UP Legislative Council: बढ़ती बेरोजगारी को लेकर विधानपरिषद में हंगामा, विपक्ष का सदन से वालआउट
सपा के सदस्यों की संख्या कम होने पर उनका एक ही कार्य स्थगन प्रस्ताव लिये जाने की सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने व्यवस्था दी। जिस पर सपा सदस्य आपत्ति दर्ज करा सदन से बाहर चले गये।
UP Legislative Council : यूपी विधान परिषद (UP Legislative Council) में शुक्रवार को शिक्षामित्रों (shikshamitra) को स्थायी किये जाने, एक लाख बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्टों भर्ती, प्रदेश की गड्ढा युक्त सड़कों, सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा और कम्प्यूटर शिक्षक की नियुक्ति न होने का मामला विपक्ष ने उठाया। सरकार की ओर से नेता सदन व जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) ने कहा कि, 'तपस्वी मुख्यमंत्री की सरकार बनी है। हमारी सरकार गांव, गरीब, किसान की चिंता करती है। यह एक पवित्र सरकार है। शिक्षामित्रों की समस्या का समाधान योगी सरकार (Yogi Sarkar) करेगी। इनकी चिंता करना सरकार का दायित्व है।' इसके साथ ही समाजवादी पार्टी के सदस्यों की संख्या कम होने पर उनका एक ही कार्य स्थगन प्रस्ताव लिये जाने की सभापित कुंवर मानवेंद्र सिंह ने व्यवस्था दी। जिसपर सपा सदस्य आपत्ति दर्ज कराते हुए सदन से बाहर चले गये। आज सपा के लाल बिहारी यादव नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे।
शिक्षामित्रों के साथ सौतेला व्यवहार
शून्य प्रहर (zero hour) में समाजवादी पार्टी के डॉ. मान सिंह यादव, आशुतोष सिन्हा और लाल बिहारी यादव ने शिक्षामित्रों को स्थायी न किये जाने का मामला कार्य स्थगन के रूप में उठाया। सूचना की ग्राह्यता पर सदस्यों ने कहा, कि 'भाजपा सरकार शिक्षामित्रों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। न्यायिक प्रक्रिया में शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन को उचित नहीं माना। किन्तु, उनके सेवाकाल को देखते हुए सरकार को समान कार्य का समान वेतन-मानदेय देने की छूट है। आज लाखों शिक्षा मित्र जिस अस्थिरता और अवसाद में जीने के मजबूर हैं।'
सरकार आत्महत्या के लिए मजबूर कर रही
उन्होंने कहा, 'सपा सरकार ने शिक्षामित्रों को समायोजित करते हुए ग्रामीण क्षेत्र में 28,528 तथा शहरी क्षेत्र में 29,878 रुपए प्रतिमाह भुगतान किया गया था। न्यायिक प्रक्रिया के आधार पर शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त हो गया था। जिसके कारण शिक्षामित्रों का मानदेय पुरानी व्यवस्था के अधीन हो गया।' सदस्य ने कहा कि वर्तमान सरकार शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपए मानदेय तथा केवल 11 माह का वेतन देकर आत्महत्या के लिए मजबूर कर रही है।
तपस्वी मुख्यमंत्री की सरकार
नेता सदन एवं जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, कि 'तपस्वी मुख्यमंत्री की सरकार बनी है। हमारी सरकार गांव, गरीब, किसान की चिंता करती है। यह एक पवित्र सरकार है। हमने शिक्षामित्रों का दस हजार रूपया किया है। आपने जितनी भी नियुक्तियां की वह ठीक नहीं थीं। शिक्षामित्रों की समस्या का समाधान योगी सरकार करेगी। इनकी चिंता करना सरकार का दायित्व है। नेता सदन की बात से असंतुष्ट सपा सदस्यों-सरकार लगातार छह वर्षों से घोर अन्याय कर रही है, कहते हुए सदन से वाकआउट कर गये।'
एलोपैथिक फार्मासिस्टों की बेरोजगारी मुद्दा भी उठा
बहुजन समाज पार्टी (BSP) के दिनेश चन्द्रा, भीमराव अम्बेडकर और अतर सिंह राव ने एलोपैथिक फार्मासिस्टों (allopathic pharmacists) का मामला कार्य स्थगन के रूप में उठाया। सदस्यों ने कहा, 'पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पताल, पुलिस अस्पताल, मैटरनिटी विंग, ट्रामा सेंटर, जेल अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, चिकित्सा संस्थान, चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं अन्य में विगत 20 वर्षों से एलोपैथिक फार्मासिस्टों के नियमित पदों पर 24 घण्टे चिकित्सा व्यवस्था के सापेक्ष भर्ती नहीं की जा रही है। लगभग एक लाख डिप्लोमा फार्मासिस्ट बेरोजगार घूम रहे हैं।'
समाज के अंतिम पायदान पर बैठे लोगों की चिंता
इस पर नेता सदन स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, कि 'भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नीतियां समाज के सभी वर्गों के लिए हैं। समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति की भी हम चिंता करते हैं। हमारी सरकार उत्कृष्ट चिकित्सा व्यवस्था देने के लिए और पारदर्शिता बरतने के लिए प्रतिबद्ध है। रिक्त पदों के लिए अधियाचन भेज चुका है।'
गड्ढा युक्त सड़कों का मुद्दा
कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह ने प्रदेश की गड्ढा युक्त सड़कों के कारण का मामला कार्य स्थगन के रूप में उठाया। दीपक सिंह ने कहा, कि 'अमेठी सहित प्रदेश के लगभग सभी जिलों में ऐसे बहुत सी सड़कें गड्ढा युक्त है जिस पर गाड़ी से चलना तो दूर पैदल चलना बहुत कठिन है। गड्ढा युक्त सड़कों के कारण प्रदेश में हजारों लोग असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। लाखों लोग घायल हो जाते हैं। जबकि क्षतिग्रस्त मार्गों की मरम्मत का कार्य मेन्टीनेन्स मैनुअल ऑफ़ रोड्स 1984 के अपेन्डिक्स-3 का उल्लंघन है।' दीपक सिंह ने कहा कि, 'प्रदेश में सड़कें कम और गड्ढे ज्यादा है। अगर यह कहें तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। सरकार जनकल्याण, विकास कार्य के लिए होती हैं। पोस्टर-होर्डिंग लगवाने के लिए नहीं। सड़कों को गड्ढा मुक्त कराकर जनता के चलने लायक बनवा दें।'
स्थितियां बदली, सड़कों का जाल बिछा
स्वतंत्र देव सिंह ने एक चौपाई से अपना बयान शुरू करते हुए कहा, कि 'राज्य की सड़कों की स्थिति पहले क्या थी यह किसी से छिपा नहीं। जहां सड़क-पानी नहीं होता था, वहां लोग अपनी बेटियों की शादी तक करना पसन्द नहीं करते थे। उन्होंने स्व.अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा, कि उनकी प्रेरणा से जो सड़कों के जाल का काम शुरू हुआ। उससे आज सड़कें बनती जा रही हैं। विकास होता जा रहा है। जहां का मामला दीपक सिंह ने उठाया है, उसे मैं दिखवा लूंगा।'
व्यावसायिक और कंप्यूटर शिक्षक नियुक्ति मामला
शिक्षक दल के सुरेश कुमार त्रिपाठी, ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा और कंप्यूटर शिक्षक की नियुक्ति न होने का मामला कार्य स्थगन के रूप में उठाया। ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा, कि 'आज के समय में व्यावसायिक शिक्षा और कम्प्यूटर शिक्षा अति महत्वपूर्ण है। रोजगारपरक शिक्षा न होने से सामान्य जन के बालक वंचित हो रहे हैं। इससे अभिभावकों और छात्रों में भारी रोष है। उन्होंने इन विद्यालयों में शिक्षक नियुक्त किये जाने की मांग करते हुए कहा कि समाज के सभी वर्गों को एक साथ खड़ा करने के लिए यह आवश्यक है। उन्होंने कहा 95 प्रतिशत बच्चे कम्प्यूटर और व्यावसायिक शिक्षा से वंचित हैं। नेता सदन ने सदन को तथ्यों से अवगत कराया।'
विपक्ष के अधिकारों का हनन
सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने सदन को सूचित किया, कि आज निर्दलीय समूह की सूचना का विषय एक बार सदन में आ जाने के कारण उनकी सूचना निरस्त कर दी गयी है। समाजवादी पार्टी की दूसरी सूचना सदन में उनके सदस्यों की संख्या कम होने के कारण नहीं ली जायेगी। यह अनुरोध वे सपा सदस्यों से कई दिनों से कर रहे हैं। जिस पर सपा के सदस्य व नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव अपने-अपने स्थान पर खड़े हो गये और दूसरी सूचना लिये जाने की मांग करने लगे। नरेश उत्तम ने कहा कि हम विपक्ष की भूमिका में हैं और कार्य स्थगन लगाना विपक्ष का अधिकार है। दूसरी सूचना न लिया जाना विपक्ष के अधिकारों का हनन है। सभापति ने कहा कि सदस्यों ने आग्रह किया है कि एक दल की एक ही सूचना ली जाये। जिसके बाद उन्होंने यह निर्णय किया है।
सपा का वॉक आउट
नेता प्रतिपक्ष ने कहा, कि 'आप सदन को 90 दिन चलाइये, हम एक सूचना देने पर सहमत हैं, लेकिन जब सदन कम समय के लिए चलता है तो हमारी दो सूचनाएं तो लगा लीजिये। शिक्षक दल के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने नियम 107 का हवाला दिया। लेकिन सभापति ने एक ही सूचना लिये जाने का अपना निर्णय यथावत रखा। इसके बाद नाराज़ सपा सदस्य सदन से बाहर चले गये।