एक्सक्लूसिव : गन्ना के मुद्दे पर विपक्ष बोलने की हैसियत में नहीं- सुरेश राणा
अनुराग शुक्ला
सवाल- चीनी मिलों के बकाये भुगतान के लिए क्या किया जा रहा है?
सुरेश राणा- यह इतिहास में पहली बार है कि जून की 6 तारीख तक चीनी मिलें चल रही हैं। इस समय प्रदेश की 16 मिलें चल रही हैं। देश में कभी ऐसा नहीं हुआ कि चीनी मिलें जून में चली हो। पिछली साल हमने 82 करोड़ क्विंटल गन्ना खऱीदा था, इस साल हमने 110 करोड़ क्विंटल गन्ना खरीदा है। यानी करीब 28 करोड़ क्विंटल ज्यादा । सपा सरकार से तुलना की जाय तो उन्होंने तो सिर्फ 64 करोड़ क्विंटल गन्ना ही खरीदा था। गन्ना किसानों का आप सर्वे करा लें गन्ना बकाया भुगतान से बड़ी मांग यह होती है कि गन्ना मिल में खरीद लिया जाय हमने करीब-करीब सपा सरकार से दोगुना गन्ना खरीदा है। अगर कुशल प्रबंधन न होता तो इतने गन्ने के लिए हमें 30 नई चीनी मिलें खोलनी पड़तीं। ऐसे में मैं यही कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह साफ कर दिया है कि गन्ना किसान का एक रुपये भी बकाया नहीं रहना चाहिए। और मैं आपको बता दूं कि हमने गन्ना किसानों का आज की तारीख में करीब 10 हजार करोड़ रुपये ज्यादा भुगतान किया है।
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सवाल- पर आंकडे बता रहे हैं कि करीब 10 हजार करोड़ रुपये तो अब भी बकाया है?
सुरेश राणा- मैं मानाता हूं कि 10 हजार करोड़ रुपये बकाया है। ऐसा इसलिए है कि हमने पिछले साल से करीब 30 करोड़ क्विंटल ज्यादा गन्ना खरीदा है। अगर आप एक दिन में दो किलो की खरीदने की क्षमता है और आप पांच किलो कोई समान खऱीदते हैं तो पैसों की व्यवस्था में कुछ समय तो लगता है। मैं फिर से आप से कह रहा हूं गन्ना किसानों की मांग तो सबसे पहली यह है कि उनका गन्ना खरीद लिया जाय। मैं भरोसा दिलाता हूं कि एक एक पाई गन्ना किसानों की दी जाएगी।
सवाल- किसानो को पैसा कब तक मिलेगा ?
सुरेश राणा- हम इस पर तेजी से काम कर रहे है। पहली बार ऐसा है कि पिछले दो साल से किसानों को कैलेंडर साल का ही पैसा मिल रहा है। इससे पहले तो सरकारों में किसान पिछले बकाये से संतोष करते थे। हमने दो तिहाई (करीब 65 फीसदी) भुगतान कर दिया है। गन्ना भुगतान की मांग हर सरकार में अक्टूबर में होती थी। इस बार तो विपक्ष इसे जानबूझ कर उठा रहा है। यह मांग भी फैब्रीकेटेड है।
सवाल- विपक्ष तो कह रहा है कि गन्ना जीत गया और जिन्ना हार गया ?
सुरेश राणा- देखिए विपक्ष सिर्फ अपनी जातिगत राजनीति को गन्ना और जिन्ना का नाम दे रहा है। वे कहीं भी किसानों के भले और गन्ना किसानों के हित करने में हमसे बराबर नहीं हैं। वे जानबूझ कर योगी सरकार के सबसे अच्छे काम करने वाले विभागों बिजली औऱ गन्ना को टारगेट कर रहा है। ये लोग क्यो बोलेंगे जो चीनी मिलें या तो बंद करते थे या फिर बेच कर घोटाले कर लेते थे।
सवाल- गन्ना और जिन्ना का सच है क्या ?
सुरेश राणा- देखिए यह सच कुछ नहीं जातिवादी राजनीति को जबरदस्ती विकास का नाम दिया जा रहा है। वे जातिवादी समीकरण पर चल रहे हैं। मैं आपको दो उदाहरण देता हूं। कैराना में नकुड़ विधानसभा में हम 16 हजार वोटों से पीछे रह गये वहां पर गन्ना किसानों का 70 फीसदी भुगतान हुआ है। वहीं कैराना में हम 28 हजार वोटों से जीते यहां पर महज 45 फीसदी भूगतान हुआ है। ऐसे में गन्ना का भुगतान तो किसानों का नहीं विपक्ष का मुद्दा है। दूसरा उदाहरण, कैराना लोकसभा में 31 मई तक के भुगतान को अगर देखें तो भाजपा सरकार में शेरामऊ चीनी मिल पर 217 करोड़ का भुगतान हुआ है जो सपा सरकार में 58 करोड़ था। नरौता चीनी मिल पर 131 करोड़ का भुगतान हुआ है जो सपा सरकार में 94 करोड़ था। सरमावा चीनी मिल पर 82 करोड़ का भुगतान हुआ है जो सपा सरकार में 44 करोड़ था। शामली चीनी मिल पर 162 करोड़ का भुगतान हुआ है जो सपा सरकार में 74 करोड़ था। थानाभवन चीनी मिल पर 220 करोड़ का भुगतान हुआ है जो सपा सरकार में 109 करोड़ था। ऊन चीनी मिल पर 128 करोड़ का भुगतान हुआ है जो सपा सरकार में 25 करोड़ था। यानी पूरे कैराना लोकसभा में कुल भुगतान 31 मई को भाजपा सरकार में 995 करोड़ था और सपा सरकार में इसी दिन 406 करोड़ था। ऐसे में गन्ना और जिन्ना के सच को आप खुद समझ लीजिए। यह सिर्फ जातीय समीकरण को विकास का मुअल्लमा पहना जा रहा है।
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सवाल- विपक्ष का आरोप है कि गन्ना किसान बेहाल हैं?
सुरेश राणा- गन्ना किसानों को लेकर तो विपक्ष बोलने की स्थिति में ही नहीं है। हमने सपा सरकार का 2014-15 का 22 करोड़, 2015-16 का 235 करोड़ और साल 2016-17 का सपा सरकार के हिस्से का 4175 करोड़ रुपये का बकाया किसानों को भुगतान किया है। ये किश्तों में पैसे दिलाने वाले लोग आज गन्ना किसानों के हमायती बन रहे हैं। ऐसे में ये किस मुंह से बात करते हैं। गन्ना किसानों की माली हालात ठीक न होती तो पिछले साल ढाई लाख हेक्टेयर यानी पंजाब हरियाणा और उत्तराखंड के कुल गन्ने की पैदावार के क्षेत्रफल की बढोत्तरी हुई है और इस साल यह बढ़कर साढे तीन लाख हेक्टेयर हो गयी है। हमने चीनी मिलें खुलवाई हैं। वो चीनी मिलें जो बसपा शासन में बेची जा रही थीं। हमने पैदावार प्रति हेक्टेयर 68 टन से बढाकर 74 टन प्रति हेक्टेयर कर दी है। मोदी जी के सपने (किसानों की आय को दोगुना करने) को पूरा करने की दिशा में चल रहे हैं।
सवाल- क्या सरकार चीनी मिलों को सब्सिडी देने या मदद देने पर विचार कर रही है ?
सुरेश राणा- देखिए सरकार का काम सिर्फ भुगतान कराने का है। हम भुगतान करा रहे हैं। न कोई स्वीटनर न कोई सब्सिडी। योगी सरकार ने मुख्यमंत्री के आदेश का शत प्रतिशत पालन करते हुए मालिको को बता दिया है कि जब तक गन्ना किसानो का शत प्रतिशत पैसा दिलाने के लिए सरकार कटिबद्ध है और उन्हें समय से पैसा देना ही होगा।
सवाल- आप कह रहे हैं कि गन्ना की पैदावार और क्षेत्रफल बढाई है ऐसे में किसानों को भुगतान समय पर मिले इसके लिए कोई भरोसा देंगे ?
सुरेश राणा- मैं किसानों को 100 फीसदी भरोसा दिलाता हूं। जब हमने इतनी विकट परिस्थिति में 23 हजार करोड़ का भुगतान करा दिया तो आने वाले समय में हर किसानों को उसी साल उसी सत्र मेंपैसा मिलेगा इसकी व्यवस्था की जा रही है। हम वो नहीं जो किश्तों में और लटकाकर किसानों को पहले गन्ना मिलों में बेचने और फिर भुगतान के लिए लटका कर उनका उत्पीड़न करते थे।
सवाल- विपक्ष को क्या कहना चाहेँगे ?
सुरेश राणा- हमने गन्ना और बिजली में इतना काम किया है कि विपक्ष घबरा गया है गन्ने को निशाना बना रहा है। हमने तीन नई चीनी मिलों को खोला है। दो पर अभी काम चल रहा है दो साल में पांच चीनी मिलें चालू हुईं और तीन मिलों की क्षमता बढाई है। विपक्ष सतर्क हो जाय। सब एक हो गये फिर भी कैराना में 6 फीसदी वोट 2017 से बढ़ा है। जातिवादी राजनीति को विकास का चोला ओढाने पर जनता उन्हें माफ नहीं करेगी। अब भी समय है सतर्क हो जाएं।
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