अटल स्मृति: इस घाट पर 'वाजपेयी' खुद बनाते थे ठंडाई, RARE है उनकी ये यादें

Update:2018-08-16 17:38 IST

कानपुर: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आज निधन हो गया। वे 93 साल के थे। दुनिया भर में उनकी पहचान एक जाने-माने कवि, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक के तौर पर होती है। यूपी के कानपुर के गंगा किनारे बने बाबा घाट को शायद ही कोई जानता होगा, लेकिन एक समय था जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने दोस्तों के साथ इस घाट पर घंटो समय गुजारा करते थे। वो यहां दोस्तों के साथ मस्ती करते, गीत गाते और घंटो ठंडाई पीसते थे। newstrack.com आज आपको अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी ऐसी ही स्मृतियों से रूबरू करने जा रहा हैं...

ऐसे बीता था बचपन

यूपी के बटेश्वर में 1924 में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा देवी थी। उनका बचपन काफी अच्छे से बीता था। उन्होंने 1947 में कानपुर के डीएवी कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में एमए किया था। उस समय उनका यूनिवर्सिटी की मैरिट में दूसरा स्थान था।

यह घाट थी युवा अटल बिहारी बाजपेयी की पहली पसंद

कानपुर डीएवी कॉलेज होस्टल के पीछे करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर गंगा किनारे बने बाबा घाट, अटल का सबसे पसंददीदा घाट हुआ करता था। इस घाट के पास रहने वाले लोगों ने बताया, कॉलेज में जब भी छुट्टी हुआ करती थी, तब या संडे को अपने 8-10 दोस्तों के साथ आया करते थे। वो सब सुबह करीब 10 बजे तक आते थे, और जब तक शाम को अंधेरा होने तक ही जाते थे। अटल जी अपने सभी दोस्तों में सबसे चंचल स्वभाव के हुआ करते थे।

जब पहली बार यहां दोस्तों के लिए पीसा था ठंडाई

घाट पर रहने वाले बुधराम के मुताबिक, एक बार कॉलेज में होली की छुट्टी के पहले अपने दोस्तों के साथ जब अटल जी आए तो सबने ठंडाई बनाने का फैसला किया। अपने दोस्त के घर से सिलबट्टा मांगा और 3 किलो दूध पैसा एक आना देकर लिया। उन सबके आते ही हम भी उनके पास पहुंच जाते थे। उन्होंने हमसे चीनी मांगी और कहा कि इसके बदले दो गिलास ठंडाई देंगे। इस बुजुर्ग के अनुसार, उस दिन अटल जी ने पहली बार इस घाट पर ठंडाई पीसी थी। वो पूरा मूड में थे, खूब गीत गा रहे थे।

बदहाल हो चुका है ये घाट

जिस घाट पर कभी अटल जी का घंटो समय बिताता था, आज वो बदहाल के साथ कानपुर के नक्शे में इसका कोई जिक्र नहीं है। हांलाकि वर्तमान में इस घाट पर काफी बदलाव आ चुका है। यहां पर एक मोहल्ला बस चुका है, लेकिन उस समय का शिवलिंग आज भी यहां मौजूद है। बुधराम बताते हैं कि जब अटल पीएम बने तब इनके दोस्तों को उनके साथ मस्ती करने वाला आज कामयाब हो चुका है। इस बात की खुशी हुई।

कॉलेज में आज भी मशहूर है अटल जी की अदा

डीएवी कॉलेज के पॉलिटिकल साइंस की प्रोफेसर दीपशिखा ने बताया, वो तो अटल के समय में नहीं थी, लेकिन यहां के कुछ पुराने प्रोफेसर से सुना है कि वो बेहद पोलाइट नेचर के थे। इनके मुताबिक, वो केवल अच्छे स्टूडेंट ही नहीं थे, बल्कि एक अच्छे इंसान भी थे। अपने जूनियर्स के सामने उन्होंने कभी भी सीनियर होने का रौब नहीं दिखाया। उस समय क्लास में सीट पर बैठने को लेकर धक्का-मुक्की हुआ करती थी। तब वह अपनी कॉपी को फेंक सीट पर कब्जा करते थे। कॉपी को ऐसे फैंकते थे कि वो सीधे आगे की सीट पर जाकर ही गिरती थी। आज हम लोगों को गर्व है कि हम उसी विभाग के प्रोफेसर है, जिसमे कभी अटल पढ़ा करते थे।

 

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