UP dava karobar hub: यूपी को दवा कारोबार का हब बनायेगी सरकार, खड़ी होगी पांच हजार करोड़ की इंडस्ट्री

UP dava karobar hub: हर साल उत्तर प्रदेश में 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक की दवाएं और चिकित्सा उपकरणों की खपत होती है।

Report :  Rajendra Kumar
Published By :  Monika
Update:2021-10-29 18:10 IST

यूपी को दवा कारोबार (photo : सोशल मीडिया ) 

UP dava karobar hub: उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में रिकार्ड निवेश लाने के बाद अब प्रदेश सरकार ने यूपी को दवा कारोबार का हब (UP me dava karobar hub)  बनाने की ठानी है। इसके लिए सूबे की सरकार ने वर्ष 2018 में बनाई गई फार्मास्यूटिकल नीति (pharmaceutical policy) में संशोधन कर नई फार्मास्यूटिकल नीति लाने का फैसला (nayi pharmaceutical policy laane ka faisla)  किया है। इस नई नीति किए जाने वाले संशोधनों से सरकार कच्चे माल के रूप में एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआई) निर्माण करने वाली कंपनियों को कई बड़ी राहत देगी। जिसके चलते दवा निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत देश तथा विदेश की बड़ी दवा कंपनियां यूपी में निवेश करने में रूचि लेंगी। दवाओं के कच्चे माल के आयात के लिए चीन पर निर्भरता कम होगी और यूपी दवा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। अधिकारियों का मत है कि नई फार्मास्यूटिकल नीति के चलते प्रदेश में 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश (more than 25 thousand crores Investment) इस सेक्टर में होगा। दवा निर्माण के लिए जरूरी कच्चा माल तैयार करने के लिए कई जिलों में निवेशक बल्क ड्रग पार्क बनाएंगे। इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इसके लिए सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराकर निवेशकों को आकर्षित करेंगी।

गौरतलब है कि हर साल उत्तर प्रदेश में 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक की दवाएं और चिकित्सा उपकरणों की खपत होती है। फिर भी उत्तर प्रदेश दवाओं के लिए पूरी तरह से दूसरे राज्यों पर निर्भर है। इसके मद्देनजर प्रदेश में दवा निर्माण के लिए बड़ी फॉर्मा कंपनियों को जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने की योजना के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्ष 2018 में बनाई गई फार्मास्यूटिकल नीति तैयार कराई थी। इसके साथ ही राज्य में मेडिकल डिवाइस पार्क और बल्क ड्रग पार्क बनाए जाने का फैसला किया गया था। उक्त नीति के आने के बाद और सरकार के प्रयासों से नोएडा में मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित करने की स्वीकृति केंद्र सरकार से बीते माह मिल गई है। अब उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेडिकल डिवाइस पार्क यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण (यीडा) के सेक्टर-28 में 350 एकड़ जमीन पर बनेगा। मेडिकल डिवाइस पार्क के जरिए 5,250 करोड़ रुपए का निवेश होगा और 20 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। अब इस तरह के निवेश को बढ़ावा देने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने उत्तर प्रदेश फार्मास्यूटिकल उद्योग नीति 2021 का मसौदा तैयार किया है।

दवाओं के कच्चे माल के आयात के लिए चीन पर निर्भरता कम

अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नई नीति में एपीआई के अलावा ड्रग इंटरमीडिएट का निर्माण करने वाली कंपनियों को उसी तरह के सारी रियायतें मिलेंगी जिस तरह की रियायतें दवा निर्माण कंपनियों को दिए जाने की व्यवस्था है। इस तरह की रियायतें मिलने से राज्य में निजी क्षेत्र की बड़ी दवा कंपनियां राज्य में निवेश करेंगी और दवाओं के कच्चे माल के आयात के लिए चीन पर निर्भरता कम होगी। वर्तमान में दवा निर्माण के लिए जरूरी एक्टिव फॉर्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट (एपीआई) चीन से आयात होता है। हालांकि देश और प्रदेश दवा निर्माण में बहुत आगे है, लेकिन एपीआई व ड्रग इंटरमीडिएट का आयात उसे चीन से करना पड़ता है। यह कुल जरूरत का करीब 70 से 75 प्रतिशत तक होता है। जब यूपी में कच्चे माल का निर्माण करने वाली कंपनियां उत्पादन शुरू करेंगी तो फार्मा कंपनियों को इसकी आपूर्ति यूपी से ही होने लगेगी और उनकी चीन से आयात पर निर्भरता कम होने लगेगी। कच्चा माल बनाने वाली कंपनियों को यूपी में निवेश करने पर जमीन पर स्टांप ड्यूटी में सौ प्रतिशत की छूट मिलेगी। उन्हें कैपिटल सब्सिडी के रूप में प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा इंटरेस्ट सब्सिडी भी मिलेगी। पेटेंट व शोध के लिए भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। विद्युत कर में दस साल के लिए सौ प्रतिशत छूट मिलेगी। इन रियायतों की वजह से राज्य में निजी क्षेत्र की दवा कंपनियां बड़ी संख्या में बल्क ड्रग पार्क खोलने में रूचि लेंगी।

कुल 94 भूखंड उपलब्ध कराएंगी सरकार

सरकार भी ऐसे निवेशकों को उनकी जरूरत के मुताबिक पांच, 10, 15, 20, 30 और 50 एकड़ के कुल 94 भूखंड उपलब्ध कराएंगी। ऐसे पार्कों में बुनियादी सुविधाओं के विकास पर सरकार 1604 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसमें केंद्र की भी हिस्सेदारी लगभग 1000 करोड़ रुपये की होगी। इस धनराशि से कूलिंग सिस्टम और वितरण का नेटवर्क, विद्युत उपकेंद्र, पानी की उपलब्धता, साल्वेंट रिकवरी और डिस्टिलेशन प्लांट, सेंट्रल एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, ठोस कचरा प्रबंधन और पीएनजी की आपूर्ति आदि की व्यवस्था की जाएगी। सरकार का मत है कि उसकी नई नीति दवा उद्योग को यूपी में निवेश के लिए आकर्षित करेगी क्योंकि यूपी में दवा उद्योग के लिउए बहुत संभावनाएं हैं। राज्य में दवा कारोबार का सबसे बड़ा बाजार है। राज्य में एक दर्जन से अधिक शोध संस्थान हैं। 208 मेडिकल, बायोटेक्नोलॉजी और फार्मेंसी कॉलेज और एक लाख से अधिक अधिक फार्मासिस्ट तथा तीन दर्जन से अधिक दवा बनाने वाली कंपनियां हैं। यह सब राज्य में दवा उद्योग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएंगे, सरकार को यह उम्मीद है।

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