नईदिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने सिद्धांत रूप से उस बदलाव पर सहमति जताई है, जिसमें विधान परिषद के लिए खुले मतदान पर रोक का प्रस्ताव है। हालांकि, औपचारिक रूप से इसका एलान इसके लिए गठित समिति की रिपोर्ट के बाद किया जाएगा।
खुले मतदान पर रोक का प्रस्ताव
-निर्वाचन आयोग ने इस बारे में उन सभी राज्यों को पत्र लिखा था जहां विधान परिषद का अस्तित्व है।
-निर्वाचन आयोग ने यह पत्र यूपी में विधान परिषद की 13 सीटों के लिए 10 जून के चुनाव से कुछ दिन पहले दिया था।
-आयोग ने मतदान के तरीके में बदलाव के लिए राज्यों से सुझाव मांगे थे।
-यह कदम विधान परिषद के चुनाव में विधायकों की खरीद फरोख्त को रोकने के लिए उठाया जा रहा है।
-आयोग के सूत्रों के अनुसार अभी तक पांच राज्यों ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है।
यूपी सैद्धांतिक रूप से राजी
-यूपी सरकार ने इसके लिए चार सदस्यीय समिति बनाई है। समिति को जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया है।
-माना जा रहा है कि रिपोर्ट महज औपचारिकता है, जिसे निर्वाचन आयोग के पास भेजा जाएगा।
-सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार इस प्रस्ताव के पक्ष में है।
-बताते चलें कि 10 जून को हुए विधान परिषद चुनाव में कई दलों के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी।
-नेतृत्व से बगावत करके सपा के कम से कम पांच और कांग्रेस के दो विधायकों ने दूसरे दलों को वोट दिया था ।