Durga Puja in Varanasi: पंचमेवा से बनी दुर्गा प्रतिमा रहेगी आकर्षण का केंद्र

Durga Puja in Varanasi: इस बार माता को कपड़े का वस्त्र की जगह पंचमेवा का वस्त्र पहनाया जा रहा है। लगभग एक कुंतल पंचमेवा से मां का वस्त्र बनाया जा रहा है और सफेद तिल से बनी मूर्तियां श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है तो पंडाल भी चन्द्रयान की थीम पर बनाये जा रहे है।

Update: 2023-10-16 09:02 GMT

durga puja in varanasi (photo: social media )

Durga Puja in Varanasi: शारदीय नवरात्र को लेकर देवाधिदेव शिव की नगरी काशी में धूम मची हुई है। चारों तरफ मां के पूजा पंडाल और मूर्ति बनाने का कार्य काफी तेजी से चल रहा है। वाराणसी-शारदीय नवरात्र के शुरू होते ही महादेव की नगरी काशी मिनी कोलकाता में बदल जाती है। एक ओर माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रुपों वाली मंदिरों में भक्तों की भीड़ तो दूसरी ओर दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पंडालो के साथ मूर्तिया बनाने का काम अंतिम चरण में है। इस बार माता को कपड़े का वस्त्र की जगह पंचमेवा का वस्त्र पहनाया जा रहा है। लगभग एक कुंतल पंचमेवा से मां का वस्त्र बनाया जा रहा है और सफेद तिल से बनी मूर्तियां श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है तो पंडाल भी चन्द्रयान की थीम पर बनाये जा रहे है।

सप्तमी को होगी मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रो में मिलाकर सैकड़ों से ज्यादा पंडालों में मूर्तियां सप्तमी को स्थापित की जाती है। वही मूर्तिकारों द्वारा बनाई जा रही मूर्तियां काफी भव्य और आकर्षक बनाई जा रही है। माता की मूर्ति छठवीं तिथि को पूजा पंडालों में पहुंच जाती है। इसके बाद विधि विधान के साथ मंत्र उच्चारण और जयकारे के बीच माता का सप्तमी के दिन प्राण प्रतिष्ठा पूजा पंडालों में किया जाता है। हालांकि एकाध पंडालों में शारदीय नवरात्र के पहले दिन ही मूर्तिया स्थापित कर दी जाती है। वहीं इस बार दुर्गा पूजा का आयोजन पूरी तरह भव्य रूप से आयोजित हो रहा है। जिसके चलते मूर्तियों की मांग भी ज्यादा होने से शिल्पकारों के चेहरे भी खिल उठे है।

इको फ्रेंडली पंचमेवा और तिल की मूर्तियां आकर्षण का केंद्र

खोजवा निवासी शीतल चौरसिया ने बताया कि इस बार हम लोग इको फ्रेंडली मूर्ति बना रहे हैं। हम कई प्रकार की मूर्ति बना रहे हैं। जिसमें पंचमेवा से बनी मूर्ति, किरकिरी से बनी मूर्ति, सफेद तिल से बनी मूर्ति, सुतली से बनी मूर्ति, पुआल से बनी मूर्ति इस बार आकर्षण का केंद्र है। इसमें उपयोग होने वाली गहने कोलकाता से मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि हमारे पास 20 से 21 मूर्तियां बनाया जा रहा है। महंगाई बढ़ने के साथ ही लोगों द्वारा अब हम कलाकारों को कम पैसे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह से शासन और प्रशासन का आदेश मिलता है उसी प्रकार से हम लोग मूर्तियों का निर्माण करते हैं। इसमें माता के गाने कमल गट्टा से बनाया गया है इसके साथ ही रुद्राक्ष का भी दोनों में प्रयोग किया गया है। इन मूर्तियों को बनाने के लिए 6 से 7 की संख्या में हम लोग लगे हुए हैं।

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