UP Mission 2022: योगी सरकार का बड़ा फैसला, BJP कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे होंगे वापस
भारतीय जनता पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने की पूरी कोशिशों में लगी हुई है। योगी सरकार बीजेपी कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है।
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से पहले नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने की पूरी कोशिशों में लगी हुई है। बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं का दिल जीतने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। जिसके तहत समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के शासन काल में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है। इस फैसले के तहत दोनों सरकारों में दर्ज 5000 से अधिक मुकदमों को वापस लिया जाएगा।
कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापसी की कवायद जुलाई महीने से शुरू होगी। बता दें पूर्व की सरकारों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya) गन्ना मंत्री सुरेश राणा, श्रण कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुनील भराला सहित तमाम अन्य नेताओं के खिलाफ भी मामले दर्ज हुए थे।
बीएल संतोष की बैठक में हुआ फैसला
कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला बीजेपी के संगठन राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष की बैठक में लिया गया था। बीते दिनों बीएल संतोष और यूपी बीजेपी प्रभारी राधा मोहन सिंह ने लखनऊ में दो दिनों तक नेताओं और मंत्रियों के साथ मंथन किया था। इस बैठक में कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमों का मुद्दा भी उठाया गया था। जिसके बाद ये निर्णय लिया गया है।
नेता मनमुटाव करें दूर-बीएल संतोष
भाजपा के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में मंगलवार को प्रदेश सरकार के मंत्रियों और प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की करीब चार घंटे तक चली बैठक के बाद सरकार और संगठन स्तर पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी व नेताओं के आपसी मनमुटाव दूर कराने की मुहिम छेड़ने की तैयारी शुरू हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने साफ कर दिया है कि सम्मान सभी को मिलेगा, लेकिन पुरानी बातें भूलकर पूरी ताकत से एकजुट होकर 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए लगना होगा।
सरकारी वकील की होगी नियुक्ति
बीजेपी सरकार और संगठन ने पार्टी, आरएसएस व विचार परिवार के संगठनों से जुड़े वकीलों की जिला अदालतों में सरकारी वकील के पद पर नियुक्ति की भी कवायद तेज की है। आगामी दिनों में सरकारी वकीलों की भी नियुक्ति की जाएगी।
नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि जब नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लिए गए हों, इससे पहले की सरकारों में भी नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस हो चुके हैं। बीजेपी की बात करें तो उनकी पार्टी के कई विधायक और मंत्रियों पर से योगी सरकार मुकदमा वापस ले चुकी है।
गन्ना मंत्री सुरेश राणा
मुजफ्फरनगर दंगा भड़काने और भड़काऊ भाषण देने के आरोपी उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा के खिलाफ एमपी एमएलए कोर्ट ने मुकदमा वापस लेने की सहमति दे दी थी। सुरेश राणा के अलावा इस मामले में शामिल विधायक संगीत सोम, बिजनौर के पूर्व सांसद भारतेंद्र सिंह, साध्वी प्राची, श्यामपाल समेत 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी साल इन मुकदमों को वापस लेने की मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 321 के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था ताकि अदालत से इन मुकदमों को खत्म किया जा सके। इसी पर आदेश देते हुए अदालत ने दोनों लोगों को खिलाफ मुकदमा खत्म कर दिया था।
BJP विधायक संगीत सोम
योगी सरकार बनने के बाद भाजपा के तमाम नेताओं के ऊपर चल रहे मुकदमे वापस लिए जा चुके हैं। इसी क्रम में मेरठ के सरधना से बीजेपी विधायक संगीत सोम के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लिया गया था। संगीत सोम पर 2003 से 2017 के बीच में सात मामले दर्ज हुए थे। ये मामले मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ और गौतमबुद्धनगर में दर्ज किए गए थे। इनमें मुजफ्फरनगर में हुए दंगे के दौरान सहारनपुर और नोएडा में पंचायत करने और सरधना से कैराना पैदल मार्च निकालने को लेकर धारा 144 के उल्लंघन का भी मामला दर्ज है।
मेरठ सांसद राजेंद्र अग्रवाल
इसी तहर योगी सरकार ने मेरठ से बीजेपी सांसद राजेंद्र अग्रवाल, पूर्व विधायक अमित अग्रवाल पर से भी केस वापस ले लिया है। सांसद राजेंद्र अग्रवाल पर थाना नौचंदी में वर्ष 2012 में 126 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। जबकि पूर्व विधायक अमित अग्रवाल पर थाना सिविल लाइन में अपराध संख्या 716/2013 तथा 226/2007 वन्य अधिनियम के तहत मुकदमे दर्ज थे। इसके अलावा योगी सरकार ने कई अन्य नेताओं पर दर्ज केस वापस ले चुकी है।