UP Politics: उत्तर प्रदेश में अरविन्द शर्मा और जितिन प्रसाद निभाएंगे यह भूमिका!
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले छह महीने से चला आ रहा सस्पेंस अब खत्म होता नजर आ रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश में अरविन्द कुमार शर्मा व जितिन प्रसाद की क्या भूमिका होगी, इस पर अभी भी संशय बना हुआ है।
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले छह महीने से चले आ रहे सस्पेंस पर आज उस समय परदा उठ गया जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) ने पूर्व आईएएस अरविन्द कुमार शर्मा (Arvind Kumar Sharma) को अपनी कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष (Vice President) पद से नवाज दिया। इसके बाद इस बात को लेकर सवाल उठने लगे कि आखिर अरविन्द कुमार शर्मा को राज्य सरकार में जगह न देकर संगठन में स्थान क्यों दिया गया और संगठन में अनुभवहीन वह अपनी बेहतरीन भूमिका कैसे निभा सकेंगे।
सरकार से लेकर संगठन तक आज बस इसी बात को लेकर चर्चा होती रही। राजनीति के जानकारों को भी इस बात का आश्चर्य हुआ कि आखिरकार सरकार की बजाए संगठन में उनको क्यों लाया गया। क्या वह संगठन में काम करने के लिए ही आईएएस (IAS) की नौकरी छोड़कर लखनऊ आए थें।
राजनीति के जानकारों को कहना है कि जरूर कुछ दाल में काला है। इसके पीछे संगठन से लेकर सरकार तक समन्वय न बन पाने के कारण ही केंद्रीय हाईकमान के इशारे पर प्रदेश इकाई को यह फैसला लेना पड़ा।
सरकार की गतिविधियों पर रखेंगे पैनी नजर
हांलाकि एक पक्ष यह भी कह रहा है कि संगठन में रहकर अरविन्द शर्मा सरकार की गतिविधियों पर अपनी पैनी निगाह रखेगें। साथ ही संगठन में रहने के बावजूद उन्हें प्रशासनिक ताकत भी दी जाएगी। जिससे विधानसभा चुंनाव के पहले वह पार्टी की लोकप्रियता को और बढ़ाने का काम कर सकें।
इसके अलावा विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा के लिए हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) भी आज पहली बार भाजपा कार्यालय (BJP Office) पहुंचे। यहां पर उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) से मुलाकात की। इसके बाद वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से भी मिलें।
जितिन प्रसाद को कौन सा मिलेगा पद
कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) को यूपी में डेरा डालने को कहा गया है। यह भी कहा गया है कि प्रदेश के ब्राम्हण मतदाताओं को वह लुभाने का काम करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि जितिन प्रसाद को संगठन में अथवा जुलाई के पहले सप्ताह रिक्त हो रही विधानपरिषद की चार सीटों में से किसी एक सीट पर एडजस्ट किया जाएगा।
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