Unnao News: मौलाना को सिक्कों से तौला गया, तरावीह का दौर मुकम्मल होने पर दिया नजराना

Unnao News: मौलाना मोहम्मद इरशाद रजा ने इस मौके पर सभी का शुक्रिया अदा किया और कहा कि ऐसी परंपराओं को सभी मस्जिदों में अपनाना चाहिए ताकि इमामों को सम्मान मिल सके और उनके काम को सराहा जा सके।;

Update:2025-03-26 09:43 IST

मस्जिद के बाहर मौलाना को सिक्कों से तौला गया  (photo: social media )

Unnao News: आपने मजारों पर मन्नत पूरी होने के बाद तराजू पर बैठाकर सिक्कों व मेवे (Dry Fruits) से तौलने का रिवाज़ तो अक्सर देखा होगा, पर उन्नाव से एक तस्वीर सामने आई हैं यंहा एक मौलाना को तराजू पर बैठाकर सिक्कों से तौला गया हैं। उन्नाव के दादा मियां चौराहे पर स्थित एक मिनारी मस्जिद में मौलाना को सिक्कों के वजन से ज़ब तौला गया तो वंहा पर देखने वालों की भीड़ भी इखट्टा थी। रमजान के महीने में जब मस्जिदों में तरावीह का दौर खत्म होता है, तो वहां की कमेटी और मोहल्ले वाले इसे एक खास तरीके से मनाते हैं। इस बार मौलाना मोहम्मद इरशाद रजा को तराजू पर बैठाकर उनके वजन से सिक्कों से तौलने का रिवाज अपनाया गया हैं। मौलाना मोहम्मद इरशाद रजा ने इस मौके पर सभी का शुक्रिया अदा किया और कहा कि ऐसी परंपराओं को सभी मस्जिदों में अपनाना चाहिए ताकि इमामों को सम्मान मिल सके और उनके काम को सराहा जा सके।

मौलाना की सिक्कों के वजन से तराजू पर तौला गया

मौलाना मोहम्मद इरशाद रजा ने 25 दिन की तरावीह का दौर मुकम्मल किया था, और इस खास मौके पर मोहल्लेवालों और मस्जिद कमेटी ने अपनी खुशी के तौर पर मौलाना को सिक्कों से तौला। ₹10 के सिक्कों का उपयोग करते हुए कुल ₹90,000 के सिक्कों के वजन से उन्हें तौला गया। मौलाना का वजन 65 किलो था, और इस तौले जाने की प्रक्रिया में कई लोग मौजूद थे, जिनमें शहर काजी मौलाना निसार अहमद मिस्बाही, नायब शहर काजी मौलाना नईम अहमद मिस्बाही और सदर मस्जिद के इमाम कारी हसीब खासाहब,मुतवल्ली रियाज अहमद खासाहब,वसीम खासाहब, नियाज़ अहमद ( सपा अल्पसंख्यक जिलाध्यक्ष), शीबू बरकाती, हाजी सिराज जुबैर खासाहब शामिल थे।


तरावीह का दौर पूरा होने पर इस तरह दिया गया नजराना

यह परंपरा एक तरह से मौलाना और उलेमा की मेहनत को सम्मानित करने का तरीका है। तरावीह का दौर मुकम्मल होने के बाद मस्जिद में जलसे का आयोजन किया गया, जिसमें नात शरीफ पढ़ी गई और तकरीर हुई। इसके बाद, मौलाना को सम्मानित किया गया और उन्हें चार जोड़ी कपड़े,उनकी अहलिया को नकाब और अन्य उपहार दिए गए। साथ ही, 35 उलेमा को डिनर सेट गिफ्ट के तौर पर दिए गए और बंद लिफाफे में नजराना दिया गया।


मौलाना नईम बोले- नजराने से इमामो का हौसला बढ़ता है

नायब शहर काजी मौलाना नईम अहमद मिस्बाही ने इस मौके पर कहा कि मस्जिदों के इमाम और उलेमा अपनी मामूली तनख्वाह पर पूरे साल काम करते हैं। वे 12 महीने 24 घंटे बगैर किसी छुट्टी के मेहनत करते हैं, मस्जिदों को आबाद रखते हैं और बच्चों को धार्मिक शिक्षा देते हैं। ऐसे में इनकी मेहनत की कद्र करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस तरह की परंपरा और तावन से इमामों का हौसला बढ़ता है और उनकी मेहनत की सही पहचान होती है।

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