UP Election 2022: दल बदलने में नेताओं से आगे अभिनेता

UP Election 2022: विधानसभा चुनावों में एक दल से दूसरे दल में जाने की नेताओं में होड़ लगी है। जिस दल से नेताओं का टिकट फाइनल हो रहा है। उसी दल से वह चुनाव लड़ने को तैयार हैं।

Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-02-09 13:50 IST

विधानसभा चुनाव 

UP Election 2022: इन दिनों यूपी समेत पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में एक दल से दूसरे दल में जाने की नेताओं में होड़ लगी है। जिस दल से नेताओं का टिकट फाइनल हो रहा है । उसी दल से वह चुनाव लड़ने को तैयार हैं। बड़ी बात यह है कि आखिर राजनेताओं के दल बदलने को लेकर सवाल क्यों उठाए जाते हैं जबकि नेताओं से ज्यादा अभिनेताओं ने  दल बदलने का खूब किया है।  

हांलाकि कोरोना प्रोटोकाल के कारण इस दफे के चुनाव में अब तक अभिनेत्री और अभिनेताओं के रोडशो और जनसभाओं के कार्यक्रम नहीं शुरू हुए है।  पर इससे पहले हुए चुनावों में बालीवुड कलाकारो ने अपना दिल और दल बदलने का खूब काम किया हैं।  

अभिनेता से सांसद बने मनोज तिवारी 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रचार करते रहे। लेकिन बाद में वह भाजपा का प्रचार करने लगे। जिसके बाद पार्टी हाईकमान ने दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष बना दिया। यहीं नहीं बाद में वह लोकसभा के सदस्य भी बने।

इसी तरह भोजपुरी फिल्मों के एक और कलाकार रविकिशन भी पहले कांग्रेस में गए और उनके दल से चुनाव लडा। फिर यहां मन नहीं लगा तो समाजवादी पार्टी से जुड गए लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव आते आते वह भाजपा से जुड़ गए और इस समय गोरखपुर लोकसभा सीट से सांसद भी है।

इसी तरह अभिनेता कामेडियन राजू श्रीवास्तव पूर्व में समाजवादी पार्टी के बडे प्रशंसक थें। लेकिन बाद में उनकी आस्थाएं बदली और भाजपा में आ गए। जिसके बाद प्रदेश की योगी सरकार ने उन्हे फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष बना दिया। जबकि भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता निरहुआ अखिलेश यादव के खिलाफ भाजपा से चुनाव भी लड़ चुके हैं।

2009 के लोकसभा की चुनावी तस्वीर देखे तो यह चुनाव फिल्मी सितारों के हिसाब से बेहद दिलचस्प रहा। फिल्म अभिनेता संजय दत्त लखनऊ की लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ना चाहते थें लेकिन अयोग्य घोषित हो जाने के बाद जब वह चुनाव नहीं लड़ सके तो उन्हे समाजवादी पार्टी ने अपना राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। लेकिन दो साल बाद जब यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए तो वह कांग्रेस का प्रचार करते नजर आए। वहीं दो साल पह ले समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद रही जयाप्रदा ने भी इस चुनाव में अमर सिंह के लोकमंच का प्रचार किया।

मिस इंडिया से फिल्मी दुनिया और फिर राजनीति के क्षेत्र में उतरने वाली नफीसा अली ने साल 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ संसदीय सीट से लड़ा लेकिन जब उन्हे समाजवादी पार्टी नहीं समझ आई तो 2012 के विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस का प्रचार करने उतर पड़ी।

इसी तरह 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में अभिनेता विवेक ओबेराय अपने पिता सुरेश ओबेराय के साथ लखनऊ में अटल सरकार की तारीफ करते हुए जमकर चुनाव प्रचार किया। फिर 8 साल बाद उनकी दलीय निष्ठा बदल गयी और वह चै अजित सिंह के दल रालोद के साथ हो लिए। उन्होंने रालोद प्रत्याषियों के प्रचार के लिए खूब मेहनत की।

इसी चुनाव में अभिनेत्री रवीना टंडन ने भी भाजपा के पक्ष में खूबप्रचार किया था। पर पिछले विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस को जिताने की अपील घूमघूम कर रही थी। उन्ही की तर्ज पर तब अभिनेत्री पूनम ढिल्लो ने भी भाजपा का प्रचार किया था लेकिन फिर 2012 के विधानसभा चुनाव में वह अपनी साथी अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे के साथ ममता बनर्जी की त्रणमूल कांग्रेस के लिए वोट मांग रही थी।

जबकि 2002 के विधानसभा चुनाव में कामेडियन असरानी डीपी यादव के परिवर्तन दल के साथ खडे़ थें और उन्होंने उनके प्रत्याषियों के लिए खूब पसीना बहाया लेकिन फिर 2009 के लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के साथ हो लिए। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याषियों को जिताने के लिए कई जगह मंच साझा किया।

राजनीति में अभिनेता अभिनेत्रियों का प्रचार प्रसार करना कोई नई बात नहीं है । फिल्मी दुनिया के इन लोगों में से कुछ को तो प्रचार करते करते राजनीति इतनी भा गई वह इसी क्षेत्र में आ गए। विनोद खन्ना, हेमामालिनी, राजबब्बर, शत्रुघ्न सिन्हा ने फिल्मों के अलावा राजनीति की उंचाईयों को छूने का का काम किया। जबकि अमिताभ बच्चन, गोबिन्दा, राजेश खन्ना, धर्मेन्द्र राजनीति की उंचाईयों को छूने के बाद उसे बरकरार नहीं रख सके।

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