Up Election Result 2022: चुनावी हार के बाद रालोद की सभी इकाइयां भंग, जयंत चौधरी का बड़ा फैसला

UP Election Result 2022: चुनाव में इस बार रालोद के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी मगर रालोद के सिर्फ आठ प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब हो सके।

Report :  Anshuman Tiwari
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-03-14 15:13 IST

रालोद मुखिया जयंत चौधरी (Social media)

UP Election Result 2022: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपेक्षित नतीजे न मिलने के बाद राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश, क्षेत्रीय, जिला समेत सभी फ्रंटल संगठनों को भंग करने की घोषणा की है। रालोद मुखिया ने प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद यह कदम उठाया है। 

चुनाव में इस बार रालोद के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी मगर रालोद के सिर्फ आठ प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब हो सके। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट लैंड में भी रालोद का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा और माना जा रहा है कि चौधरी ने इसीलिए यह बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों की 21 मार्च को लखनऊ में बैठक भी बुलाई है। इस बैठक में पार्टी की भविष्य की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन नहीं

इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा था मगर भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल करते हुए सपा-रालोद गठबंधन को काफी पीछे छोड़ दिया। भाजपा गठबंधन ने 41.3 फीसदी मत हासिल करते हुए 273 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की है जबकि सपा-रालोद गठबंधन 34.30 फ़ीसदी मतों के साथ 125 सीटें ही जीत सका। सपा के 111, रालोद के 8 और सुभापा के 6 प्रत्याशी विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं। 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार रालोद के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी। कृषि कानून के मुद्दे पर किसानों की नाराजगी के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की राह काफी कठिन मानी जा रही थी मगर रालोद इसे भुनाने में पूरी तरह विफल साबित हुआ। इसी कारण रालोद मुखिया ने बड़ा कदम उठाते हुए पार्टी की सभी इकाइयों कार्यकारिणी को भंग करने का फैसला किया है। 

जाटलैंड में भी भाजपा ने दिया झटका 

प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जाटलैंड माने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। भाजपा ने सारी आशंकाओं को निर्मूल साबित करते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा-रालोद गठबंधन को करारा झटका दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट-मुस्लिम फैक्टर को देखते हुए यहां सपा-रालोद गठबंधन को बड़ी कामयाबी की उम्मीद थी मगर यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी।

 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण की 55 सीटों में से भाजपा 46 सीटें जीतने में कामयाब रही। रालोद मुखिया जयंत चौधरी के साथ जाटों और किसानों के बड़े नेता माने जाने वाले राकेश टिकैत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा करके भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की मगर इसका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल सका।

रालोद के सिर्फ 8 प्रत्याशी जीते

यदि जाटलैंड की क्षेत्रवार स्थिति को देखा जाए तो मेरठ, शामली और मुजफ्फरनगर को छोड़कर पश्चिमी यूपी के किसी भी जाट बहुल इलाके में सपा- रालोद गठबंधन मजबूती से अपना असर नहीं दिखा सका। बुलंदशहर, बागपत, अलीगढ़, हापुड़, गाजियाबाद, बिजनौर, हाथरस, मथुरा, आगरा आदि जाट बहुल इलाकों में भी भाजपा ने बड़ी जीत हासिल करते हुए सपा-रालोद गठबंधन को बैकफुट पर धकेल दिया। इसी का नतीजा है कि सपा के साथ गठबंधन करके 33 सीटों पर प्रत्याशी उतारने वाले राष्ट्रीय लोकदल को सिर्फ 8 सीटों पर ही कामयाबी मिल सकी।

भाजपा की कामयाबी के पीछे कई सीटों पर जाटों के मतों के अलावा कश्यप, सैनी, गुर्जर, वाल्मीकि, त्यागी, ठाकुर आदि जातियों की गोलबंदी को बड़ा कारण माना जा रहा है। इसी के दम पर भाजपा पश्चिमी यूपी में सपा-रालोद के जाट-मुस्लिम समीकरण को पूरी तरह ध्वस्त करने में कामयाब रही। पश्चिमी यूपी में सपा मेरठ और सहारनपुर में ही कमाल दिखाने में सफल हो सकी।

भाजपा को नहीं हुआ बड़ा नुकसान

पश्चिमी यूपी के 11 जिलों में 2017 के चुनाव में भाजपा 58 में से 53 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। सपा और बसपा को दो-दो सीटों पर कामयाबी मिली थी जबकि रालोद ने एक सीट जीती थी। इस बार के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को जबर्दस्त झटका लगने की उम्मीद जताई जा रही थी मगर इस बार भाजपा 58 में से 46 सीटें जीतने में कामयाब रही।  इस तरह भाजपा को पहले चरण की सीटों में सिर्फ 7 सीटों का ही नुकसान हुआ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ नाराजगी के माहौल को देखते हुए इसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।

वोट शेयर बढ़ा मगर अपेक्षित सफलता नहीं 

रालोद को अपेक्षित कामयाबी न मिलने से पार्टी के मुखिया जयंत चौधरी नाराज बताए जा रहे हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि इसी कारण उन्होंने पार्टी की सभी इकाइयों और कार्यकारिणी को भंग करने का फैसला किया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 1.78 फ़ीसदी मत मिले थे और पार्टी का सिर्फ एक प्रत्याशी जीतने में कामयाब हो सका था। इस बार पार्टी के वोट शेयर में बढ़ोतरी हुई है और पार्टी 2.85 फीसदी मत पाने में कामयाब हुई है और पार्टी के 8 प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। पार्टी को इस बार और ज्यादा अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी मगर वह उम्मीद पूरी नहीं हुई।

21 को होगी नए विधायकों की बैठक 

पार्टी के मुखिया जयंत चौधरी ने 21 मार्च को लखनऊ में पार्टी के सभी नए विधायकों की बैठक बुलाई है। चौधरी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी। सपा के नवनिर्वाचित विधायकों की भी इसी दिन लखनऊ में बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि रालोद की बैठक में पार्टी की सभी इकाइयों के नए सिरे से पुनर्गठन पर भी चर्चा की जा सकती है।

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