Atique Ahmed: ये तीन अधिकारी जिन्होंने ध्वस्त कर दिया माफिया अतीक का साम्राज्य, जानिए कौन हैं ये अफसर?
Atique Ahmed: प्रयागराज और आसपास के जिलों में आतंक का पर्याय बन चुके अतीक का कभी दबदबा हुआ करता था, लेकिन उसके इस दबदबे को खत्म करने में योगी के तीन अधिकारियों ने अहम भूमिका निभाई है। बेटे असद के एनकाउंटर ने अतीक के अपराध का साम्राज्य खत्म कर दिया है।
Atique Ahmed: अतीक अहमद कभी दहशत का पर्याय रहे, खौफ ऐसा की जहां और जिधर निकल जाए लोग डर कर किनारे हट जाते थे, जिस इलाके में चला जाए वहां लोग घरों के दरवाजे बंद कर लेते थे। कभी ऐसा था अतीक का रूतबा, लेकिन अब वही माफिया अतीक खुद खौफ में जी रहा है। यूपी के प्रयागराज और आसपास के जिलों में आतंक का पर्याय बन चुके अतीक का कभी दबदबा हुआ करता था, लेकिन उसके इस दबदबे को खत्म करने में योगी के तीन अधिकारियों ने अहम भूमिका निभाई है। बेटे असद के एनकाउंटर ने अतीक के अपराध का साम्राज्य खत्म कर दिया है।
‘मैं अब मिट्टी में मिल चुका हूं। माफियागिरी भी खत्म हो गई है। अब तो बस रगड़ा जा रहा है। मैं सरकार और पुलिस से निवेदन करता हूं कि मेरे बच्चे और परिवार की औरतों को परेशान न करें...‘, ये ये शब्द उस माफिया अतीक के है जिसने 12 अप्रैल को गुजरात के साबरमती जेल से यूपी के प्रयागराज आने के बाद पत्रकारों से कही थी। अतीक के इस बयान के ठीक एक दिन बाद 13 अप्रैल को उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी और अतीक के बेटे असद का यूपी एसटीएफ द्वारा एनकाउंटर कर दिया जाता है। बेटे की मौत की खबर जैसे ही सुना ‘काहे का डर‘ कहने वाला अतीक अहमद कोर्ट में ही रोने लगता है और बेटे की हत्या के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराता है। यह पहला मौका था, जब अतीक सार्वजनिक तौर पर अपने अपराध को कोस रह था।
उसके बाद से ही तय माना जा रहा था-
उमेश पाल हत्याकांड पर जिस तरह से विपक्ष ने योगी सरकार पर हमला बोला और उसके बाद विधानसभा में सीएम योगी ने कहा कि माफिया को मिट्टी में मिला देंगे, उसके बाद से ही यह तय माना जा रहा था कि अब अतीक पर शिकंजा कसना निश्चित है और हुआ भी ऐसा ही। पुलिस और प्रशासन की टीम ने अतीक और उसके परिवार पर नकेल कसना शुरू कर दिया था। पहले माफिया अतीक के परिवार की कानूनी घेराबंदी की गई और फिर उसके बेटे का एनकाउंटर हो गया।
40 साल से बना था आतंक का प्रयाय-
पांच बार के विधायक और एक बार लोकसभा सांसद रहे माफिया अतीक अहमद का 40 साल से प्रयागराज और आसपास के जिलों में आतंक था। वह आतंक का प्रयाय बन चुका था, लेकिन उसके इस दबदबा को खत्म करने में सीएम योगी के इन तीन अधिकारियों ने बड़ी भूमिका निभाई है। ऐसा नहीं की अतीक पर पहले एक्शन नहीं हुआ, लेकिन इन तीन अफसरों ने माफिया के साम्राज्य को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। यहां हम आपको इन तीन अधिकारियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अतीक के साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया। आइए जानते हैं इनके बारे में...
आईएएस अफसर संजय खत्री, डीएम प्रयागराज-
संजय कुमार खत्री 2010 बैच के तेज तर्रार आईएएस अफसर हैं। संजय खत्री को 2021 में प्रयागराज का जिलाधिकारी बनाया गया था। इससे पहले वे गाजीपुर में माफिया पर कार्रवाई को लेकर भी सुर्खियों में रहे थे। संजय खत्री गाजीपुर और रायबरेली के जिलाधिकारी रह चुके हैं। खत्री के प्रयागराज का डीएम बनने के बाद से ही माफिया अतीक पर नकेल कसना शुरू हो गया। जिला प्रशासन ने माफिया के अपराध जगत से कमाए पैसों को तेजी से जब्त करना शुरू कर दिया। मतलब साफ था यानी माफिया पर पुलिसिया कार्रवाई के साथ ही आर्थिक कार्रवाई भी तेजी से होने लगी।
3 साल में 300 करोड़ की संपत्ति जब्त-
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन साल में अतीक और उसके परिवार से जुड़े करीब 300 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है। इनमें उसका लखनऊ और प्रयागराज का आलीशान बंगला भी शामिल है। वहीं इसके बाद ईडी भी सक्रिय हो गई और मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से मामले की जांच कर रही है। अतीक ही नहीं खत्री के प्रयागराज का डीएम बनने के बाद उसके 12 मददगारों पर भी शिकंजा कसा गया। इनमें कुछ उसके शूटर भी शामिल थे। प्रयागराज के नैनी जेल में अतीक और उसके गुर्गों का दरबार लगता था, जिस कारण से उसका रंगदारी का धंधा अनवरत चलता रहता था। डीएम संजय खत्री ने जेल में छापेमारी कर इस पर भी लगाम लगा दी।
हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन की खिंचाई की थी-
उमेश पाल हत्याकांड के बाद प्रयागराज प्रशासन पर सवाल उठने शुरू हो गए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी जिला प्रशासन की खिंचाई की थी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि धूमनगंज थाने में अतीक का ही रिट चलता है, वहां सरकार फेल है। इसके बाद पुलिस और प्रशासन ने अपनी छवि सुधारने पर फोकस किया। उमेश पाल हत्याकांड की जांच में तेजी आई और धूमनगंज थाने में ही माफिया की पत्नी, बहन और भांजियों पर मामला दर्ज किया गया। गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद अतीक को जिला प्रशासन ने वहां से सड़क मार्ग से प्रयागराज लाने का फैसला किया, जिसके बाद माफिया ने एनकाउंटर की आशंका भी जताई थी। संजय खत्री के नेतृत्व में अभी भी पिपरी और कौशांबी में अतीक के अवैध संपत्तियों की शिनाख्त की जा रही है। मूल तौर पर राजस्थान के रहने वाले संजय खत्री यूपी काडर के 2010 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। डीएम के रूप में खत्री की पहली पोस्टिंग गाजीपुर में हुई थी, जो काफी विवादित रहा। संजय खत्री मायावती सरकार के समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने जालौन में खनन सिंडिकेट पर छापेमारी की थी। यह सिंडिकेट सीधे पॉन्टी चड्ढा से जुड़ा हुआ था। राजनीतिक दबाव के बावजूद भी संजय खत्री पीछे नहीं हटे और उन्होंने यह कार्रवाई की थी।
अमिताभ यश, एडीजी एसटीएफ-
माफिया अतीक के साम्राज्य को ध्वस्त करने में यूपी स्पेशल टास्क फोर्स के प्रमुख एडीजी अभिताभ यश भी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। प्रयागराज में हुए उमेश पाल की हत्या के बाद योगी सरकार ने एसटीएफ को इस मामले की जांच सौंपी। इस केस में अतीक अहमद और उसके करीबी आरोपी बनाए गए। प्रयागराज के धूमनगंज थाने में दर्ज एफआईआर के आधार पर एसटीएफ की 18 टीमें जांच में लगाई गई। यूपी एसटीएफ का पहला फोकस था अतीक का बेटा असद, शूटर गुड्डू मुस्लिम और शूटर गुलाम मोहम्मद को गिरफ्तार करना।
4400 सिम कार्ड को एक साथ किया ट्रेस-
एसटीएफ की टीम ने इसके लिए 4400 सिम कार्ड को एक साथ ट्रेस किया। 9 राज्यों में एसटीएफ ने छापे मारे। करीब 600 संदिग्धों से पूछताछ की गई। जब यूपी एसटीएफ को असद के झांसी में होने का इनपुट मिला तो 10 लोगों की टीम को उसके पीछे लगाया गया। वहीं एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश लखनऊ से इसकी मॉनिटरिंग करते रहे। असद के एनकाउंटर के बाद अमिताभ यश मीडिया के सामने आए और माफिया अतीक के बेटे असद के मारे जाने की पुष्टि की। इसके बाद अमिताभ यश एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हुए।
अब तक चार का एनकाउंटर-
यूपी एसटीएफ अब तक उमेश पाल हत्याकांड के 4 आरोपियों का एनकाउंटर कर चुकी हैं। वहीं 2 आरोपी अब भी फरार हैं। अमिताभ यश ने अपने बयान में कहा है कि कार्रवाई अभी पूरी नहीं हुई है।
कौन हैं एसटीएफ एडीजी अमिताभ यश?-
अमिताभ यश 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वह मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। 2017 में जब यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई तो अमिताभ यश को स्पेशल टास्क फोर्स में आईजी बनाया गया। अमिताभ यश संत कबीर नगर, बाराबंकी, महाराजगंज, हरदोई, जालौन, सहारनपुर, सीतापुर, बुलंदशहर, नोएडा और कानपुर में एसपी रह चुके हैं।
उस समय आए थे सुर्खियों में-
अमिताभ यश 2007 में उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उनकी टीम ने खूंखार डकैत ददु्आ को एनकाउंटर में मार गिराया था। इसके कुछ ही दिनों बाद एसटीएफ ने ददुआ के करीबी रहे ठोकिया को भी मुठभेड़ में मार गिराया था। यूपी में योगी सरकार के आने के बाद विकास दुबे, रमेश कालिया जैसे दुर्दांत अपराधियों का एनकाउंटर हुआ। इन सभी एनकाउंटर में अमिताभ यश की भूमिका रही है।
अनंत देव तिवारी, एसएसपी एसटीएफ-
उमेश पाल हत्याकांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद बैकफुट पर आई योगी सरकार ने 5 मार्च को बड़ा बदलाव किया था। हत्या में शामिल शूटरों को पकड़ने की जिम्मेदारी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अनंत देव तिवारी को सौंपी गई थी। योगी सरकार के इस फैसले के बाद से ही माफिया का परिवार टेंशन में था। अनंत देव ने अपने हाथ में कमान आते ही एसटीएफ के कुछ अधिकारियों को छांटकर एक टीम बनाई थी। टीम में डीएसपी नवेंदु और डीएसपी विमल जैसे अधिकारियों को शामिल किया। अनंत की टीम ने कमान संभालते हुए उमेश पाल हत्याकांड से जुड़े दो शूटरों का 6 और 7 मार्च को मुठभेड़ में मार गिराया। इसके बाद अतीक और उसके भाई अशरफ के कई करीबियों पर शिकंजा कसा गया। अनंत देव की टीम ने ही माफिया अतीक के बेटे असद का झांसी में एनकाउंटर किया। उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक पर कई कार्रवाई हुई, लेकिन बेटे की मौत के बाद उसे पहली बार रोते और नर्वस होते देखा गया। अतीक के जेल जाने के बाद असद ही पिता का आपराधिक साम्राज्य देखता था। पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि असद ने गुड्डू बमबाज के साथ मिलकर उमेश पाल की हत्या को अंजाम दिया था।
कौन हैं अनंत देव तिवारी?
अनंत देव तिवारी 1987 बैच के यूपी के पीपीएस अफसर हैं। 2006 में उनका बतौर आईपीएस प्रमोशन हुआ। उनकी पहचान यूपी में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में होती है। आईपीएस अनंत देव का नेटवर्क काफी मजबूत माना जाता है, यही कारण है कि बड़े से बड़े दुर्दांत अपराधी को पकड़ने में एसटीएफ उनकी सहायता लेती है।
कई दिनों तक बीहड़ के गांवों को बनाया था अपना ठिकाना-
यूपी एसटीएफ में 2007 में एसपी बनने के बाद डकैत ददुआ को मारने के लिए अनंत देव तिवारी ने कई दिनों तक बीहड़ के गांवों को अपना ठिकाना बनाया था। अनंत देव एसटीएफ में रहते हुए अब तक 150 एनकाउंटर में शामिल हो चुके हैं। 40 से ज्यादा एनकाउंटर को खुद उन्होंने लीड किया है। ददुआ के एनकाउंटर के बाद उसका चेला ठोकिया ने एसटीएफ पर हमला कर दिया था, जिसमें 15 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद अनंत को ही ठोकिया को भी मारने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और अनंत देव ठोकिया को भी मारने में सफल रहे। अनंत देव बिकरू कांड के बाद चर्चा में आए थे, जिसके बाद उन्हें 23 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया था।
सरकार के इन अफसरों की चर्चा अब हर किसी के जुबान पर है। इन्होंने माफिया अतीक के आर्थिक साम्राज्य के साथ-साथ अपराधिक गतिविधियों पर भी लगाम लगा दिया है।