संविदा कर्मियों में गुस्सा: मानदेय वृद्धि के खिलाफ हुआ संघ, जांच कराने की उठाई मांग
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 19 संविदा कर्मचारियों को नियम विरूद्ध मानदेय वृद्धि दिए जाने पर यूपी स्वास्थ्य संविदा संघ ने तत्काल प्रभाव से नियम विरुद्ध मानदेय बढ़ोतरी पर रोक लगाकर कड़ी जांच तथा मिशन में कार्यरत अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों को भी इसी अनुपात में वेतन वृद्धि दिए जाने की मांग की है।
लखनऊ: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 19 संविदा कर्मचारियों को नियम विरूद्ध मानदेय वृद्धि दिए जाने पर यूपी स्वास्थ्य संविदा संघ ने तत्काल प्रभाव से नियम विरुद्ध मानदेय बढ़ोतरी पर रोक लगाकर कड़ी जांच तथा मिशन में कार्यरत अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों को भी इसी अनुपात में वेतन वृद्धि दिए जाने की मांग की है। संघ का यह भी कहना है कि मानदेय वृद्धि की इस पूरी प्रक्रिया में मिशन निदेशक को भी पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया।
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संविदा संघ का कहना है
संविदा संघ का कहना है कि मौजूदा कोरोना महामारी काल मे अपने जीवन का दांव लगाकर कोरोना से जंग लड़ते हुए प्रदेश को कोरोना नियंत्रण में अव्वल स्थान दिलाने वाले स्वास्थ्य संविदा कर्मियों को जहां आपदा प्रबंधन अधिनियम की याद दिलाकर उनका शोषण किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ कोरोना नियंत्रण में बिना कोई योगदान दिए राज्य मुख्यालय के चंद जिम्मेदारों द्वारा भारत सरकार के निर्देशों के विपरीत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक महोदया को अंधेरे में रखते हुए केवल उन्नीस कर्मचारियों को ही नियम विरुद्ध मानदेय बृद्धि का तोहफा दिया जा रहा है। इससे संविदा कर्मियों में काफी रोष व्याप्त है।
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स्वास्थ्य संविदा कर्मियों के लिए मात्र 5 प्रतिशत की मानदेय बढ़ोतरी मंजूर की गयी है
संघ के मुताबिक भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 20-21 में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य संविदा कर्मियों के लिए मात्र 5 प्रतिशत की मानदेय बढ़ोतरी मंजूर की गयी है। इस निर्देश के पेज संख्या-11 पर भारत सरकार ने स्पष्ट उल्लेख किया है की उत्तर प्रदेश एनएचएम में नियुक्त समस्त संविदा कर्मियों को वर्ष 19-20 में भारत सरकार द्वारा स्वीकृत मानदेय में मात्र 05 प्रतिशत ही बढ़ोतरी की जाएगी तो किस प्रकार जिलों में कार्यरत अठारह वेक्टरबार्न सलाहकार तथा स्टेट फाइनेंस कंसलटेंट आईडीएसपी आशुतोष गोविंद जो मात्र दो वर्ष पूर्व के नियुक्त कर्मी हैं को 24,000 मासिक मानदेय से 40,000 मासिक मानदेय अनुमन्य किया गया है। जब कि इसमें ना तो किसी सेलरी रेशनलाइजेश कमेटी की शिफारिश है और ना ही मिशन निदेशक की स्वीकृति। संघ का आरोप है कि ये अन्य अधीनस्थ पटलों की मिली भगत है जो पूरी तरह से नियमविरुद्ध और अल्प बेतन भोगी कर्मियों के साथ छल है।
मनीष श्रीवास्तव
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