Varanasi : वाराणसी घाट पर मिली 'स्ट्रीट डॉगी' जया जाएगी नीदरलैंड, कभी गलियों में घूमती थी...यूं बदली किस्मत

Varanasi News: घायल हालत में मीरल ने जया के मदद के लिए एक स्थानीय एनजीओ को फोन किया था। जिसके बाद उसका इलाज किया गया। कुछ दिन बाद जब जया ठीक हुई तो मीरल ने उसे अपने साथ नीदरलैंड ले जाने की सोची। 

Update: 2023-10-26 14:55 GMT

'स्ट्रीट डॉगी' जया के साथ नीदरलैंड की मिरल (Social Media)

Varanasi News: वाराणसी की गलियों और घाट पर घूमने वाली 'स्ट्रीट डॉग' की किस्मत अचानक बदल गई। जया नाम की स्ट्रीट डॉग (Street Dog Jaya) अब नीदरलैंड (Netherlands) जा रही है। इसके लिए सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। गुरुवार (26 अक्टूबर) को नीदरलैंड की रहने वाली विदेशी महिला मीरल के साथ वो वाराणसी से दिल्ली के लिए रवाना हो रही है। बताते चलें कि जया को नीदरलैंड जाने के लिए 'फिट टू फ्लाई सर्टिफिकेट' भी मिला है। 

एक 'स्ट्रीट डॉगी' की किस्मत इस तरह बदल जाएगी, ऐसा किस्से-कहानियों में देखने-सुनने को मिलता था। जया, मिरल के साथ 31 अक्टूबर को नीदरलैंड के लिए रवाना होगी। जया को लेने खुद मिरल वाराणसी आई। उन्होंने जया को देखकर खुशी जाहिर की। 

विदेशी नागरिक को कहां मिली थी 'जया' 

वाराणसी घूमने आए विदेशी पर्यटकों को दो स्ट्रीट डॉग पसंद आए। इटली की रहने वाली वीरा लज्जारेती ने मोती और नीदरलैंड की रहने वाली मिरल ने जया को पसंद किया। ये दोनों काशी में कुछ समय बिताने आई थीं। जहां एक हादसे के बाद इन दोनों की दोस्ती डॉगी से हो गई। फिर इन लोगों ने इन्हें साथ रखने का फैसला किया।

मोती इटली तो जया नीदरलैंड पहुंचेगी

स्ट्रीट डॉग को साथ ले जाने के लिए दोनों ने एनिमोटल संस्था के संदलीप सेन गुप्ता से संपर्क किया। आपको बता दें, संदीप की संस्था वाराणसी में कुत्तों की देखभाल और उन्हें डोनेट करने का काम करती है। इसी संस्था ने दोनों डॉगी के सारे पेपर वर्क पूरे करवाए हैं। अब यही संस्था दोनों डॉगी को बाहर भेजे रही है। दोनों डॉगी में मोती इटली जा चुकी हैं, अब कुछ ही दिन में जया नीदरलैंड पहुंच जायेंगी।

दिल्ली में मिलेगा इंटरनेशनल फिटनेस सर्टिफिकेट

संदीप ने बताया कि, जया को ले जाने के लिए मीरल के देश नीदरलैंड से ग्रीन चिट मिल चुका है। इसके लिए एक कार्ट आता है, जिसमें जया ट्रैवेल करेगी। वो कार्ट हमारे पास आ चुका है। इसके साथ ही मीरल भी वाराणसी आ गई। 26 अक्टूबर यानी आज मिरल और जया दिल्ली जाएंगी।‌ वहां पर क्वारंटीन ऑफिस जाकर फाइनल इंटरनेशनल फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा। इसका अपॉइंटमेंट उन्होंने ले लिया है। इसके बाद 31 अक्टूबर की रात नीदरलैंड की फ्लाइट हैं।  

पुर्तगाल के लैब में हुई है सैंपल की जांच

आवारा कुत्तों के लिए संस्था चलाने वाले संदीप बताते हैं कि, 'विदेश जाने के लिए जया को लंबी कानूनी प्रकिया से गुजरना पड़ा है। पुर्तगाल के लैब में जया के ब्लड का सैम्पल भेजा गया था। जहां उसके रेबीज से पुष्टि संबंधित जांच हुई। जांच रिपोर्ट आने के बाद उसे नीदरलैंड आने की अनुमति दी गई।'

कैसे हुई डॉगी जया और मीरल की मुलाकात? 

संदीप बताते हैं, 'मीरल को डॉगी जया 6 माह पहले मिली थीं। तब उसे दरभंगा घाट पर कुछ कुत्ते जया को दौड़ा रहे थे। वो लोग बार-बार जया पर हमला भी कर रहे थे। मीरल ये सब देख रही थीं। उन्होंने कुछ लोगों की मदद से उन कुत्तों को तो भगा दिया। मगर, कुत्तों के हमले में जया बुरी तरह से घायल हो गई थी। तब मीरल ने आसपास के लोगों से मेरी संस्था का नंबर लिया। उन्होंने हम लोगों को फोन कर दरभंगा घाट आने को कहा। उन्होंने बताया, यहां कुछ कुत्तों ने एक डॉगी को नोचा है। उसके कान, पीठ और पेट से खून निकल रहा है। हम लोग मीरल की बात सुनकर तुरंत पहुंचे। जहां मीरल जया के पास ही बैठी थीं। वो उसको पानी पिला रही थीं।' घायल अवस्था में मीरल ने उसके मदद के लिए एक स्थानीय एनजीओ की को फोन किया.जिसके बाद उसका इलाज किया गया. कुछ दिन बाद जया ठीक हो गई फिर मीरल ने उसे अपने साथ नीदरलैंड ले जाने की सोची।

डॉगी को बाहर भेजने से पहले इन प्रोसेस को करना पड़ता है पूरा-

1- वैक्सीनेशन

एंटी रैबीज : डॉगी को बाहर भेजने से पहले उनको एंटी रैबीज इंजेक्शन के 2 डोज दिए जाते हैं। जिससे उनके शरीर के सारे कीटाणु खत्म हो जाएं। उनकी बॉडी पूरी तरह से क्लीन हो जाए। ये टीके 1 महीने के अंदर लगा दिए जाते हैं।

• ये वैक्सीन डॉगी की पेट संबंधित बीमारियों को दूर करता है। इसको लगाने से डॉगी का पेट बिल्कुल साफ हो जाता है। 3 महीने में इस वैक्सीन के 3 डोज डॉगी को दिए जाते हैं।

2- हेल्थ सर्टिफिकेट: कुत्तों को बाहर भेजने से पहले उनका एक हेल्थ सर्टिफिकेट बनाया जाता है। जिसमें उनके कुछ टेस्ट, वजन और हाइट के बारे में लिखा जाता है अगर डॉगी को कोई बीमारी है, तो वो भी सर्टिफिकेट में लिखी जाती है।

3- ट्रेनिंग: कुत्तों को बाहर भेजने से पहले उनको ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें उनको फ्लाइट में बैठने का तरीका सिखाया जाता है। साथ ही उनको रनिंग और जंप भी करवाई जाती है, क्योंकि विदेश जाने पर डॉगी का हेल्थ चेकअप और फिटनेस चेकअप किया जाता है।

4- माइक्रो चिप : बाहर जाने वाले डॉगी के गले के पास एक माइक्रो चिप को इंजेक्ट कर दिया जाता है। इसमें 15 नंबर का कोड लिखा होता है। चिप पर डॉगी के मालिक की जानकारी होती है। साथ ही डॉगी के बारे में भी जानकारी होती है। चिप को स्कैन करते ही सारी डिटेल खुल जाती है। जिसको मैच कराने के बाद डॉगी को उसके मालिकों के साथ जाने दिया जाता है।

5- ब्लड टेस्ट: जिस भी देश में डॉगी को भेजा जा रहा होता है वहां पर उस डॉगी का ब्लड भेजा जाता है। जहां पर डॉगी का ब्लड टेस्ट होता है। जब वहां की डॉक्टरों की टीम क्लीन चिट दे देती है। उसके बाद यहां आगे का प्रासेस शुरू करवाया जाता है।

6- स्पेशल कार्ड : बाहर जाने वाले डॉगी का स्पेशल कार्ड भी बनता है। इसमें डॉगी की फोटो लगी होती है। साथ ही उसकी और उसके मालिक की भी पूरी डिटेल उसमें लिखी होती है। ये कार्ड डॉगी के साथ जाता है। इसकी जानकारी माइक्रो चिप के साथ मैच कराई जाती है।

7- पेपर वर्क: इंसानों की तरह जानवरों को भी बाहर जाने के लिए पेपर वर्क का काम होता है। ये सबसे ज्यादा जरूरी होता है। एक जानवर को विदेश भेजने में लगभग 25-30 हजार रुपए का खर्चा आता है। ये प्रॉसेस पूरे करने के बाद डॉगी को विदेश भेजा जा सकता है। मोती को लेने के लिए वीरा विदेश से भारत आएंगी और साथ ले जाएंगी। वहीं पेपर वर्क पूरा होने के बाद नीदरलैंड से मिरल आएंगी और जया को ले जाएंगी।

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