लखनऊः यूपी में चल रही मिड-डे मील योजना के लिए इन दिनों कई नए प्रयास किए जा रहे हैं। पर ये प्रयास कागजों पर और जमीन पर कैसे दौड़ते हैं इसका अंतर साफ देखा जा सकता है। सूबे में मिड-डे मील में अब दूध भी दिया जाने लगा है। कितने बच्चों ने दूध पिया, इसे चेक करने के लिए बाकायदा फीडबैक सिस्टम है। इस फीडबैक सिस्टम का जमकर माखौल उड़ रहा है। यह काम करने वाली कंपनी फोन तो कर रही है, पर जिन्हें फोन कर रही है उनका प्राथमिक शिक्षा या विभाग से कोई लेना देना नहीं है।
कैसे उड़ रहा है मजाक?
मिड-डे मील के तहत यूपी सरकार ने अब बच्चों को दूध देने की योजना बनाई है। इस योजना को चेक करने के लिए एक कंपनी को ऑनलाइन सर्वे करने का ठेका दिया गया है। कंपनी को टीचरों को फोन कर पता करना है कि कितने बच्चों ने दूध पिया। उनके स्कूल में कितने बच्चे पढ़ते हैं। कितने आए थे, कितनों ने मिड-डे मील में दूध पिया। इस कपनी को हैश दबाकर बच्चों की सख्या फीड भी करवानी है। सुनने में तो यह योजना काफी अच्छी और फूलप्रूफ लगती है। पर बुधवार की शाम 5 बजकर 11 मिनट पर फीडबैक लिए जाने की पोल खुल गई। इस कंपनी ने अपने फोन नंबर 0522-4027707 से फोन कर ऐसे व्यक्ति से फीडबैक मांगे, जिसका न तो शिक्षा से कोई मतलब है न ही उसका वास्ता माध्यमिक शिक्षा से है। ये व्यक्ति पेशे से पत्रकार हैं।
क्यों होता है ऐसा?
दरअसल ऐसा इसलिए होता है कि जो कंपनी सर्वे या फीडबैक का काम कर रही है उसे डाटा खरीदना होता है। यह डाटा आम लोगों का फोन नंबर होता है जबकि अगर विशेष डाटा खरीदना हो तो उसे ज्यादा पैसे खर्च करने होते हैं। ऐसे में आम डाटा, जिसमें डाक्टर, टीचर आदि का वर्गीकरण न हो उसे ही खरीदकर काम चला लिया जाता है। ऐसा करने से पैसे तो बचते हैं, पर सर्वे किस तरह हो रहा है इसकी कलई खुल गई है। और इस बात की भी कि यूपी की योजनाएं किस तरह दौड़ रही हैं।