विधानसभा का विशेष सत्र 18 अक्टूबर को: क्या आपको पता है यूपी विधानभवन के निर्माण में लगे थे छह वर्ष और खर्च हुए थे 21 लाख
Vidhansabha ka Vishesh Satr : विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। जिसमें देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का संबोधन इसे ऐतिहासिक बनाने का काम करेगा।
Vidhansabha ka Vishesh Satr : उत्तर प्रदेश की विधानसभा (Vidhansabha) अपने अतीत की सुनहरी यादों को लेकर एक बार फिर इतराने को तैयार है। आगामी 18 अक्टूबर को विधानसभा का विशेष सत्र (Vidhansabha ka Vishesh Satr) बुलाया जा रहा है। जिसमें देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) का संबोधन इसे ऐतहासिक बनाने का काम करेगा।
उत्तर प्रदेश लेजेस्लिेटिव कौंसिल (Legislative Council) की शुरुआत में अपना कोई भवन नहीं था। इसलिए विधानमंडल की कुल चार बैठकें भिन्न-भिन्न नगरों के 11 भवनों में हुई। बाद में सदस्यों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 27 जनवरी 1920 में एक बड़े भवन की जब आवश्यकता हुई तो लखनऊ में ही एक बड़े भवन के निर्माण का निर्णय लिया गया।
इसके बाद 21 दिसम्बर, 1922 को विधानभवन का शिलान्यास तत्कालीन गर्वनर हरकोर्ट बटलर ने किया। मिर्जापुर से लाए गए पत्थरों से बनी देश की खूबसूरत इमारतों में से एक यूपी विधानभवन बनने में छह वर्ष लग गए। इस भवन का निर्माण कलकत्ता की कंपनी मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी की ओर से किया गया था। इसके मुख्य आर्किटेक्ट सर रिवनोन जैकब तथा हीरा सिंह थे।
उस समय इसके निर्माण में 21 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे। इस भवन की स्थापत्य शैली यूरोपियन और अवधी निर्माण की मिश्रित शैली है। भवन के अन्दर अनेक हाल एवं दीर्घाए हैं , जो आगरा और जयपुर के संगमरमर से निर्मित हैं। ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए मुख्य द्वार के दाहिने और बाईं ओर अत्यन्त सुन्दर शैली में संगमरमर की निर्मित गोलाकार सीढिय़ां बनी हैं।
इसके अष्टभुजाकार मंडप की छत गुम्बद के रूप में है। इस मंडप के अन्दर पंख फैलाए नृत्य करते हुए राष्ट्रीय पक्षी मोर के चित्र को बहुत ही भव्य ढंग से उकेरा गया है। वर्तमान विधानभवन के निर्माण के बाद 27 फरवरी, 1928 से विधानमंडल की बैठकें इसी भवन में हो रही हैं। इसके अलावा विधानपरिषद की बैठकों का प्रस्ताव जुलाई 1935 में हुआ जिसके निर्माण का कार्य मेसर्स फोर्ड एंड मैकडानाल्ड को सौंपा गया।
मुख्य वास्तुविद एएम मार्टिनर द्वारा एक्सटेंशन भवन का निर्माण कराया गया जो लोकनिर्माण विभाग की देख रेख में नवम्बर, 1937 में पूरा हुआ। विधानपरिषद का यह भवन मुख्यभवन के दोनों ओर बनाए गए कमरों एवं बरामदों से जुड़ा हुआ है।
दो साल पहले भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती (दो अक्टूबर)के अवसर पर विशेष सत्र बुलाया गया था। जो लगातार 48 घंटे चला था। इसके बाद साल 2019 में भारतीय संविधान को अंगीकृत करने के अवसर पर यूपी विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र 26 नवम्बर को आयोजित किया गया था। इस दिन सभी दलों के अधिकतर विधायकों को सदन में अपनी बात रखने का अवसर दिया दिया गया था। जिसमें कई विधायकों ने संविधान के बारे में अपने विचार रखें थें। इस विशेष सत्र में समवेत दोनों सदनों को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का अभिभाषण भी हुआ था।
इसके पहले पिछली अखिलेश सरकार के दौरान भी यूपी विधानसभा ने 2012 में 6 से 8 जनवरी, 2013 को उत्तरशती (125 वर्ष) रजत जयन्ती समारोह मनाया था। इसमें इस सदन के पूर्व सदस्यों नारायणदत्त तिवारी व मुलायम सिंह यादव समेत कई अन्य माननीयों को सम्मानित किया गया था।
जबकि तिथियों को लेकर कुछ अन्तर्विरोधों के चलते 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और विधानसभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी के कार्यकाल में इलाहाबाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल स्थापना का उत्तरशती समारोह मनाया जा चुका था। मायावती के मुख्यमंत्रित्वकाल में 29 जुलाई, 1997 को यूपी विधानसभा ने हीरक जयन्ती समारोह का आयोजन किया था। यूपी विधानसभा ने 1987 में स्वर्ण जयन्ती समारोह का आयोजन किया था जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी मुख्य अतिथि के तौर पर यहां आए थे।