Lok Sabha Election: PM मोदी की सीट पर मायावती का खेल! मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर अजय राय का फंसाया पेंच

UP Lok Sabha Election: बसपा मुखिया मायावती ने सपा नेता अतहर जमाल लारी को अपनी पार्टी में शामिल करके उन्हें वाराणसी सीट पर चुनाव मैदान में उतार दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-04-15 12:04 IST

Varanasi Lok Sabha Election (Photo: Social Media)

UP Lok Sabha Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव लड़ने के कारण वाराणसी लोकसभा सीट को देश में सबसे हॉट सीट माना जा रहा है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार वाराणसी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। सपा-कांग्रेस गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है और कांग्रेस ने इस सीट पर अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को प्रत्याशी बनाया है।

इस बीच बसपा मुखिया मायावती ने इस सीट पर बड़ा सियासी खेल कर दिया। सपा नेता अतहर जमाल लारी को अपनी पार्टी में शामिल करके मायावती ने उन्हें वाराणसी सीट पर चुनाव मैदान में उतार दिया है। लारी को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद मुस्लिम और दलित वोटों की गोलबंदी बसपा के पक्ष में होने की संभावना जताई जा रही है। सियासी जानकारों का मानना है कि मायावती के इस कदम से भाजपा को फायदा होने और अजय राय को बड़ा झटका लगने की संभावना है।

मायावती ने लारी को बनाया उम्मीदवार

वाराणसी संसदीय सीट की तस्वीर रविवार को साफ हो गई जब मायावती ने इस सीट को लेकर अपने पत्ते खोल दिए। अब इस सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और बसपा प्रत्याशी अतहर जमाल लारी से होगा। उल्लेखनीय बात यह है कि लारी ने रविवार को ही सपा से इस्तीफा दिया और शाम को बसपा ने उन्हें वाराणसी सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। बसपा के मंडल प्रभारी और पूर्व सांसद घनश्याम चंद्र खरवार ने प्रेस वार्ता के दौरान लारी को पार्टी का उम्मीदवार बनाए जाने का ऐलान किया।


वाराणसी में पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं लारी

वाराणसी संसदीय सीट के लिए अतहर जमाल लारी अनजान चेहरा नहीं हैः। बनारसी साड़ी उद्योग से जुड़े लारी छात्र जीवन से ही राजनीति के मैदान में सक्रिय रहे हैं। पहली बार उन्होंने 1984 में जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। इसके बाद 1991 व 1993 में उन्होंने जनता दल उम्मीदवार के रूप में कैंट विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा था। अपना दल के टिकट पर वे 2004 में वाराणसी में लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। 2012 में उन्होंने कौमी एकता दल के उम्मीदवार के रूप में वाराणसी दक्षिणी सीट पर चुनाव लड़ा था।


अजय राय पर लारी का तीखा हमला

बसपा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद लारी ने इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अजय राय वाराणसी सीट पर कई बार चुनाव लड़ चुके हैं और उनकी कई बार जमानत जब्त हो चुकी है। ऐसे में उन्हें मैदान छोड़कर मुझे समर्थन देना चाहिए। लारी ने कहा कि अब वाराणसी सीट पर लड़ाई बाहरी बनाम लोकल की है। उन्होंने यह भी दावा किया कि वाराणसी में सपा प्रत्याशी न होने के कारण मुसलमानों और दलितों का पूरा समर्थन उन्हें ही हासिल होगा।


मायावती ने कर दिया बड़ा सियासी खेल

लारी को वाराणसी लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाकर माया बसपा मुखिया मायावती ने बड़ा सियासी खेल कर दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि मायावती का यह कदम पीएम मोदी को और मजबूत बनाएगा और इससे इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल मुस्लिम वोट बैंक पर समाजवादी पार्टी की मजबूत पकड़ मानी जाती है मगर कांग्रेस से गठबंधन होने के कारण वाराणसी में सपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है।

ऐसे में माना जा रहा है कि बसपा प्रत्याशी के रूप में लारी मुस्लिम वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी कर सकते हैं जिससे अजय राय को झटका लग सकता है। बसपा प्रत्याशी होने के कारण दलित और पिछड़े मतदाताओं का भी समर्थन उन्हें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में अजय राय की सियासी राह और मुश्किल हो गई है।


मोदी के खिलाफ तीसरी बार उतरे हैं अजय राय

वाराणसी संसदीय सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए उतरे हैं। इस सीट पर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने पीएम मोदी को चुनौती दी थी मगर दोनों बार उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अजय राय को 75,614 मत मिले थे।

इस चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दूसरे और अजय राय तीसरे नंबर पर रहे थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अजय राय को 1,52,548 वोट मिले थे और इस चुनाव में भी वे तीसरे स्थान पर रहे थे। सपा प्रत्याशी शालिनी यादव दूसरे नंबर पर रही थीं। अब शालिनी यादव भाजपा में शामिल हो चुकी हैं।

इस बार फिर कांग्रेस ने अजय राय को ही पीएम मोदी को चुनौती देने के लिए सियासी अखाड़े में उतारने का फैसला किया है। सपा-कांग्रेस गठबंधन का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद अजय राय इस बार प्रधानमंत्री मोदी को कड़ी चुनौती देने की बात कह रहे हैं मगर बसपा मुखिया मायावती ने उनकी सियासी राह में कांटे बो दिए हैं


भाजपा का गढ़ मानी जाती है वाराणसी सीट

वैसे वाराणसी संसदीय सीट पर भाजपा को चुनौती देना विपक्ष के लिए काफी मुश्किल माना जा रहा है। वाराणसी संसदीय क्षेत्र 1991 से ही भाजपा का गढ़ रहा है। इस संसदीय सीट पर 1991 के बाद सिर्फ 2004 में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था जब कांग्रेस प्रत्याशी राजेश मिश्रा को जीत हासिल हुई थी।

राजेश मिश्रा अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय से उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा है। वाराणसी में 2004 के चुनाव के अलावा 1991 से 2019 तक लगातार भाजपा को ही जीत हासिल होती रही है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने इस संसदीय सीट पर बड़ी जीत हासिल की थी।


इस बार भी पीएम मोदी की स्थिति काफी मजबूत

इस बार भाजपा ने अपनी पहली सूची में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम वाराणसी संसदीय सीट से घोषित कर दिया था। पहले सपा ने इस सीट पर पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया था मगर गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में जाने के बाद पटेल की उम्मीदवारी वापस ले ली गई थी।

अब इस सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय और बसपा प्रत्याशी अतहर जमाल लारी के बीच मुकाबला होगा। वैसे पीएम मोदी की स्थिति दोनों विरोधी उम्मीदवारों की अपेक्षा पहले ही काफी मजबूत मानी जा रही है।



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