उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया जैसी जानकारियां आज भी अबूझ पहेली की तरह है, लेकिन बारिश की सूचना पहले लग जाने से किसानों को जरूर सहायता मिलती है।
मंदिर की मूर्तियां काले चिकने पत्थर की
इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा के साथ है इनकी मूर्तियां काले चिकने पत्थर की हैं। वहीं सूर्य और पदमनाभम भगवान की भी मूर्तियां हैं। मंदिर की दीवारें 14 फीट मोटी हैं। अभी के समय में मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। मंदिर से वैसी ही रथ यात्रा निकलती है जैसी पुरी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से निकलती है।
मौसमी बारिश के समय मानसून आने के एक सप्ताह पहले ही मंदिर के छत में लगे मानसूनी पत्थर से उसी घनत्वाकार की बूंदें टपकने लगती हैं, जैसे ही बारिश शुरू होती है वैसे ही पत्थर सूख जाता है।
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मंदिर निर्माण के समय में मतभेद
मंदिर के पुजारी दिनेश शुक्ल का कहना है कि कई बार पुरातत्व विभाग और आईआईटी के वैज्ञानिक आए और जांच की। न तो मंदिर के वास्तविक निर्माण का समय जान पाए और न ही बारिश से पहले पानी टपकने की पहेली सुलझा पाए हैं।हालांकि मंदिर का आकार बौद्ध मठ जैसा है। जिसके कारण कुछ लोगों की मान्यता है कि इसको सम्राट अशोक ने बनवाया होगा, परंतु मंदिर के बाहर बने मोर और चक्र की आकृति से कुछ लोग इसको सम्राट हर्षवर्धन से जोड़ कर देखते हैं।