरशिप नहीं दूंगी तो कौन देगा?

सुल्तानपुर: नए डिस्ट्रिक्ट में पोस्टिंग के बाद पब्लिक के दिल में किसी आफिसर को जगह बनाने के लिये महीनों लग जाते हैं। लेकिन पब्लिक का दिल जीतने के लिए आईएएस संगीता सिंह ने समाज सेवा के रास्ते अपना स्थान बना लिया। आकांक्षा समिति के बैनर तले आर्गनाइज़ हुए ब्लड डोनेट प्रोग्राम का इनॉगरेशन करते हुए खुद जैसे ब्लड डोनेट किया तो उनके इस कदम को हर किसी ने सराहा। इस दौरान डीएम ने कहा कि अगर मैं लीडर शिप नहीं दूंगी तो कौन देगा?यहां 5 दिन पूर्व ही ज़िले के डीएम का चार्ज लेने वालीं संगीता सिंह 2009 में प्रमोट होकर आईएएस की कुर्सी पर पहुंची है।

आकांक्षा समिति के बैनर तले लगा था कैम्प

आपको बता दें कि बुधवार डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल कैम्पस में सुबह से ही काफी चहल-पहल तो साफ-सफाई की व्यापक व्यवस्था देखने को मिली। दरअसल यहां आकांक्षा समिति के बैनर तले स्वैच्छिक ब्लडडोनेशन कैम्प लगाया गया था जिसका इनॉगरेशन करने जिले की डीएम संगीता सिंह स्वयं पहुंची थीं।

जब एक IAS ने कहा, अगर मैं लीडरशिप नहीं दूंगी तो कौन देगा?

फटी की फटी रह गई हर आंख

इस बीच वहां जमा भीड़ ने जिसकी कल्पना भी नहीं की थी वो बात सामनें आ गई और जिसे देख हर आंख फटी की फटी रह गई।ब्लड डोनेशन कैम्प का इनॉगरेशन करते हुए डीएम संगीता सिंह ब्लड बैंक के उस रूम में पहुंची जहां ब्लडडोनेटर की चेयर्स लगी हुई थी। वो सीधे एक चेयर पर लेट गईं और उन्होंंने स्वयं अपना ब्लडडोनेट करने की इच्छा ज़ाहिर की।

इस पर सीएमओ डा. सी.बी.एन त्रिपाठी के नेतृत्व में डाक्टरों ने उनका चिकित्सीय परीक्षण कर एक यूनिट ब्लड लिया।

चीफ सेक्रेटरी से मिली प्रेरणा

ब्लड डोनेट कर बाहर निकली डीएम ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज आकांक्षा समिति के तत्वावधान में ब्लड डोनेट कैम्प का आयोजन हुआ है, अगर मैं लीडर शिप नहीं दूंगी तो कौन देगा? ये मेरा मोटिवेशन था, मुझे ब्लड डोनेट कर खुशी हुई और मैं चाहती हूं आगे से और लोग भी आगे आयें। क्योकि ये बहुत पुण्य का काम है, ब्लड के अभाव में पता नहीं कितनी मौतें हो जाती है। उन्होंंने कहा की ये प्रेरणा हमें चीफ सेक्रेटरी लखनऊ से मिली है।

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