UP Election 2022: योगी आदित्यनाथ के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं पूर्वाचल का चुनाव
UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव में पांचवें चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। आगामी छठे और सातवें चरण में पूर्वांचल के जिलों में मतदान होगा। पूर्वांचल के इन क्षेत्रों में 2017 के तरफ बेहतर परिणाम लाने के लिए बीजेपी और योगी आदित्यनाथ अपना पूरा जोर लगा रहे हैं।
लखनऊ। पिछले विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते भाजपा को यूपी में सहयोगी दलों के साथ 325 का प्रचंड बहुमत मिला था। इस चुनाव में भाजपा (BJP) को पूर्वांचल क्षेत्र में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के हिन्दुत्व ब्रांड का भी दोहरा लाभ मिला था। लेकिन इस दफे योगी आदित्यनाथ प्रदेष के मुख्यमंत्री हैं। और उन्होंने यूपी में पूरे पांच साल सरकार चलाई है। इसलिए सबकी नजर पूर्वांचल पर है कि उनका इस पूरे क्षे में इन पांच सालों में क्या असर रहा है।
2017 में बीजेपी को मिली थी 44 सीटों पर जीत
गोरखपुर समेत पूर्वाचंल के 7 जिलों की 62 सीटों में से 44 सीट भाजपा ने जीती थी। योगी के गोरखपुर से लड़ने का सीधा प्रभाव इन सीटों पर पड़ेगा। 2017 से पहले इस इलाके में भाजपा 10 से ज्यादा सीटों पर जीत नहीं पाई थी। उस समय मोदी लहर की वजह से भाजपा को 44 सीटें मिली थी। अब योगी के मुख्यमंत्री रहने से उम्मीद इस बात की है कि पिछली बार से ज्यादा सीटों पर भाजपा को जीत मिल सकती है।
पूर्वांचल की राजनीति में मुद्दा
पूर्वाचल की राजनीति में पश्चिम की तरह हिंदु-मुस्लिम ध्रुवीकरण बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है। यहां हिन्दुत्व के साथ माओवादियों और कम्युनिस्टों का भी एक बडा मुद्दा रहा है जिसके लिए योगी आदित्यनाथ ने कई काम किए है। योगी ने बिहार के सीमांचल तक पांच बार सांसद रहने के दौरान उन्होंने अपनी जड़े फैलायी। जिसका फायदा इस चुनाव में उनको मिला।
प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तरह पूर्वांचल का विकास नहीं हुआ। लम्बे समय तक इस क्षेत्र में जातियों और अपराधियों के बीच राजनीति चलती रही और इलाके में विकास अंतिम पायदान पर पहुंच गया। इसके विपरीत 2017 में प्रदेश की मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठने के साथ ही योगी ने पूर्वांचल के विकास पर ध्यान केंद्रित किया। जिसमें खाद कारखाने का निर्माण सबसे अहम है।
इसके अलावा गोरखपुर-सिलिगुड़ी लिंक एक्सप्रेस-वे, एम्स का संचालन, कुशीनगर और गोरखपुर एयरपोर्ट, देवरिया और सिद्धार्थ नगर में मेडिकल कालेज के अलावा पिपराइच और बस्ती में नई चीनी मिलों के निर्माण से रोजगार, स्वास्थ्य और बुनियादी सेवाओं के संचालन से विकास को गति मिली है। इन विकास कार्यों का लाभ चुनाव में मिलेगा।
गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) की बढ़ती उम्र के चलते उनका असर भी कम हुआ। उनके पुत्र विनय शंकर तिवारी का प्रभाव भी कम हुआ। इसके पूर्वांचल के दूसरे माफियाओं, मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद समेत दूसरे बाहुबली नेताओं के प्रभाव को भी पांच साल में योगी ने ख़त्म किया है। जिसका प्रभाव विधानसभा चुनाव में दिखेगा।