इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने भारत सरकार की वायु, रेल और बस सेवाओं के टिकट फार्म पर ट्रांसजेण्डर यानी किन्नरों के लिए कालम न होने के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने केंद्र सरकार व उसके सिविल एविएशन विभाग, रेल और रेाडवेज विभागों से इस मामले में छह सप्ताह में हलफनामा मांगा है।
किन्नरों की अनदेखी
-कोर्ट ने कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा जनहित से जुड़ा और विचारणीय मुद्दा है।
-याची का कहना है कि ई-टिकट बुक करते समय या सीधे काउंटर से टिकट लेते समय फार्म में स्त्री-पुरूष के अलावा अन्य कालम नहीं होता।
-इस असुविधा के चलते किन्नरों को दोनों ही कालम में से एक चुनने को विवश हेाना पड़ता है।
-ट्रांसजेंडर के लिए फार्म में अलग से कालम न रखना अनुच्छेद 14, 15, 19 औक 21 के मूल अधिकारों का हनन होता है।
सरकार से जवाब मांगा
-याचिका में भारत सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग, रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवेज विभाग और रेल मंत्रालय को पक्षकार बनाया है।
-याचिका में कहा गया है कि किन्नरों को भी भारतीय संविधान की मूल भावनाओं के साथ सम्मानपूर्वक जीवन जीने का संवैधानिक अधिकार है।
-कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वीके शुक्ला और न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खण्डपीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए जनहित याचिका स्वीकार कर ली।