Baba Kashi Vishwanath: श्री अयोध्या जी में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व पीठिका है काशी की संस्कृति संसद
Baba Kashi Vishwanath Rudrabhishek: 500 से अधिक महामंडलेश्वर और संत आज बाबा विश्वनाथ का करेंगे रुद्राभिषेक। राम जन्मभूमि आंदोलन के 492 वर्षों के संघर्ष में बलिदान हुए हिंदुओं के लिए रुद्राभिषेक।
Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha: वह सन्यासी हैं। संवेदनशील हैं। संघर्षशील हैं। क्रांतिवीर हैं। ऊर्जावान हैं। राष्ट्रवन्दना के अप्रतिम गायक हैं। भगवान आद्यशंकराचार्य की ज्योतिर्पीठ पर विराजमान शंकराचार्य भगवान स्वामी वासुदेवानंद जी सरस्वती के उत्तराधिकारी हैं। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री हैं। महामना की श्रीगंगामहासभा के राष्ट्रीय महामंत्री हैं। ओजस्वी एवं प्रखर राष्ट्रवादी वक्ता है। विद्वान हैं। सनातन संस्कृति के अध्येता हैं। भगवान भास्कर की स्वर्णिम रश्मियों सी तेजस्वी ज्योतिपुंज के साथ सनातन संत परपम्परा के प्रज्जवलित नक्षत्र हैं। वह स्वामी जीतेन्द्रानन्द जी सरस्वती हैं। स्वामी जी के नेतृत्व में आज से काशी में संस्कृति संसद 2023 का आरंभ हो रहा है। श्रीराम जन्म भूमि की मुक्ति के लिए चले 492 वर्षों के संघर्ष में जितने भी सनातनी बलिदान दिए उन सभी की आत्मशांति के लिए काशी में आज शाम को देश के 500 महामंडलेश्वर और संत एक साथ बाबा विश्वनाथ का रुद्राभिषेक करेंगे। यह अद्भुत होने वाला है। ऐसा पहली बार हो रहा है। यह श्री अयोध्या जी में श्री राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा की पूर्व पीठिका है।
आज से काशी में चार दिनों का वैश्विक सनातनी अनुष्ठान शुरू हो रहा है। अखिल भारतीय संत समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, अखिल भारतीय गंगाहासभा और श्रीकाशी विद्वतपरिषद के संयुक्त तत्वावधान में यह सनातन सारस्वत यज्ञ आज से शुरू हो रहा है। इस अवसर पर स्वामी जीतेंद्रानंद जी से खास बात करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। प्रस्तुत हैं उसी बातचीत के प्रमुख अंश_
प्रदेश के अति पिछड़े जिले कुशीनगर के अंतिम छोर पर स्थित खड्डा तहसील क्षेत्र के ग्राम रामपुर गोनहा में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे जितेंद्र पाठक ऐसे तत्व मर्मज्ञ हैं, जो अपनी योग्यता एवं समाजसेवी स्वभाव के बल पर आज जितेंद्रानंद सरस्वती के नाम से विख्यात है। जितेन्द्रानंद सरस्वती की प्रारंभिक शिक्षा खड्डा के भारतीय शिशु मंदिर में हुई। स्नातक की शिक्षा उन्होंने उदित नारायण डिग्री कॉलेज पडरौना से ली। इसी के बाद वह आरएसएस के संपर्क में आये और प्रचारक बन गए ।
प्रचारक रूप में उन्होंने बनारस और सोनभद्र जिले का कार्य संभाला। गांव-गांव गली-गली घर घर लोगों के अंदर हिंदुत्व की भावना जागृत की। इसी बीच महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के पौत्र व सुप्रीम कोर्ट के जज गिरधर मालवीय के संपर्क में आने के बाद जितेंद्रानंद सरस्वती गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री हो गए ।अविरल मोक्षदायिनी गंगा को स्वच्छ सुंदर बनाने के लिए उन्होंने गंगा स्वच्छता आंदोलन का बिगुल बजा दिया ।निरंतर एक के बाद एक कार्यक्रमों के माध्यम से सोए हुए तंत्र को जागृत कर गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहे। संगम तट पर इलाहाबाद में एक कॉलोनी के निर्माण के दौरान गंगा को प्रदूषित करने की संभावना पर उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर निर्माण कार्य रोके जाने की याचिका दायर की। जिसका अधिवक्ता संघ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहृदय स्वागत किया। न्यायालय ने आदेश जारी कर कॉलोनी के निर्माण पर रोक लगा दिया।
इसी बीच डंडी स्वामी ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती के संपर्क में आकर ज्ञान अर्जित कर उनके शिष्य बन गए और डंडी स्वामी हो गए। अभी उनका सफर यहीं नहीं थमा । कुछ कर दिखाने की प्रतिभा मन में सजाएं जितेंद्रानंद सरस्वती ने अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री बनकर दुनिया का मार्गदर्शन किया और संतों को सहेजने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति को जीवंत करने के लिए अपने यात्रा को अनवरत जारी रखते हुए विलुप्त हो चली सभ्यता परंपरा को जीवंत करने के लिए दिन रात एक कर दिया। इनकी प्रतिभा और समर्पण के देखते हुए विश्व हिंदू परिषद के उच्च अधिकार समिति का सदस्य बनाया गया।
स्वामी जीतेंद्रनंद सरस्वती जी श्री राम मंदिर आंदोलन के अग्रिम कतार के समाजसेवियों में अपना नाम दर्ज कराते हुए दिसंबर 2018 में धर्म आदेश रैली के संयोजक बने जिसमें देश के सभी प्रमुख संतो को साथ लेकर इस कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाया। 1990 में शिला पूजन के दौरान राम जन्मभूमि आंदोलन के समय इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।एक दिन देवरिया जेल में रहने के उपरांत इन्हें उनके साथियों के साथ 1 माह 14 दिन के लिए बस्ती जेल भेज दिया गया।
स्वामी जी आज बहुत उत्साहित हैं। उनकी सनातन की स्थापना की यात्रा को अब गति मिली है। वह कहते हैं, श्रीराम मंदिर का निर्माण अभी आंदोलन का प्रारंभ है। काशी में भगवान विश्वनाथ जी और मथुरा में योगेश्वर श्रीकृष्ण की भूमि को मुक्त करना प्राथमिकता में है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को सनातन का महायोद्धा बताते हुए वह कहते हैं कि मोदी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प के कारण ही भारत विश्वगुरु बन रहा है। आज दुनिया केवल अयोध्या पर नजर लगाए है । श्री अयोध्या जी से ही अब नए विश्व का निर्माण शुरू हो रहा है।
बातचीत का सिलसिला लंबा है। लेकिन अतिव्यस्त स्वामी जी आशीर्वाद देते हुए मंत्र गाने लगते है -
लोकाभिरामं रणरंगधीरं
राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं
श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।
जय श्रीसीताराम।।
(लेखक संस्कृति संसद के साथ सक्रिय तौर पर जुड़े हैं।)