UP Nikay Chunav: क्या है सुप्रीम कोर्ट का 'ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला'? जिसका जिक्र इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार-बार किया
Triple Test Formula: यूपी निकाय चुनाव पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया। जिसमें 'Triple Test Formula' का जिक्र हुआ। तो जानिए क्या है, ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला?
Triple Test Formula: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मंगलवार (27 दिसंबर) को बड़ा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट की दो सदस्यीय लखनऊ बेंच ने अपने फैसले में कहा, कि यूपी में निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के ही होंगे। साथ ही, हाईकोर्ट ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की निकाय चुनाव में ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर जारी की गई अधिसूचना को भी खारिज कर दिया।
आपको बता दें, यूपी सरकार की अधिसूचना के खिलाफ 93 जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) की तरफ से तय किए गए 'ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला' (Triple Test Formula) के बगैर ही नोटिफिकेशन जारी करने की बात कही गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से निकाय चुनाव पर फैसला आने के बाद लोगों के मन में 'ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला' को लेकर कौतूहल शुरू हुआ। अगर, आपके मन में भी ये सवाल चल रहा है तो चलिए बताते हैं कि क्या है 'ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला'?
क्या है सर्वोच्च न्यायालय का 'ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला'?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णाराव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार (Krishnarao Gawli Vs State of Maharashtra) और अन्य के मामले में ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला दिया था। जिसके मुताबिक, ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) देने के लिए राज्य का पिछड़ा वर्ग बताएगा कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने की जरूरत है या नहीं। और अगर आरक्षण देना है, तो कितना देना है।
सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णाराव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार और अन्य मामले में 'Triple Test Formula' दिया था। जब ये फॉर्मूला आया था, तब उसके लिए पैमाने भी निर्धारित किए गए थे। जिस आधार पर ओबीसी आरक्षण तय होगा। तो चलिए बताते हैं, क्या है पैमाना?
क्या है ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला का पैमाना?
- सर्वोच्च अदालत (Supreme court) के 'ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले' के मुताबिक, राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव (Local Body Elections) में अन्य पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन की स्थितियों, जिनमें आर्थिक और शैक्षणिक, प्रकृति तथा प्रभाव का डेटा इकट्ठा करने के लिए एक विशेष आयोग का गठन (Special Commission) किया जाना आवश्यक है।
- राज्य सरकार को इस विशेष आयोग की सिफारिशों के आधार पर नगर निगम (Municipal council) और नगरपालिका चुनाव (Municipal Elections) में आनुपातिक आधार पर आरक्षण देना होगा।
- राज्य सरकार को ये भी ध्यान देना होगा कि, अनुसूचित जाति (SC)-अनुसूचित जनजाति (ST) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 50 प्रतिशत के कुल आरक्षण की सीमा से बाहर नहीं होने पाए।
उम्मीद है अब आप सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला को समझ गए होंगे। यूपी में निकाय चुनाव के पूरे मसले पर बार-बार ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला का जिक्र किया गया था।