Year Ender 2022: अफसरों के लिए रहा नौकरी छोड़ने का साल, जानें किस-किस ने और क्यों छोड़ी नौकरी?

Year Ender 2022: यूपी कैडर के कई IAS अफसरों ने साल 2022 में नौकरी छोड़ दी। हालांकि, उन्होंने इसकी वजह व्यक्तिगत बताई। माना जा रहा है अभी कई और कतार में हैं।

Written By :  aman
Update:2022-12-17 08:39 IST

यूपी कैडर के इन IAS अधिकारियों ने इस साल छोड़ी नौकरी (Social Media) 

Year Ender 2022: उत्तर प्रदेश की नौकरशाही के नजरिये से साल 2022 कई मायनों में सुर्ख़ियों में रहा। इस वर्ष एक के बाद एक कई आईएएस अफसरों ने नौकरी छोड़ सनसनी मचा दी। यूपी कैडर के इन IAS अफसरों में से किसी ने नौकरी को बाय-बाय कहा, तो किसी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस (VRS) ले ली। देश के सबसे बड़े प्रदेश में धड़ाधड़ आईएएस अधिकारियों के नौकरी छोड़ने की 'घटना' ने सभी को चौंका दिया। यूपी के 5 नौकरशाहों के इस्तीफे ने ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि, क्या सरकारी अधिकारियों का नौकरी से मोहभंग हो रहा है? या इनके ऊपर जरूरत से ज्यादा राजनीतिक दबाव है।

आईएएस अधिकारियों के वीआरएस लेने का इतिहास रहा है। इसके पीछे कई वजहें रही हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 'पॉलिटिकल प्रेशर' की बात रही है। इसके अलावा, एक वजह रिटायरमेंट के बाद बेहतर भविष्य के लिए पैसा जुटाना भी रहा है। कई राजनीति में आने के लिए भी अपनी नौकरी कुर्बान करते रहे हैं। तो कभी साइड पोस्टिंग से परेशान अधिकारी भी नौकरी छोड़ देते हैं। वजह तो कई हैं। यूपी कैडर के जिन 5 आईएएस अफसरों ने साल 2022 में नौकरी छोड़कर तहलका मचा दिया, इस लेख में बातें उन्हीं की। जानें उन्होंने किन वजहों से नौकरी छोड़ी। 

इन IAS अधिकारियों का नौकरी से हुआ मोहभंग

उत्तर प्रदेश में आखिरी इस्तीफा देने वाले आईएएस अधिकारी थे 2005 बैच के श्रीनिवासुलु। जी. श्रीनिवासुलु यूपी सरकार के राजस्व विभाग में विशेष सचिव के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने अपना इस्तीफा नियुक्ति विभाग को भेज दिया था। श्रीनिवासुलु के इस्तीफे (IAS Officer G.Srinivasulu Resigns) के साथ ही यूपी कैडर के नौकरी छोड़ने या वीआरएस लेने वाले अधिकारियों की संख्या 5 हो गई। लेकिन इस खबर ने महकमे में भूचाल ला दिया। जी.श्रीनिवासुलु के इस्तीफे से पहले आईएएस अधिकारी जूथिका पाटणकर (IAS Juthika Patanakar), रेणुका कुमार (IAS Renuka Kumar), विकास गोठलवाल (IAS Vikas Gothalwal) और विद्या भूषण (IAS Vidya Bhushan) ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस की मांग की थी। इस साल सरकारी अधिकारियों का नौकरी से मोहभंग होना नौकरशाही में चर्चा का विषय बना रहा।


IAS अफसर रेणुका कुमार ने मांगा VRS

1987 बैच की उत्तर प्रदेश कैडर की IAS अधिकारी रेणुका कुमार VRS के लिए आवेदन कर चुकी हैं। 28 जुलाई को रेणुका कुमार को केंद्र से तत्काल प्रभाव से उनके मूल कैडर उत्तर प्रदेश भेजा गया था। माना जा रहा था कि उन्हें (को ) बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, लेकिन यूपी लौटने से पहले ही रेणुका कुमार ने VRS के लिए आवेदन कर दिया। अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार 2021 से पहले यूपी सरकार में कई अहम पदों पर तैनात रहीं। जून 2021 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गईं, लेकिन वापस कैडर में लौटने से पहले VRS का आवेदन कर दिया।   


IAS श्रीनिवासुलु ने दिया इस्तीफा

आईएएस अधिकारी श्रीनिवासुलु उत्तर प्रदेश सरकार में विशेष सचिव के पद पर तैनात थे। इस्तीफे से पहले उनकी तैनाती वित्त विभाग से राजस्व विभाग में की गई थी। बता दें, जी. श्रीनिवासुलु की पहली पोस्टिंग बतौर एडीएम जौनपुर में हुई थी। साल 2009 से 2012 तक वो हमीरपुर के डीएम रहे थे। इसके बाद, लगातार उनकी पोस्टिंग राजधानी लखनऊ में ही रही। लेकिन, इस बीच साल 2013 में श्रीनिवासुलु सस्पेंड भी हुए। जी.श्रीनिवासुलु वर्ष 2016 से 2020 तक इंटर कैडर डेपुटेशन (Inter Cadre Deputation) पर आंध्र-प्रदेश में भी रहे। आखिरी में उन्हें राजस्व विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात किया गया था। जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। जी. श्रीनिवासुलु का कार्यकाल जुलाई 2030 तक बचा था। 


IAS जूथिका पाटणकर का वीआरएस

इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ा वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जूथिका पाटणकर (IAS Juthika Patanakar) का। उन्होंने इसी साल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन दिया था। जूथिका पाटणकर जून 2018 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Central Deputation) पर दिल्ली में तैनात थीं। आईएएस जूथिका पाटणकर ने भी व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर VRS की मांग की। आईएएस जूथिका पाटणकर 1988 बैच की अधिकारी रही हैं। ये ऐसी आईएएस अधिकारी रही हैं, जो अपनी 34 वर्षों की नौकरी में सिर्फ दो महीने ही जिलाधिकारी के पद पर तैनात रहीं। नियुक्ति विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पाटणकर अपने पूरे सेवाकाल में सिर्फ दो महीने रामपुर की डीएम रही थीं। उत्तर प्रदेश में उनकी अंतिम तैनाती प्रमुख सचिव, राज्यपाल के रूप में रही। जूथिका पाटणकर के नाम कुछ उपलब्धियां भी हैं। आज़ादी के बाद से यूपी में अब तक 26 राज्यपालों के कार्यकाल में जूथिका पाटणकर प्रमुख सचिव के रूप में काम करने वाली प्रथम महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने 3 राज्यपालों के साथ काम किया। वो मई 2014 से जून 2018 तक इस पद पर तैनात रहीं।


IAS अधिकारी विकास गोठलवाल का भी VRS

साल 2022 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) मांगने वालों में आईएएस अफसर विकास गोठलवाल का नाम भी है। विकास गोठलवाल 2003 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। विकास गोठलवाल ने भी VRS के लिए आवेदन किया था। विकास गोठलवाल की सेवा फरवरी 2038 तक रहने के बावजूद उन्होंने VRS के लिए आवेदन दिया था। विकास गोठलवाल 13 सितंबर 2021 को शैक्षिक अवकाश (Academic Leave) पर विदेश गए थे। यह समय सीमा ख़त्म होने के बाद उन्होंने VRS के लिए आवेदन कर दिया था। इस बारे में उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र से अनुमति मांगी थी। केंद्र ने उनका वीआरएस मंजूर कर लिया। 


आईएएस विद्या भूषण का भी वीआरएस 

यूपी कैडर के वीआरएस लेने वाले आईएएस अधिकारियों में एक नाम विद्या भूषण का रहा। विद्या भूषण साल 2008 बैच के आईएएस अधिकारी थे। उन्होंने इस साल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) की मांग की थी। उन्होंने इसकी वजह व्यक्तिगत बताया था। हालांकि, बाद में पता चला कि विद्या भूषण ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था। आईएएस अधिकारी विद्या भूषण ने जब VRS की मांग की थी तब वो पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी के पद पर थे। बता दें, IAS विद्या भूषण, यूपी कैडर की आईपीएस अधिकारी अलंकृता सिंह के पति हैं। अलंकृता सिंह को पूर्व सूचना दिए बगैर विदेश जाने मामले में योगी सरकार ने सस्पेंड कर दिया था। 

IAS अधिकारी विद्या भूषण कई जिलों में जिलाधिकारी रह चुके थे। वो प्रतापगढ़, इटावा और अमेठी में डीएम रह चुके थे। उन्हें 27 अप्रैल 2021 को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, वाराणसी का एमडी बनाया गया था। इसके अलावा, विद्या भूषण गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में OSD का पद भी संभाल चुके थे। 2015 से 2017 के बीच विद्या भूषण गौतमबुद्धनगर में एडिशनल कमिश्नर, वाणिज्यकर के पद पर भी तैनात रहे।


यूपी कैडर के IAS क्यों छोड़ रहे नौकरी?

अब सवाल उठता है कि, यूपी कैडर के कई आईएएस अधिकारी साल भर के भीतर क्यों नौकरी छोड़ गए। इसका जवाब आसान नहीं है। वैसे तो हर अधिकारी की वजह अलग-अलग होती है। इन्हीं पांच अधिकारियों के वीआरएस या इस्तीफा देने की वजह देखें तो अधिकतर ने इसे व्यक्तिगत बताया है। लेकिन, जानकार इसकी मुख्यतः दो बड़ी वजहें मानते हैं। पहला, सेवानिवृति से पहले बेहतर भविष्य और पैसा। दूसरा, राजनीति और दबाव। 

रिटायरमेंट से पहले बेहतर फ्यूचर और पैसा

साल 2005 बैच के अधिकारियों के लिए VRS से बेहतर विकल्प इस्तीफा है। क्योंकि, उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन नहीं मिलेगा। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों का मानना है कि 2004 के बाद अखिल भारतीय सेवा में भी पेंशन की सुविधा नहीं है। लिहाजा अपने भविष्य को लेकर अधिकारी पहले की तरह निश्चिंत नहीं हैं। इसीलिए कुछ दिन सिविल सेवा में काम करने के बाद मोटे और बड़े पैकेज पर बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी (MNC) का रुख कर लेते हैं। जहां उन्हें पैसा अधिक और मेहनत कम करना होता है।

राजनीति और दबाव

सरकार बदलने के बाद आईएएस अधिकारियों पर काम का दबाव भी बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है, जो अधिकारी सरकार के 'गुड-बुक' में होते हैं, उन्हें 'प्राइम पोस्टिंग' मिलती है। उनके पास अपने भविष्य संवारने का विकल्प भी होता है। वहीं, साइड पोस्टिंग वाले अधिकारी ज्यादा परेशान रहते हैं। ऐसे अधिकारियों को लंबे वक्त तक महत्वहीन विभागों और पदों पर काम करना होता है। ऐसे में उनके काम को पहचान नहीं मिलती। साथ ही, दबाव भी रहते हैं। यही वजह आगे चलकर वीआरएस या इस्तीफे का कारण बनती है। 

यूपी कैडर में 550 आईएएस ऑफिसर 

यूपी कैडर में करीब 550 आईएएस अधिकारी हैं। इनमें से कुछ लोग ही सत्ता के करीब होने के कारण महत्वपूर्ण पदों पर हैं। माना जाता है कि आईएएस ऑफिसर के लिए जिलाधिकारी (DM) का कार्यकाल महत्वपूर्ण होता है। इसके बाद वो सरकार में सचिव और प्रमुख सचिव के पदों पर भेजे जाते हैं। मगर, इनमें भी अच्छे विभाग पाने के लिए सत्ता का खास होना जरूरी माना जाता है। इन्हीं महत्वपूर्ण विभागों में नियुक्ति नहीं मिलने के कारण भी आईएएस अधिकारियों का इस सेवा से मोहभंग होता जा रहा है।

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