शौचालय को बना दिया रसोई घर, मामला सामने आने पर अधिकारियों के फूले हाथ-पांव

स्वच्छता मिशन के ज्यादातर लाभार्थियों द्वारा शौचालय बनवाने के बाद इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। अभी तक प्रदेश भर से कई ऐसे मामले सामने आए।

Update:2020-01-15 17:28 IST

सरफराज वारसी

बाराबंकी: स्वच्छता मिशन के ज्यादातर लाभार्थियों द्वारा शौचालय बनवाने के बाद इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। अभी तक प्रदेश भर से कई ऐसे मामले सामने आए।

जिनमें कहीं इनमें दुकान खोल ली गई है, तो कहीं कंडे, लकड़ियां रखी हुई है। इसी तरह से बाराबंकी में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां शौचालय का उपयोग एक परिवार रसोई घर के रूप में कर रहा है।

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ये है पूरा मामला

बाराबंकी के देवा थाना क्षेत्र के अकनपुर गांव में शौचालय का रसोई के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। पड़ताल करने पर यहां के एक शौचालय पर नजर पड़ी, उसमें धुआं निकल रहा था।

यहां अंदर आकर देखने पर पता चला कि शौचालय में खाना बन रहा था। नजारा हैरान कर देने वाला था। घर के मालिक से जब इस बारे में कारण पूछा गया तो उनका सिर्फ इतना ही कहना था कि हमें अभी तक आवास नहीं मिला है। जिसके चलते झोपड़ी में हम अपना जीवन काट रहे हैं। मजबूरी में हम शौचालय को रसोई घर बनाकर यहां खाना बना रहे हैं।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शौचालय तो इसलिए बनाया गया कि लोग खुले में शौच करने न जाएं औ जिला भी ओडीएफ घोषित हो चुका है। लेकिन फिर भी गांव की यह हालत प्रशासन पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर रही है।

घर के मालिक राम प्रकाश ने बताया कि वह शौचालय को शौच के लिये इस्तेमाल नहीं करते, क्योंकि हमारे पास घर की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए मजबूरी में हमने शौचालय को रसोईंघर बना दिया।

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रहने का ठिकाना नहीं, खाना कहां बनाये?

राम प्रकाश ने माना कि वह गलत कर रहे हैं, लेकिन जब उनके पास रहने का ठिकाना नहीं है तो वह खाना कहां बनाएं। उन्होंने बताया कि प्रधान से कई बार कॉलोनी के लिये कहा, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।

राम प्रकाश की पत्नी मालती ने बताया कि उन्हें शौचालय में खाना बनाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता, लेकिन घर न होने के चलते वह मजबूर हैं। उन्होंने कई बार प्रधान से भी कहा लेकिन हमें आवास नहीं मिला। उन्होंने बताया कि मजबूरी में उनका पूरा परिवार शौच के लिये बाहर जाता है। उऩ्होंने सरकार से मांग की कि उन्हें रहने के लिये आवास दिया जाए।

वहीं गांव के ही रहने वाले प्रमोद का कहना है कि गांव में कई लोग शौच के लिये बाहर जाते हैं। क्योंकि कुछ लोगों के शौचालय बने हैं, जबकि कई लोगों के यहां शौचालय अधूरे पड़े हैं।

प्रधान ने शौचालय बनवाना का ठेका लिया था, लेकिन वह नहीं बनवा रहे हैं। इसी वजह से ग्रामीण शौच के लिये बाहर जा रहे हैं। प्रमोद ने कहा कि उन्होंने कई बार कई कर्मचारियों से शिकायत भी की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

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इस मामले पर बाराबंकी के जिलाधिकारी डॉक्टर आदर्श सिंह ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। इसके अलावा जिसका नाम भी पात्रता सूची में दर्ज होता है उसे पीएम आवास दिया जाता है।

इसके अलावा जो भी लोग सूची से छूटे हुए हैं और पात्र हैं, उन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आच्छादित किया जाना है। डीएम ने कहा कि मामले की जांच कराने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा अगर वह पात्र होंगे तो उन्हें अवास दिलवाया जाएगा।

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