Gyanvapi Case: वाराणसी जिला अदालत का बड़ा फैसला, व्यासजी तहखाने में हिंदू पक्ष को नियमित पूजा का दिया अधिकार

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला कोर्ट ने हिंदू पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने व्यासजी तहखाने में हिंदू पक्ष को नियमित पूजा का अधिकार दिया है। इसे हिंदू पक्ष की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

Report :  aman
Update: 2024-01-31 09:53 GMT

Gyanvapi Case (Social Media)

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में बुधवार (31 जनवरी) को वाराणसी जिला कोर्ट ने हिंदू पक्ष को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ज्ञानवापी में व्यासजी तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दिया है। इसे हिंदू पक्ष की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार (31 जनवरी) को हिंदू पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया। ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने का अधिकार दिया है। कोर्ट ने जिला प्रशासन को बैरिकेडिंग में 7 दिन के भीतर व्यवस्था कराने का आदेश दिया है। ये तहखाना ज्ञानवापी परिसर में है। 

30 साल बाद फिर होगी पूजा-अर्चना होगी

कोर्ट के आदेश के बाद अब यहां नियमित पूजा-अर्चना होगी। काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड (Kashi Vishwanath Trust Board) की ओर से पूजा-अर्चना करवाई जाएगी। हिंदू पक्ष ने इसे बड़ी जीत बताया है। 30 साल बाद न्याय मिलने का दावा किया है। बता दें, नवंबर 1993 तक यहां पूजा-पाठ होता रहा था। 

शैलेंद्र कुमार पाठक ने दी थी याचिका

गौरतलब है कि, वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास तहखाना में पूजा-पाठ का अधिकार देने की मांग वाली शैलेंद्र कुमार पाठक की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई थी। जिसके बाद जिला जज ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। इसी पर आज फैसला आया है।

व्यास जी के तहखाने को DM की सुपुर्दगी में दी गई

याचिकाकर्ता शैलेंद्र कुमार पाठक के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन (Vishnu Shankar Jain), सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी और दीपक सिंह ने अदालत में दलील पेश की। उन्होंने कहा कि, उनकी तरफ से दिए गए आवेदन के एक भाग को कोर्ट ने पहले ही स्वीकार कर लिया है। इसके तहत, व्यास जी के तहखाने को जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में दे दिया गया है। हमारा दूसरा अनुरोध है कि जो बैरिकेडिंग नंदी जी के सामने की गई है। उसे खोलने की अनुमति दी जाए। 

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी का विरोध 

कोर्ट से मांग की गई थी कि, व्यास जी के तहखाने में वर्ष 1993 के पहले जैसे पूजा के लिए आदेश दिए जाएं। इस पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी (Anjuman Intezamia Masajid) की तरफ से वकील मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि, 'व्यास जी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है। वहां पूजा की अनुमति नहीं दी जा सकती। ये मुकदमा पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम से बाधित है'। 

'वह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है'

इंतजामिया कमेटी की तरफ से दलील में ये भी कहा गया कि, 'व्यास जी तहखाना मस्जिद का हिस्सा है। वह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। लिहाजा, वहां पूजा-पाठ की अनुमति न दी जाए।' अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश आज के लिए सुरक्षित रखी थी।'

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