प्रियंका के एक्टिव पॉलिटिक्स में आते ही मिलने लगी ‘महामुकाबले’ की आहट !

प्रियंका गांधी के एक्टिव पॉलिटिक्स में आते ही कांग्रेसी जोश में भर गए हैं। पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों में कांग्रेसी सड़क पर उतरे और अपने अंदाज में प्रियंका गांधी का इस्तकबाल कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कांग्रेसी ढ़ोल नगाड़े की थाप पर झूमते नजर आए।

Update:2019-01-23 20:23 IST

वाराणसी:प्रियंका गांधी के एक्टिव पॉलिटिक्स में आते ही कांग्रेसी जोश में भर गए हैं। पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों में कांग्रेसी सड़क पर उतरे और अपने अंदाज में प्रियंका गांधी का इस्तकबाल कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कांग्रेसी ढ़ोल नगाड़े की थाप पर झूमते नजर आए। कांग्रेसियों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई। इस दौरान कांग्रेसियों ने प्रियंका गांधी को वाराणसी से चुनाव लड़ाने की मांग की।

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तो क्या मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी प्रियंका

प्रियंका गांधी के महासचिव बनाए जाने के साथ ही ये सवाल तैरने लगे हैं क्या प्रियंका वाराणसी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी। हालांकि इस पर अभी तक सस्पेंस बरकरार है। राहुल गांधी के मुताबिक चुनाव लड़ने का फैसला प्रियंका खुद करेंगी। इस बीच मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके दिग्गज कांग्रेसी नेता अजय राय ने प्रियंका गांधी से वाराणसी से चुनावी मैदान में उतरने की अपील की है। सिर्फ अजय राय ही नहीं वरिष्ठ नेता सतीश चौबे ने भी पार्टी आलाकमान से प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ाने की मांग की है। सतीश चौबे के मुताबिक वाराणसी की जनता पीएम नरेंद्र मोदी के जुमलों के जाल में अब फंसने वाली नहीं है।

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काशी को केंद्र बनाएंगी प्रियंका

धर्म नगरी वाराणसी खासतौर से पूर्वी उत्तर प्रदेश की सियासत में केंद्र बिंदु है। मोदी ने साल 2014 का चुनाव वाराणसी से लड़ा और जीत हासिल की। इस बार भी वाराणसी से लोकसभा चुनाव से लड़ने वाले हैं। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि मोदी को उनके गढ़ में घेरा जाए। यही कारण है कि चुनाव के ठीक पहले राहुल गांधी ने तुरुप का इक्का चलते हुए प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान दी है। हालांकि प्रियंका के लिए ये काफी बड़ी चुनौती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में मोदी मैजिक के अलावा योगी आदित्यनाथ का भी काफी मजबूत जनाधार है। दूसरी बड़ी चुनौती इस इलाके में कांग्रेस का खिसकता जनाधार। अधिकांश जिलों में कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं का अकाल है तो नेता गुटबाजी में उलझे हैं। ऐसे में इन्हें गोलबंद कर पाना प्रियंका के लिए टेढ़ी खीर की तरह है।

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