UP Assembly Election 2022: कालीन-नगर 'भदोही' का चुनावी माहौल क्या है? जानिये newstrack की स्पेशल रिपोर्ट में
वाराणसी के पड़ोसी जनपद भदोही वैसे तो कालीन उद्योग के लिए बहुत प्रसिद्ध है लेकिन यहां की सियासत भी उतनी ही ज्यादा दिलचस्प है। विधानसभा लव 2022 के लिए सभी विधानसभा सीटों जानिए राजनीतिक दलों का समीकरण।
भदोही: काशी से प्रयाग या फिर प्रयाग से काशी चलेंगे तो बीच में एक जिला पड़ता है। इस जिले के नाम को लेकर थोड़ी उलझन है। कोई सरकारी इसे भदोही कहती है तो कोई सरकार इसे संत रविदास नगर कहा करती थी। लेकिन नाम के विवाद के बीच यह जिला पूरे विश्व में अपनी बेहतरीन कालीन के लिए जाना जाता है। पुरखों से चली आ रही कालीन बनाने की परंपरा आज भी भदोही में देखी जा सकती है। इस जिले का नाम भदोही पड़ने के पीछे एक कहानी है। बताया जाता है कि कभी यहां 'भर' जाति के राजाओं का शासन हुआ करता था। भर के नाम पर ही इसका नाम भरद्रोही पड़ा। जिसे आज भदोही कहा जाता है।
पहले भदोही काशी का हिस्सा हुआ करता थी। फिर सन 1994 में काशी से अलग कर इसे उत्तर प्रदेश का 65 वां जिला घोषित किया गया। भौगोलिक दृष्टि से देखेंगे तो यह उत्तर प्रदेश का बेहद छोटा जिला है। राजनीतिक रूप से यहां एक लोकसभा और 3 विधानसभा सीटें आती हैं। वर्तमान में यहां से भाजपा के रमेश बिंद (Ramesh Bind) सांसद है। रमेश बिंद पहले बसपा के नेता हुआ करते थे। मिर्जापुर की मझंवा विधानसभा सीट (Majhwan assembly seat) से तीन बार बसपा विधायक रहे चुके हैं। बाकी 3 विधानसभा सीटों में से दो पर भाजपा और एक पर विजय मिश्रा का कब्जा है। इन विधानसभा सीटों के नाम है- ज्ञानपुर, औराई और भदोही।
1. ज्ञानपुर विधानसभा सीट (Gyanpur assembly seat)- भदोही जिले का मुख्यालय ज्ञानपुर है। ज्ञानपुर महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली के लिए भी जाना जाता है। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह विधानसभा बाहुबली विजय मिश्रा की वजह से चर्चा में हैं। विजय मिश्रा वर्तमान में जेल में बंद है। सन 2002 से लगातार विजय मिश्रा इस सीट पर चुनाव जीत रहे हैं। सन 2017 में उन्होंने निषाद पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता था। विजय मिश्रा के इस एकतरफा राजनीतिक वर्चस्व का कारण इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या है, जिस पर यह गहरी पकड़ रखते हैं। तकरीबन एक लाख से अधिक ब्राह्मण मतदाताओं वाली इस सीट पर बिंद और दलित समुदाय की आबादी भी पचास हजार के आसपास है। सन 1996 के बाद से भाजपा ने यहां चुनाव नहीं जीता है। इस सीट पर तस्वीर प्रत्याशियों की लिस्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। क्योंकि यहां मुकाबला विजय मिश्रा बनाम अन्य ही रहने वाला है। अगर भाजपा बिंद समाज से प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारती है तो संभव है कि कुछ फीसदी ब्राह्मण, बिंद, क्षत्रिय और अन्य जातियां मिलकर चुनाव आसान कर दे। लेकिन अगर बसपा या सपा बिंद समाज से प्रत्याशी घोषित करते हैं तब मुकाबला बेहद दिलचस्प हो जाएगा। बसपा या सपा से ब्राह्मण प्रत्याशी आने से विजय मिश्रा के एकमुस्त वोट में सेंध लग सकती है। इस सीट पर ब्राह्मण और अल्पसंख्यक मतदाता ही निर्णायक होंगे। यदि स्थानीय ब्राह्मण के साथ यादव और अल्पसंख्यक समाज सपा की ओर जाता है तो मुकाबला विजय मिश्रा, सपा और भाजपा के बीच होगा।
2. भदोही विधानसभा सीट (Bhadohi assembly seat)- विधानसभा चुनाव 2017 में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के प्रत्याशी रविंद्रनाथ त्रिपाठी (Ravindranath Tripathi) ने सपा के जाहिद बेग (Zahid Baig) को कड़े मुकाबले में महज 1100 वोटों से हराया था। महत्वपूर्ण बात यह थी कि निषाद पार्टी (Nishad Party) के प्रत्याशी डॉ आर के पटेल ने यहां से 11434 वोट पाए थे। वर्तमान विधायक रविंद्रनाथ त्रिपाठी पहले बसपा के टिकट पर जौनपुर के बरसठी विधानसभा से चुनाव जीत चुके हैं। 2012 में भदोही विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के जाहिद बेग से चुनाव हार गए थे। एक वक्त में यह इलाका फूलन देवी की वजह से चर्चा में आया था। सन 1996 में फूलन देवी भदोही से सांसद बनी थी। इस बार निषाद पार्टी के साथ गठबंधन को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि भाजपा के लिए समीकरण मुफीद होते जा रहे हैं। बसपा के नेता और पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र ने भाजपा का दामन थाम लिया है। वहीं सपा ने पूर्व विधायक जाहिद बेग को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इसलिए अब यह देखना दिलचस्प होगा कि टिकट रंगनाथ मिश्र को या रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी को मिलता है। बीच में रविंद्रनाथ त्रिपाठी के भाजपा छोड़ने की भी खबरें आई थी। इस सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां ब्राह्मण,मुस्लिम और दलित मतदाताओं की संख्या लगभग समान है। अनुमानित आंकड़ों के अनुसार यहां लगभग 80 हजार ब्राह्मण, 65 हजार मुस्लिम, 25 हजार राजपूत, 30 हजार वैश्य, 40 हजार यादव, 20 हजार मौर्य, 60 हजार दलित वोटरों के अलावा 85 हजार अन्य पिछड़ी जातियां जैसे विश्वकर्मा, पटेल, बिन्दु, कुम्हार, पाल आदि हैं।
3. औराई विधानसभा सीट (Aurai assembly seat)- विधानसभा में औराई एक आरक्षित सीट है। 2007 तक यह एक सामान्य सीट हुआ करती थी और यहां से रंगनाथ मिश्रा चुनाव जीतते थे। इसके बाद या विधानसभा सीट आरक्षित सीट कर दी गई और 2012 में समाजवादी पार्टी से मधुबाला पासी विधायक बनी। वर्तमान में भाजपा से दीनानाथ भास्कर विधायक है। दीनानाथ भास्कर बसपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं। काशीराम के नजदीक रहे दीनानाथ भास्कर सन 1987 में वाराणसी के बसपा जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। बसपा के टिकट पर सन 1993 में दीनानाथ भास्कर चंदौली विधानसभा से विधायक बने थे। कालांतर इन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और 2002 में भदोही से विधायक बने। उस दौरान मुलायम सिंह (Mulayam Singh) ने दलित चेहरे के रूप में इनको अपनी सरकार में मंत्री बनाया था। 2017 से दीनानाथ भास्कर भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं। कई मौकों पर दीनानाथ भास्कर ने सरकार से अपनी नाराजगी भी दिखाई है। जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 80 हजार से अधिक हैं और 70 हजार के करीब दलित मतदाता है। इसलिए हमेशा से ब्राम्हण और दलित मतदाताओं का समीकरण यहां से प्रत्याशियों को जीत दिलाते रहे हैं।