UP Election 2022: अली, बाहुबली और बजरंगबली नारों की बिसात पर है राम राज, जानें क्या कहता है यहां का समीकरण

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय लोक दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच लोनी विधानसभा सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Written By :  Krishna
Update:2022-01-24 15:36 IST

BJP-RLD

UP Assembly Election 2022: विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों सियासी तपिश में तप रहे उत्तर प्रदेश में ध्रुवीकरण की राजनीति सबाब पर है। नारों और चुनावी गीतें से गुलजार यूपी में चुनाव प्रचार जोरों पर हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी जहां एक बार फिर ध्रुवीकरण के सहारे अपनी चुनावी तैयार पार करने की कोशिश में जुटी हुई है। वहीं विपक्षी सपा-रालोद गठबंधन किसान आंदोलन समेत अन्य मुद्दों को लेकर भाजपा सरकार (BJP Government) के खिलाफ उपजी नाराजगी को भूनाने की कोशिश में है। गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट इन कवायदों का सबसे बड़ा उदाहरण बन रही है।

बीजेपी

बीजेपी (Bhartiya Janta Party) इस सीट पर अली, बाहुबली और बजरंगबली का नारा देकर चुनाव को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के तरफ ले जाना चाह रही है। 2017 में भाजपा के सिंबल पर जीते विधायक नंदकिशोर गुर्जर (Nandkishor Gurjar) इस बार फिर मैदान में हैं। गुर्जर अपने सभाओं में विपक्षी गठबंधन पर हमला करते हुए कह रहे हैं कि इस बार लड़ाई अली, बाहुबली औऱ बजरंगबली के बीच है। साथ ही रालोद प्रत्याशी मदन भैया (Madan Bhaiya) की आपराधिक पृष्ठभूमि पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि अबकी लड़ाई रामराज्य और गुंडाराज के बीच है। सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भी रालोद प्रत्याशी मदन भैया को बाहुबली बताकर उन पर निशाना साध चुके हैं।

रालोद

वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी आरएलडी (Rashtriya Lok Dal) ने भी बीजेपी के नारों की काट खोज ली है। रालोद के तरफ से भी दो नारे गढ़े गए हैं, जो इस प्रकार हैं 'आएंगे जयंत-जायेंगे महंत' इसके अलावा किसान आंदोलन के कारण उपजी नाराजगी को कैच करने के लिए पार्टी ने 'किसान-मजदूर ने ठाना है भाजपा को हराना है' जैसे नारे बुलंद किए हैं। पार्टी ने लोनी सीट पर मदन भैया को चुनावी मैदान में उतारा है। चार बार विधायकी का चुनाव जीत चुके मदन भैया जाट-मुस्लिम समीकरण के सहारे चुनाव जीतने की योजना बना रहे हैं।

लोनी विधानसभा सीट

2012 में अस्तित्व में आई इस सीट पर पहली बार बसपा के हाजी जाकिर अली चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। हालांकि हालांकि 2017 में बीजेपी के नंद किशोर गुर्जर ने उनसे ये सीट जीत ली। गुर्जर ने करीब 40 हजार के बड़े अंतर से चुनाव में जीत दर्ज की थी। वहीं सीट के सिय़ासी समीकरण की बात करें तो यहां करीब साढ़े चार लाख वोटर हैं। मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर गुर्जर, ब्राह्मण और त्यागी मतदाता भी अच्छा प्रभाव रखते हैं। उद्योग धंधों के चलते इस सीट पर पूर्वांचल के वोटर पर अच्छी संख्या में है। 2022 में इस सीट से जहां बीजेपी ने सिंटिंग विधायक को ही रिपीट किया है तो वहीं रालोद की तरफ से मदन भैया उम्मीदवार हैं। बसपा की तरफ से हाजी आकिल तो कांग्रेस के टिकट पर यामिन मलिक ताल ठोंक रहे हैं।

दरअसल लोनी विधानसभा सीट पर कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा रहा है। बीजेपी के सत्ता में आने के बाद इस क्षेत्र में बढ़िया काम भी हुआ है। स्थानीय जनता इसे मान भी रही है। हालांकि इसके अलावा कई और ऐसे मुद्दे जो बीजेपी की गले की फांस बन सकते हैं। यही वजह है कि बीजेपी वोटों के ध्रुवीकरण को ही सबसे अच्छा दांव मान रही है।

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