परमधर्म संसद में पहुंचे हजारों संत, काशी में टूट रहे मंदिरों को लेकर गुस्सा
राममंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस की धर्मसभा में भारी भीड़ जुटी। संतों ने एक सुर से मंदिर निर्माण के लिए आवाज बुलंद की। सरकार से कानून बनाने की अपील की। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी संतों का जुटान हुआ लेकिन यहां पर विषय थोड़ा अलग था। अयोध्या में जहां राम मंदिर निर्माण का मसला छाया था तो वहीं वाराणसी में विकास के नाम पर मंदिरों को तोड़े जाने के खिलाफ संतों ने हुंकार भरी।
वाराणसी: राममंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस की धर्मसभा में भारी भीड़ जुटी। संतों ने एक सुर से मंदिर निर्माण के लिए आवाज बुलंद की। सरकार से कानून बनाने की अपील की। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी संतों का जुटान हुआ लेकिन यहां पर विषय थोड़ा अलग था। अयोध्या में जहां राम मंदिर निर्माण का मसला छाया था तो वहीं वाराणसी में विकास के नाम पर मंदिरों को तोड़े जाने के खिलाफ संतों ने हुंकार भरी।
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परमधर्म संसद में जुटे देशभर के संत
द्वारिकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती की अगुवाई में परमधर्म संसद का आयोजन किया गया है। इसमें भाग लेने के लिए देशभर के कोने-कोने से हजारों की संख्या में संत पहुंचें। संसद के प्रथम सत्र में देशभर में विकास के नाम पर मंदिरों को धवस्त करने का मुद्दा छाया रहा। खासतौर से काशी में विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर के लिए जिस तरीके से सैकड़ों छोटे-बड़े मंदिरों को तोड़ा गया, उसे लेकर संतों में नाराजगी छाई थी। संसद के भीतर मन्दिरों के विध्वंस के खिलाफ मन्दिर रक्षा विधेयक प्रस्तुत किया गया, जिसे धर्मासंदों द्वारा ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
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कॉरीडोर के लिए तोड़े जा रहे मंदिर
दरअसल काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के आवागमन में आसानी के लिए गंगा तट से मंदिर के मुख्य द्वार तक एक कॉरीडोर बनाया जा रहा है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है। कॉरीडोर के लिए वाराणसी जिला प्रशासन ने 296 मकानों का अधिग्रहण किया है। इसके साथ ही दर्जनों मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। करीब 25 हजार वर्ग मीटर में बन रहे कॉरीडोर को बनाने पर लगभग 600 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है। मंदिर कॉरिडोर को 4 फेज में निर्माण कार्य कराए जाने हैं।
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गंगा को बचाने के लिए लिया गया संकल्प
दूसरे सत्र में पतित पावनी गंगा के निर्मलीकरण पर चर्चा हुई। संसद के अंदर गंगा रक्षार्थ विधेयक लाया गया। इस विधेयक में गंगा पर बने बांधों को तोड़ने का प्रस्ताव रखा गया। इस मौके पर जल पुरूष डॉ. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि विकास समाज के लिए आवश्यक तत्व है, लेकिन किसी कि भी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचा कर विकास की बात करना बेमानी है। काशी का सुनियोजित तरीके से विकास ना करके अपितु विकास के नाम पर देवालयों को ही ध्वस्त करना प्रारम्भ कर दिया गया है जो सर्वथा अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा की अविरलता की लड़ाई लड़ रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानन्द का अन्तिम दर्शन भी सरकार ने साजिशन नही करने दिया जो अत्यन्त क्षोभ का विषय है।