UP Election 2022: इस बार तो और भी होगा मुस्लिम वोटों में बंटवारा, पढ़ें यूपी चुनाव की ये रिपोर्ट
UP Election 2022: दरअसल, प्रदेश की 143 सीटों पर मुस्लिम मतदाता खासा प्रभाव रखते हैं। इनमें 70 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम आबादी 30 फीसदी से अधिक है।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जनसंख्या करीब 20 फीसदी है। वोट के लिहाज से अच्छी खासी संख्या है इसलिए हर पार्टी के लिए इनका रुख काफी अहम रहता है। कहने को कहा जाता है कि मुस्लिम वोट एकमुश्त किसी पार्टी के खाते में जाते हैं लेकिन ऐसा है नहीं, ये वोट समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party), बहुजन समाज पार्टी (Bahujan samaj party) और कांग्रेस (Congress) के बीच बंटते रहे हैं। इस बार तो असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) भी इन वोटों में शेयरिंग करने के लिए मौजूद हैं। यानी फायदा किसी को होना मुश्किल है।
दरअसल, प्रदेश की 143 सीटों पर मुस्लिम मतदाता खासा प्रभाव रखते हैं। इनमें 70 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम आबादी 30 फीसदी से अधिक है। दो दर्जन से ज्यादा ऐसी सीटे हैं जहां मुस्लिम उम्मीदवार अपने दम पर चुनाव जीत सकते हैं और 100 से ज्यादा सीटों पर उनका सीधा असर है। 2007 में इस समुदाय ने बड़े पैमाने पर बसपा को वोट दिया, 2012 में यह सपा के साथ था लेकिन 2017 में यह सपा, कांग्रेस और बसपा के बीच विभाजित हो गया।
बीस फीसदी की विशाल आबादी के बावजूद 2017 में केवल 23 मुस्लिम विधायक चुने गए। मुस्लिम विधायकों की सबसे अधिक संख्या 2002 में 64 रही थी। यूपी में 1970 और 1980 के दशक में पहली बार विधानसभा में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व में वृद्धि हुई। यह संख्या 1967 में 6.6 फीसदी से 1985 में 12 फीसदी हो गई। 1980 के दशक के अंत में भाजपा के उदय के साथ 1991 ये संख्या घट कर 5.5 फीसदी हो गई।
इस बार का गणित
इस बार के चुनाव में मुस्लिम वोटों पर एक बड़ी सेंध लगती दिख रही है, असदुद्दीन ओवैसी के रूप में। इस बार बसपा थोड़ी सुस्त है लेकिन सपा और कांग्रेस पूरी जोर-शोर से लगे हुए हैं। ओवैसी साफ कर चुके हैं कि उनकी पार्टी 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ये सीटें मुस्लिम बहुल वाली ही होंगी। ओवैसी से सीधा नुकसान सपा और कांग्रेस को होगा। अगर मुस्लिम वोट बैंक में सेंध नहीं लगा और वो एकमुश्त होकर किसी पार्टी के साथ गया तो बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है। लेकिन पिछले ट्रेंड बताते हैं कि एकमुश्त वोट शिफ्टिंग नहीं होती है।
सपा और बसपा
आंकड़ों के अनुसार, सपा और बसपा ही मुस्लिम उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा टिकट देते हैं। भाजपा शायद ही किसी मुस्लिम को नामांकित करती है। कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार आमतौर पर हार ही जाते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में अधिकांश मुस्लिम विधायक दो ही दलों के हैं। इसलिए जब सपा और बसपा अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो मुस्लिम प्रतिनिधित्व बढ़ता है और जब भाजपा अच्छा करती है तो ये संख्या घट जाती है।