Varanasi News: नवरात्रि के पहले दिन शिव की नगरी में शक्ति की पूजा, काशी में विराजमान हैं मां दुर्गा के 9 स्वरूप
Varanasi News: बताया जाता है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है स्कंद पुराण में शैलपुत्री माता का जिक्र किया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने हिमालयराज की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए उनका नाम मां शैलपुत्री हुआ।
Varanasi News: भगवान शिव की नगरी काशी में नवरात्रि के पहले दिन शक्ति और सौभाग्य प्रदान करने वाली मां शैलपुत्री की पूजा हो रही है। दुनिया में काशी ही एकमात्र नगरी है जहां मां दुर्गा के 9 स्वरूप साक्षात विराजमान हैं। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री के पूजा का विधान है। वाराणसी के अलईपुर में माता शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर सिटी स्टेशन से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर है। मां शैलपुत्री खुद इस मंदिर में विराजमान हैं। मान्यता यह भी है कि वे वासंती और शारदीय नवरात्र के पहले दिन भक्तों को साक्षात दर्शन देती हैं।
सौभाग्य प्रदान करतीं हैं माता शैलपुत्री
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री है माता शैलपुत्री सौभाग्य की देवी मानी जाती है। सुहागिन महिलाओं के सौभाग्य को बढ़ाने वाली और पति की लंबी आयु की कामना के साथ 4 बजे भोर से ही लाइनों में लगकर सुहागिन महिलाएं दर्शन पूजन कर रहीं हैं। हर साल नवरात्रि के पहले दिन इस मंदिर में पैर रखने की भी जगह नहीं होती। यहां आकर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। मान्यता है कि मां शैलपुत्री हर मनोकामना को सुनती हैं और पूरा करती हैं। आज नवरात्रि के पहले दिन घरों में लोग कलश की स्थापना करते हैं और साथ ही 9 दिन तक पाठ करते हैं।
अति प्राचीन है मंदिर
बताया जाता है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है स्कंद पुराण में शैलपुत्री माता का जिक्र किया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने हिमालयराज की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए उनका नाम मां शैलपुत्री हुआ। महादेव की प्राप्ति के लिए काशी के वरुणा नदी के किनारे तप किया अपनी पुत्री को तप करते देख पिता शैलराज भी यहीं तप करने लगे। तभी से इस मंदिर के स्थान पर विराजमान हो गईं। यही वजह है कि यहां पर यह आलीशान प्राचीन मंदिर बना और हर नवरात्रि में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
मां शैलपुत्री के हैं कई नाम
हिमालय की गोद में जन्म लेने वाली मां का नाम इसलिए शैलपुत्री पड़ा। माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ है। यही वजह है कि उन्हें देवी 'वृषारूढ़ा' भी कहा जाता है। मां के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है। इस रूप को प्रथम दुर्गा भी कहा गया है मां शैलपुत्री को ही सती के नाम से भी जाना जाता है पार्वती और हेमवती भी इसी देवी रूप के नाम हैं।