UP Nikay Chunav: निकाय चुनाव में OBC आरक्षण पर घमासान, जानें किसने क्या कहा?
UP Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद सभी दलों की प्रतिक्रिया आ रही है। बीजेपी, सपा, बसपा और अपना दल (एस) ने क्या कहा? पढ़ें यहां
UP Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने मंगलवार (27 दिसंबर) को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने कहा, प्रदेश में इस बार निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के होगा। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने प्रतिक्रिया दी है। केशव मौर्य ने कहा, कि 'पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।' इसके बाद, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी बयान आया है।
यूपी निकाय चुनाव मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसले में राज्य सरकार द्वारा 5 दिसंबर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन (Draft Notification) को खारिज कर दिया। इसके अलावा, अदालत ने बिना ओबीसी आरक्षण के ही राज्य में निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया। जिसके बाद, विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर हमलावर हो गई हैं।
केशव बोले- नहीं होगा कोई समझौता
यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर जारी सस्पेंस मंगलवार को ख़त्म हो गया। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि, इस बार निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के होगा। जिस पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और पिछड़ों के बड़े नेता केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, कि 'नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा और कानून के जानकारों से परामर्श लेने के बाद इस मामले पर सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने साफ कहा कि पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा !'
अखिलेश- बीजेपी घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही
यूपी निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई हैं। इसी बीच विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पर हमलावर हो गई है। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने बीजेपी सरकार पर सीधा हमला बोला। अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, 'आज आरक्षण विरोधी भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है। आज भाजपा ने पिछड़ों के आरक्षण का हक छीना है, कल भाजपा बाबा साहब द्वारा दिए गए दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी। आरक्षण को बचाने की लड़ाई में पिछड़ों व दलितों से सपा का साथ देने की अपील है।'
राम गोपाल यादव ने किया केशव पर वार
इसी कड़ी में सपा के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव (Ram Gopal Yadav) ने भी ट्वीट किया। रामगोपाल ने अपने ट्वीट में केशव मौर्या पर निशाना साधा। रामगोपाल लिखते हैं, 'निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) खत्म करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण। उत्तर प्रदेश सरकार की साजिश। तथ्य न्यायालय के समक्ष जानबूझकर प्रस्तुत नहीं किए। उत्तर प्रदेश की साठ फीसदी आबादी को आरक्षण से वंचित किया। ओबीसी मंत्रियों के मुंह पर ताले। मौर्या की स्थिति बंधुआ मजदूर जैसी।'
मायावती- HC का फैसला बीजेपी की सोच प्रकट करता है
वहीं, बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भी ट्वीट किया। उन्होंने कहा, 'यूपी में बहुप्रतीक्षित निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक अधिकार के तहत मिलने वाले आरक्षण को लेकर सरकार की कारगुजारी का संज्ञान लेने सम्बंधी माननीय हाईकोर्ट का फैसला सही मायने में भाजपा व उनकी सरकार की ओबीसी एवं आरक्षण-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रकट करता है।'
'गलती की सजा OBC समाज BJP को जरूर देगा'
एक अन्य ट्वीट में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लिखा, 'यूपी सरकार को मा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पूरी निष्ठा व ईमानदारी से अनुपालन करते हुए ट्रिपल टेस्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था को समय से निर्धारित करके चुनाव की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाना था, जो सही से नहीं हुआ। इस गलती की सजा ओबीसी समाज बीजेपी को जरूर देगा।'
अपना दल- OBC आरक्षण बिना निकाय चुनाव उचित नहीं
बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। अपना दल का कहना है, 'OBC आरक्षण के बिना निकाय चुनाव किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। हम इस संदर्भ में माननीय लखनऊ उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। जरूरत पड़ी तो @ApnaDalOfficial ओबीसी के हक के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।'
कांग्रेस ने ये कहा
यूपी कांग्रेस की तरफ से पार्टी के नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने ट्वीट किया, 'साबित हो गया कि योगी सरकार पूरी तरह से पिछड़ा विरोधी सरकार है। इनसे पिछड़ों के हक की पैरवी हो भी कैसे? पिछड़ों के प्रति इनका इतिहास क्रूर रहा है। सरकार ने जानबूझकर हाईकोर्ट में कमजोर पक्ष रखा जिससे हाईकोर्ट ने पिछड़ा वर्ग का आरक्षण रद्द करने का फैसला सुनाया।'