Unnao News: दशहरा के बाद जलाया जायेगा रावण, 152 साल से चली आ रही उन्नाव की अनूठी परम्परा
Unnao News: उन्नाव में रावण दहन की एक अनोखी परंपरा है, जो 152 साल पुरानी है। यहां दशहरे के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा को रावण दहन किया जाता है, जो व्यापार और प्रबंधन के लिहाज से शुरू हुआ और अब यह एक महत्वपूर्ण आयोजन बन गया है।
Unnao News: आज हम आपको रावण दहन की एक अनोखी परंपरा की तस्वीर दिखाएंगे और ये तस्वीरें उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की हैं। उन्नाव में रावण दहन की एक अनोखी परंपरा है। यहां दशहरे के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा को रावण दहन किया जाता है। यहां समिति के सदस्यों ने बताया कि यह परंपरा 152 साल पुरानी है। व्यापार और प्रबंधन के लिहाज से रावण दहन दशहरे के बाद शुरू हुआ और अब यहां की परंपरा बन गई है।
उन्नाव में रावण दहन की एक अनोखी परंपरा है, जो 152 साल पुरानी है. यहां दशहरे के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा को रावण दहन किया जाता है, जो व्यापार और प्रबंधन के लिहाज से शुरू हुआ और अब यह एक महत्वपूर्ण आयोजन बन गया है। इस परंपरा के पीछे की कहानी यह है कि उन्नाव के व्यापारी और किसान दशहरे के बाद अपने व्यापार और कृषि कार्यों में व्यस्त हो जाते थे, इसलिए उन्होंने दशहरे के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा को रावण दहन करने का फैसला किया। आज भी यह परंपरा उसी उत्साह और धूमधाम से मनाई जाती है, जिसमें स्थानीय लोग रावण का पुतला जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं।
कानपुर में रावण दहन के 5 दिन बाद उन्नाव में रावण दहन होता है। उन्नाव के गांधीनगर चौराहा स्थित रामलीला मैदान में मंचन के बाद यहां रावण दहन होता है। रावण दहन में शामिल होने के लिए पूरे जिले से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। इस दौरान सुरक्षा के लिहाज से रामलीला मैदान में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहता है। मैदान में बड़े-बड़े झूले, खाने-पीने की दुकानें, खिलौनों की दुकानें, आर्टिफिशियल ज्वैलरी की दुकानें आकर्षण का केंद्र बनती हैं। रावण दहन के बाद शहर में एक महीने तक मेला लगता है। इसमें घरेलू सामान, सौंदर्य प्रसाधन, बर्तन और तमाम तरह की चीजों की दुकानें लगती हैं।