विकास भवन का सिंडीकेट सफाई कर्मियों से कमा रहा लाखों, अधिकारी बेखबर
विकास भवन जौनपुर में संचालित कई सरकारी विभाग के कुछ बाबू मिल कर एक सिन्डीकेट बना कर बड़े पैमाने पर लूट पाट कर रहे हैं। और यहाँ के कई अधिकारी बेखबर हैं
जौनपुर: विकास भवन जौनपुर में संचालित कई सरकारी विभाग के कुछ बाबू मिल कर एक सिन्डीकेट बना कर बड़े पैमाने पर लूट पाट कर रहे हैं। और यहाँ के कई अधिकारी बेखबर हैं तो कुछ ऐसे भी है जो बाबुओं के लूट कांड के सहयोगी बनें हुए हैं। इस खेल में एकाध मीडिया मैन का भी नाम बताया जा रहा है। इस तरह यहाँ का विकास भवन लूट अड्डा की स्थली बन गया है।
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नहीं किया गया कार्य
यहां बता दें कि शासन द्वारा वर्ष 2009 में प्रदेश के अन्दर सभी जिलो में सफाई कर्मियों की बड़े पैमाने पर भर्ती हुईं थी उसके तहत जौनपुर में भी 3250 सफाई कर्मियों की भर्ती हुईं। शासनदेश के अनुसार सभी सफाई कर्मियों एसीपी ( एस्योर्ड कैरियर प्रमोशन) सुनिश्चित वित्तीय स्तरोनयन वर्ष 2019 में हो जाना चाहिए था। लेकिन यहाँ पर यह कार्य नहीं किया गया। इस कार्य को जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय का स्टेबलिसमेन्ट बाबू के पटल से किया जाता है।
यहाँ एक जानकारी और दे दें कि स्टेबलिसमेन्ट (स्थापना) बाबू रूप में विभाग का सबसे भ्रष्टतम क्लर्क सुजीत कुमार को रखा गया है। इस बाबू को यह पटल दिलाने में सीडीओ के स्टोनो शतीस चन्द एवं जिला विकास कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक रोशन श्रीवास्तव की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रही है। इसके बाद इन तीनों ने लूट पाट के लिये एक सिन्डीकेट बना लिया इसमें सभी विकास खण्डो के सफाई कर्मी जिसे सरदार का नाम दिया गया है को शामिल किया गया।
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लूट का खेल शुरू
अब लूट का खेल शुरू हो गया है सफाई कर्मियों को 2019 मे होने वाली एसीपी 2020 में तब शुरू हुई जब सिन्डीकेट ने पूरी लूट की योजना तैयार कर लिया, इस लूट के खेल में प्रति सफाई कर्मी 2000 रूपये घूस की धनराशि ब्लाक के सरदार के माध्यम से वसूली किया जा रहा है इसके बाद सफाई कर्मी की एसीपी की जा रही है। इस लूट के खेल से लगभग 65 लाख रुपये का वारा न्यारा किये जाने की खबर विकास भवन के ही सूत्र ने दी है।
बताया गया है कि इस लूट पाट खेल के खबर की भनक तक सीडीओ को तो नहीं लग सकी है लेकिन जिला पंचायत राज अधिकारी एवं सिन्डीकेट के सभी सदस्य इससे हुईं आय के हिस्सेदार बताये जा रहे हैं। इस खेल में कुछ पत्रकार जी लोग भी अपनी झोली भरने में सफल रहे हैं। अब यहाँ पर सवाल खड़ा होता है कि उच्चाधिकारी क्या इसको संज्ञान में लेकर पूरे मामले की जांच कर भ्रष्टाचार पर विराम लगाने का काम करेंगे या भ्रष्टाचारी लुटेरों को और भी प्रश्रय प्रदान करेंगे ?
रिपोर्ट: कपिल देव मौर्य, जौनपुर
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