बुधवार को देश के बिजली दफ्तरों में नहीं होगा कोई काम, ये है बड़ी वजह

अगर आपको बिजली के दफ्तर में कोई काम है तो इसके लिए आप बुधवार को बिजली दफ्तर न जाए। जी हां, बुधवार, आठ जनवरी को पूरे देश के बिजली कर्मचारी व इंजीनियर कार्य बहिष्कार करेंगे। लिहाजा बिजली दफ्तरों में आपके काम को करने वाले लोग तो रहेंगे लेकिन वह इसे नहीं करेंगे।

Update: 2020-01-07 16:48 GMT

लखनऊ: अगर आपको बिजली के दफ्तर में कोई काम है तो इसके लिए आप बुधवार को बिजली दफ्तर न जाए। जी हां, बुधवार, आठ जनवरी को पूरे देश के बिजली कर्मचारी व इंजीनियर कार्य बहिष्कार करेंगे। लिहाजा बिजली दफ्तरों में आपके काम को करने वाले लोग तो रहेंगे लेकिन वह इसे नहीं करेंगे। यहां तक कि अगर आपके क्षेत्र में किसी फाल्ट के कारण बिजली चली गई तो उसको भी कार्य बहिष्कार के बाद ही दुरूस्त किया जायेगा।

बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों व अभियन्ताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ एलेक्ट्रीसिटी एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर देश के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों व अभियन्ताओं के साथ उप्र. के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियन्ता आठ जनवरी को कार्य बहिष्कार करेंगे।

केंद्र्र सरकार द्वारा प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में निजीकरण के लिए किये जा रहे संशोधन को वापस लेने, बिजली निगमों का एकीकरण करने, पुरानी पेंशन बहाली और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की मांग को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के ध्यानाकर्षण के लिए हो रहे इस कार्य बहिष्कार के तहत यूपी की राजधानी लखनऊ के मुख्यालय शक्ति भवन पर सभी कर्मचारी व अभियन्ता कार्य बहिष्कार करेंगे।

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इस संबंध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि कार्य बहिष्कार आंदोलन से बड़े उत्पादन गृहों, 400 व 765 केवी पारेषण व् सिस्टम ऑपरेशन की शिफ्ट के कर्मचारियों को अलग रखा गया है जिससे बिजली का ग्रिड पूरी तरह फेल न हो आम जनता को तकलीफ न हो।

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उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में प्रस्तावित संशोधन के जनविरोधी प्रतिगामी प्राविधानों का बिजली कर्मचारी प्रारम्भ से ही विरोध करते रहे है और इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार को लिखित तौर पर कई बार दिया जा चुका है।

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उन्होंने कहा कि बिल पारित हो गया तो सब्सिडी और क्रास सब्सिडी तीन साल में समाप्त हो जाएगी जिसका सीधा अर्थ है कि किसानों और आम उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो जाएगी जबकि उद्योगों व् व्यावसायिक संस्थानों की बिजली दरों में कमी की जाएगी। उन्होंने कहा कि संशोधन के अनुसार हर उपभोक्ता को बिजली लागत का पूरा मूल्य देना होगा जिसके अनुसार बिजली की दरें 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट हो जाएंगी।

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