Varanasi Flood: बाढ़ में डूब गए वाराणसी के घाट, दुकानों पर ताले लगाकर भागे लोग
Varanasi Flood: वाराणसी में गंगा में आई बाढ़ के कारण करीब दो लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। जलमग्न होने के कारण यहां के लोग विस्थापन के लिए मजबूर हैं।
Varanasi Flood: उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में मूसलाधार बारिश के कारण मैदानी इलाकों की प्रमुख नदियां उफनने लगी है। गंगा, यमुना और वरूणा जैसी नदियों का जलस्तर काफी बढ़ गया है। भगवान शिव की नगरी काशी में तो गंगा मणिकर्णिका घाट होते हुए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तक पहुंच गई है। जलासेन द्वार से होते हुए यह बाबा विश्वनाथ के गंगा द्वार तक पहुंच गया है। अभी बाढ़ का पानी बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह से 100 मीटर दूर है।
घाटों के जलमग्न होने के बाद लोग अपनी दुकानें बंद कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट के डूब जाने के कारण दाह – संस्कार में भी दिक्कतें आ रही हैं। लोगों को आस – पास की गलियों में ही अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। वाराणसी में गंगा 44 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ने से महज 2 मीटर दूर है। यहां सोमवार को गंगा का जलस्तर 71.83 मीटर दर्ज किया गया। 44 साल पहले आई बाढ़ के समय गंगा का जलस्तर 73.90 मीटर था।
गंगा में आई बाढ़ से दो लाख लोग प्रभावित
वाराणसी में गंगा में आई बाढ़ के कारण करीब दो लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। यहां के घाट और आसपास के निचले इलाके जलमग्न होने के कारण यहां के लोग विस्थापन के लिए मजबूर हैं। अभी तक 10 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। वाराणसी प्रशासन के मुताबिक, शहर के 20 वार्ड और जिले के 104 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। बाढ़ के पानी से जिले में करीब 370.02 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है।
गंगा नदी में आई बाढ़ के कारण वरूणा नदी में भी उफान आ गया है। इसके चलते अभी तक 5 हजार से अधिक लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 200 हेक्टेयर से अधिक फसलें भी बर्बाद हुई हैं। वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी इस पर नजर है। प्रधानमंत्री कार्यालय लगातार जिला प्रशासन से फीडबैक ले रहा है और जरूरी दिशा निर्देश भी दे रहा है। पीएमओ ने वारणसी डीएम और आयुक्त को राहत शिविरों में रह रहे लोगों को हर संभव सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है।