Varanasi News: भगवान मुरुगन को समर्पित नृत्य कवाड़ी अट्टम देख मुग्ध हुए दर्शक

Varanasi News: तमिलनाडु से आए कलाकारों की प्रस्तुतियां काशी वासियों को खूब लुभा रही हैं, तो वहीं काशी के संगीत, संस्कृति व आतिथ्य से तमिलनाडु से आए लोग भी बाग बाग दिख रहे हैं।

Written By :  Durgesh Sharma
Update:2022-12-01 18:04 IST

Varanasi News audience enjoyed Kavadi Attam dance dedicated to Lord Murugan (BHU)

Varanasi News: काशी तमिल समागम में सुंदर व मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला जारी है। तमिलनाडु से आए कलाकारों की प्रस्तुतियां काशी वासियों को खूब लुभा रही हैं, तो वहीं काशी के संगीत, संस्कृति व आतिथ्य से तमिलनाडु से आए लोग भी बाग बाग दिख रहे हैं। काशी तमिल संगमम् की सांस्कृतिक संध्या के सम्मानित अतिथि रहे गोपाल श्रीनिवासन, टीवीएस कैपिटल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, तथा प्रिकोल की अध्यक्ष वी. मोहन। गोपाल श्रीनिवासन ने कहा कि काशी तमिल संगमम् की परिकल्पना बहुत ही खूबसूरत हैं।

यहां संस्कृति, कला एवं विचारों का आदान प्रदान हो रहा है। वी. मोहन ने इस भव्य आयोजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। उन्होंने इस आयोजन को संस्कृति के विविध रंगों से सजाने के लिए आयोजकों व कलाकारों के सराहना की।

सांस्कृतिक संध्या में सर्वप्रथम पी. एस बोपथ्थी के निर्देशन में कवाड़ी आट्टम प्रस्तुत किया गया। यह नृत्य भगवान मुरुगन को समर्पित है। किसी भी तरह के संकट से बचाए रखने की प्रार्थना के साथ, नृत्य करते हुए अर्चक देवता को भेंट देते हैं।

इसके पश्चात तमिलनाडु से पधारे प्रसिद्ध गायक वेलमुरुगन ने तमिल लोक गीतों की प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति ने दर्शक दीर्घा में उपस्थित तमिलनाडु से आए अतिथियों के साथ-साथ सभी श्रोतागण को भी मंत्रमुग्ध कर दिया।

लोकगीतों के बाद, कलाकारों ने डी. श्रीधरन के निर्देशन में पम्बई, कई शिलाबट्टम प्रस्तुत किया। पम्बई , बेलनाकार ड्रम सरीखा वाद्ययंत्र होता है। तमिलनाडु के विभिन्न देवस्थानों एवं धार्मिक आयोजनों में इस वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है।

इसी वाद्ययंत्र के संगीत के साथ शिलाबट्टम प्रस्तुत किया गया। इसका उद्भव तमिलनाडु से ही हुआ है। एलवाझगङ्कर के निर्देशन में अगली प्रस्तुति कारागट्टम की रही। देवी मरियम्मा को समर्पित इस नृत्य में भरतनाट्यम की कई मुद्राओं को भी सम्मिलित किया जाता है। नृत्यों के बाद चक्रवर्ती, डॉ. थिरूवरूर भक्तवत्सलम एवं सहयोगी कलाकारों ने "लय-मधुरा" की प्रस्तुति दी।

इसके बाद तंजावुर तमिलनाडु से पधारे श्री टी. एस. मुरुगन, श्री मुरुगन संगीथा, बोम्मालाथा सबा ने कार्यक्रम में कठपुतली नाट्य प्रस्तुत किया। तमिलनाडु में इसे बोम्मालट्टम कहा जाता है। साथ ही साथ श्री सौरभ श्रीवास्तव ने गायन प्रस्तुत किया।

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