UP Election 2022: सपा और रालोद के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा, अभी एक राउन्ड फिर वार्ता होगी

UP Election 2022 News: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Jayant Choudhary alliance Akhilesh Yadav) को लग रहा है कि सत्ता विरोधी लहर का लाभ उनकी पार्टी को मिल सकता है। इसलिए वह अपने सहयोगी दलों को अधिक सीटे देने को तैयार नहीं है।

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Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-11-23 14:41 GMT

लखनऊ: सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी 

Lucknow News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सत्ता पाने की होड़ में हर राजनीतिक दल (political party) अपनी पार्टी को मजबूत करने की तैयारी में है। इसलिए वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए बडे़ दल छोटे दलों से गठबन्धन (Jayant Choudhary alliance Akhilesh Yadav) करने को तैयार हैं। इस बीच गठबन्धन के तहत मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (Samajwadi Praty) और राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) के बीच आज तीसरे दौर की बातचीत हुई। पर सीटों के बंटवारे को लेकर फंसा पेंच अब तक साफ नहीं हो पाया। अब उम्मीद की जा रही है कि दोनो नेताओं के बीच एक बार फिर अंतिम दौर की बातचीत होगी।  

राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि आज समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party President Akhilesh Yadav) और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी (RLD President Jayant Choudhary) के बीच आज लगभग आधे घंटे की बातचीत हुई जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव वाले क्षेत्रों में रालोद ने अपनी चिन्हित सीटों को अखिलेश  के सामने रखा। पर अखिलेश यादव अभी पूरी तरह से तैयार नही हो सके हैं। पता चला है कि जयंत चौधरी 36 सीटों पर राजी तो हो गए हैं पर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) इनमें छह सीटों पर रालोद के चुनाव चिन्ह पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी को लडाना चाह रहे हैं जिसे लेकर दोनो दलों के बीच अभी  पेंच फंसा हुआा है।

अखिलेश यादव को लगता है कि सत्ता विरोधी लहर का लाभ उनकी पार्टी को मिल सकता है

दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश  यादव को लग रहा है कि सत्ता विरोधी लहर का लाभ उनकी पार्टी को मिल सकता है। इसलिए वह अपने सहयोगी दलों को अधिक सीटे देने को तैयार नहीं है। वहीं दूसरी तरफ रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को लग रहा है कि किसान आंदोलन में जिस तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश  के किसान उनके दल के नजदीक आए हैं उससे उनके दल को इस बार बड़ा चुनावी लाभ मिल सकता है। इसलिए वह अधिक से अधिक सीटों को अपनी तरफ करने की कोषिष में हैं।

रालोद का भाजपा के साथ गठबन्धन की संभावना नहीं

राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि जयंत चौधरी जहां कांग्रेस से भी अपनी दोस्ती बढाने से इंकार नहीं कर रहे हैं। वहीं भाजपा के साथ गठबन्धन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए भाजपा हाईकमान की रणनीति रालोद से गठबंधन कर अपनी पार्टी को इस क्षेत्र में कमजोर हुए जनाधार को फिर से मजबूत करने से पीछे नहीं हटेगा।

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