Swami Prasad New Party: स्वामी प्रसाद मौर्य ने बनाई नई पार्टी, नाम भी खास, क्या होगी पार्टी की ताकत?
Swami Prasad New Party: समाजवादी पार्टी से नाराज स्वामी प्रसाद मौर्य ने नई पार्टी के गठन का एलान कर दिया है। उनकी पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी होगा।
UP Politics : उत्तर प्रदेश का प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी में उपेक्षा की शिकायत के साथ राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने पद से इस्तीफा दे दिया था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोमवार (19 फ़रवरी) को नई पार्टी के गठन की घोषणा की। स्वामी प्रसाद ने नई पार्टी का नाम और झंडा लॉन्च भी कर दिया है। उनकी पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (Rashtriya Shoshit Samaj Party) होगा।
स्वामी प्रसाद के इस फैसले से समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव सहित उन तमाम दलों को धक्का पहुंचेगा जो दलित, शोषित और पिछड़े की बात करते रहे हैं। राज्यसभा चुनाव के प्रत्याशियों को लेकर मची कलह के बीच स्वामी प्रसाद मौर्य का ये बड़ा सियासी कदम है। निश्चय ही ये समाजवादी पार्टी के लिए समस्या बढ़ाने वाली होगी।
स्वामी प्रसाद- अब कार्यकर्ता तय करेंगे कि उन्हें क्या करना है
नई पार्टी बनाने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, '22 फरवरी को दिल्ली में कार्यकर्ताओं का समागम होगा। उसी दिन फैसला सुनाया जाएगा। जब संगठन में ही भेदभाव है, एक राष्ट्रीय महासचिव का हर बयान निजी हो जाता है।' उन्होंने आगे कहा, जब पद में ही भेदभाव है और मैं भेदभाव के खिलाफ ही लड़ाई लड़ता हूं तो ऐसे पद पर रहने का औचित्य क्या है? इसलिए सारे विवरण का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष को 13 तारीख को इस्तीफे का पत्र भेजा था, उन्होंने बात करना मुनासिब नहीं समझा इसलिए मैं कदम आगे बढ़ा रहा हूं। अब कार्यकर्ता तय करेंगे कि उन्हें क्या करना है।'
एक्शन मोड़ में स्वामी, राहुल की यात्रा में होंगे शामिल
स्वामी प्रसाद मौर्य ने न सिर्फ नई पार्टी बनाई बल्कि वो एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। उन्होंने 22 फरवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में रैली को संबोधित करने का भी ऐलान किया। साथ ही, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' में भी शामिल होंगे। इसके लिए स्वामी प्रसाद 20 फरवरी को रायबरेली जाएंगे। सपा से नाराज स्वामी प्रसाद ने आखिरकार अपना अलग रास्ता चुन ही लिया। हालांकि, अभी उनके साथ इस पार्टी में कौन-कौन रहेगा, ये स्पष्ट नहीं हो सका है।
स्वामी के समर्थन में खुलकर आए थे राम गोविंद चौधरी
बीते दिनों जब स्वामी प्रसाद ने सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया था तब पार्टी वरिष्ठ नेता और अखिलेश यादव के बेहद करीबी राम गोविंद चौधरी उन्हें मनाने पहुंचे थे। राम गोविंद ने अखिलेश यादव को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि, वो स्वामी प्रसाद का इस्तीफा स्वीकार ना करें। पूर्व कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता रहे राम गोविंद चौधरी खुलकर स्वामी के पक्ष में खड़े नजर आए थे। राम गोविंद ने स्वामी को अखिलेश की PDA के हक़ में लड़ने वाला नेता भी बताया था। कहा था, उनके जाने से पार्टी को नुकसान होगा।
आखिर क्या होगा स्वामी प्रसाद का सियासी एजेंडा?
अब सवाल उठना लाजमी है कि, स्वामी प्रसाद मौर्य के इस कदम से यूपी की सियासत में क्या बदलाव आएगा? गौर से देखें तो स्वामी प्रसाद इन दिनों दलित और पिछड़ों की सियासत के साथ आगे बढ़ रहे हैं। सामाजिक न्याय के मुद्दे पर वो मुखर होकर बोलते रहे हैं। इसी वजह से उन्होंने सपा के महासचिव पद से इस्तीफा भी दिया। माना जा रहा है कि, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के जरिए वो दलित और पिछड़ों के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य को बहुजन समाज पार्टी (BSP) के संस्थापक कांशीराम और डॉ भीमराव अंबेडकर की सियासी विचारधारा का समर्थक माना जाता है।
कांशीराम की प्रयोगशाला से निकले हैं स्वामी
हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि, स्वामी प्रसाद मौर्य कांशीराम की सियासी प्रयोगशाला से ही निकले हैं। वो सबसे ज्यादा मुखर 'ब्राह्मणवाद' के खिलाफ ही रहे हैं। बसपा में रहते उनकी ये राजनीति खूब फली-फूली। लेकिन, समाजवादी पार्टी में रहते वो ऐसा नहीं कर पा रहे थे।
PDA बस बातों तक, जमीनी हकीकत अलग
दरअसल, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जिस PDA की बात करते रहे हैं, विचारधारा के स्तर पर वह फलीभूत होता नजर नहीं आ रहा। पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) जमीनी हकीकत से दूर नजर आता है। स्वामी प्रसाद को ये अहसास हो गया कि, सपा के साथ रहते हुए वो दलित और पिछड़ों की सियासत नहीं कर पाएंगे। क्योंकि, उनके एजेंडे में तो सामाजिक न्याय का मुद्दा है ही नहीं। इसलिए संभव है कि, स्वामी प्रसाद को ये समय काफी मुफीद लगा, जब वो अपना अगला कदम बढ़ा सकते हैं।
स्वामी प्रसाद का झंडा क्या बयां कर रहा?
स्वामी प्रसाद मौर्य की नवगठित राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के झंडे को गौर से देखें तो यह तीन रंगों से मिलकर बना है। इसमें सबसे ऊपर नीला रंग, बीच में लाल और नीचे हरा को जगह दिया गया है। नीला रंग आसमान का रंग है। यह ऐसा रंग जो भेदभाव रहित दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है। याद करें भीमराव अंबेडकर ने जब अपनी पार्टी इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी (Independent Labor Party) की नींव रखी तब इसका रंग नीला था। लिहाजा दलित समाज ने इस रंग को अपनी अस्मिता का और प्रतीक के रूप में लिया। इसी तरह लाल रंग क्रांति का माना जाता है। हरा रंग समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
हाल ही में दिया था 85 बनाम 15 का नारा
पिछले दिनों जब स्वामी प्रसाद ने अखिलेश यादव को पत्र लिखा था तो उसमें कहा था कि, 'डॉ. भीमराव आंबेडकर और डॉ. राम मनोहर लोहिया समेत सामाजिक न्याय के पक्षधर महापुरुषों ने 85 बनाम 15 का नारा दिया था। मगर, समाजवादी पार्टी इस नारे को लगातार निष्प्रभावी कर रही है। जबसे मैं सपा में शामिल हुआ तब से ही पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश की। इसी क्रम में मैंने आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को जो जाने-अनजाने बीजेपी के मकड़जाल में फंस गए, उन्हें सम्मान और स्वाभिमान के साथ वापस लाने की कोशिश की।'यूपी की राजनीति में अब एक नई पार्टी का गठन हुआ है, जो पिछड़े-दलित की बात कर रही है। ये आने वाला समय बताएगा कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर स्वामी प्रसाद की पार्टी से कौन-कौन से चेहरे जुड़ते हैं। सपा से कुछ नाखुश विधायक टूट कर इनके साथ आते हैं? जो भी एक बात तो तय है कि स्वामी प्रसाद ने प्रदेश की तमाम बड़ी पार्टियों के नाखुश नेताओं को एक मंच जरूर दिया है।