Varanasi News: मां दुर्गा की मूर्तियों पर पड़ी महंगाई की मार, 30 फीसदी तक बढ़ी लागत
Varanasi News: इस बार महंगाई ने इन मूर्तिकारों की कमर तोड़ दी है। जहां प्रतिमाओं को बनाने के लिए मैटेरियल लेना महंगा पड़ रहा है। बाजार में इसका दाम तय करने में भी समस्या आने वाली है।
Varanasi News: काशी को मिनी बंगाल भी कहा जाता है क्योंकि दुर्गा पूजा पर होने वाले दुर्गोत्सव में वाराणसी की दुर्गा माता की प्रतिमाएं बंगाल की तरह ही दिव्य और काफी भव्य होती हैं। नवरात्र शुरू होने पर पूरा बनारस दुर्गोत्सव के लिए तैयार है। मगर इस बार मूर्तिकारों को तकलीफ है वो तकलीफ बढ़ी हुई महंगाई की है। जिसमें दुर्गा प्रतिमा बनाने में मूर्तिकारों को इस बार तीन गुना लागत अधिक खर्च करना पड़ है। वाराणसी में दुर्गा पूजा पर दुर्गा माता की प्रतिमाएं दिव्य और भव्य बनाई गई हैं। बता दें कि 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र के दौरान जिले में 284 स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाओं को प्रतिष्ठापित की जानी है।
बंगाल से वाराणसी आए मूर्तिकार ही यहां पर दुर्गा मां की प्रतिमाओं का निर्माण करते हैं। हर साल की तरह इस साल भी मूर्तिकारों ने अपनी पूरी तैयारियां कर ली हैं। नवरात्र की धूम में मूर्तिकारों के चेहरे पर मुस्कुराहट जरूर है लेकिन उनके चेहरे पर पुरानी रौनक गायब है। वे खुश हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार महंगाई ने इन मूर्तिकारों की कमर तोड़ दी है। जहां प्रतिमाओं को बनाने के लिए मैटेरियल लेना महंगा पड़ रहा है। वहीं बाजार में इसका दाम तय करने में भी समस्या आने वाली है। हालांकि मूर्तियों के दाम पर ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है।
वंशी पाल के नाम से प्रसिद्ध है मूर्ति का कारखाना
मूर्तिकार चितरंजन पाल ने बताया कि यह हम पिछले पांच पुस्तकों से मूर्ति बनाने का कार्य कर रहे हैं हमारा पूरा परिवार मिलकर मूर्ति बनाता है जिसमें मां दुर्गा की प्रतिमा माता सरस्वती की प्रतिमा भगवान गणेश भगवान कार्तिक और रक्षा की प्रतिमा बनाई जाती है या हम दो से तीन महीने पूर्व से ही मूर्ति बनाने की तैयारी प्रारंभ कर देते हैं। दिन प्रतिदिन महंगाई बढ़ती जा रही है जिससे इसमें उपयोग होने वाली वस्तुओं के दाम भी बढ़ते जा रहे हैं। हम लोग पूरे परिवार से इस कार्य को करते हैं किसी भी प्रकार के बाहरी मजदूर नहीं रखते।
तीस फीसदी तक बढ़ गई है लागत
इसबार प्रतिमाओं के निर्माण की लागत बीते तीन साल में तीस फीसदी तक बढ़ गई है। यही नहीं, पिछले साल प्रतिमा निर्माण में एक व्यक्ति को 500 रुपये रोज मजदूरी दी जा रही थी। इस बार 800 रुपये रोजाना देने पड़ रहे हैं। बांस की कीमत 150 से 250 रुपये हो गया है। पुआल पहले एक कुंतल 500 रुपये का था। अब 1000 का हो गया है। सुतली की कीमत 80 रुपये से 140 रुपये हो गयी है।
औसतन 40 हजार रुपये आ रहा खर्च
आपको बता दें कि दुर्गा प्रतिमा बनाने में प्रयोग होने वाले उत्पादों के दाम बढ़ गए हैं। ऐसे में अलग-अलग शैली की प्रतिमाएं बनाने में अधिक खर्च आ रहा है। शिल्पकारों-मूर्तिकारों के मुताबिक मध्यम आकार की अजंता अथवा ओरियंटल शैली की एक प्रतिमा बनाने में औसतन खर्च 40 हजार रुपये तक आ रहा है। उनका यह भी कहना है कि रंग-पेंट और ब्रश की कीमतें भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। इनका खर्च भी अधिक आता है।