Sonbhadra News: ब्लैक डायमंड तस्करी में नया खुलासा, MP जाने वाला कोयला पहुंच रहा वाराणसी के चंदासी मंडी

Sonbhadra News: स्थिति को देखते हुए पुलिस उप महानिरीक्षक/एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह की तरफ से एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है।

Published By :  Monika
Update:2022-01-22 15:02 IST

ब्लैक डायमंड तस्करी (photo : social media ) 

Sonbhadra News: यूपी से एमपी तक फैले ब्लैक डायमंड (कोयला) तस्करी के रैकेट को लेकर एक नया खुलासा सामने आया है। एनसीएल (NCL mines) की खदानों से निकलने वाला जो कोयला मध्य प्रदेश के खंडवा के लिए जाना होता है उसे फर्जी कागजातों (fake documents) के आधार पर वाराणसी के चंदासी सहित अन्य मंडियों में ले जाया जा रहा है। स्थिति को देखते हुए पुलिस उप महानिरीक्षक/एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह की तरफ से एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है।

इस जांच में एनसीएल के कुछ कर्मचारियों के साथ ही वन और पुलिस महकमे के भी कुछ लोगों को लपेटे में आने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि पुलिस की तरफ से जांच पूरी होने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की बात कही जा रही है।

पुलिस के मुताबिक मध्य प्रदेश के खंडवा के लिए परिवहन परमिट (परिवहन परमिट) के आधार पर एनसीएल की खड़िया सहित अन्य कोल खदानों से कोयला निकाला जाता है। खदान से बाहर आने के बाद कोयला लदी ट्रक खंडवा की तरफ जाने के बजाय अनपरा पहुंच जाती है। यहां फर्जी परमिट तैयार किया जाता है। इसके बाद कोयला चंदासी मंडी के लिए चल देता है।

लंबे समय से चल रहा था खेल

चर्चाओं की माने तो कोयला तस्करी का यह खेल लंबे समय से चल रहा था। अब जाकर पुलिस की नजर पड़ी है। चर्चाओं की मानें तो रास्ते में पड़ने वाले स्थानों पर तैनात कुछ पुलिसकर्मियों का भी इसको संरक्षण मिला हुआ था। यही कारण था कि आसानी से कोयला अनपरा (Anpara) होते हुए चंदासी (Chandasi) मंडी पहुंच जा रहा था लेकिन एमपी में तस्करी के सिंडिकेट पर पड़ी रेड ने यूपी में भी तस्करी को लेकर हलचल बढ़ा दी।

पुलिस सक्रिय हुई तो महज चंद घंटों के भीतर 23 कोयला लदी ट्रकें पकड़ ली गईं। मोटा मुनाफा देने वाले खेल से कई सफेदपोशों का है जुड़ावः चंदौसी की तरफ जाने वाली एक ट्रक पर 40 से 50 टन कोयला लदा होता है। ₹8000 प्रति टन के हिसाब से महज एक ट्रक से तीन से चार लाख का वारा-न्यारा हो जाता है। महज 12 घंटे के भीतर पकड़ी गई 23 ट्रकों पर लदे कोयले की कीमत जोड़ें तो आंकड़ा 90 से 92 लाख के करीब पहुंच जाता है।

बता दें कि 2009 में अनपरा क्षेत्र में सीबीआई की रेड के बाद कोयला तस्करी में कमी आई थी। कई सफेदपोशों के नाम उजागर हुए थे। कुछ लोगों को जेल भी जाना पड़ा था लेकिन मामला ठंडा पड़ते ही कोयला तस्करी के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए जाने शुरू कर दिए गए।

तस्करी के इस सिंडिकेट की मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस किसी ने इन्हें छेड़ने की कोशिश की, उन्हें या तो किसी मुकदमे में फंसा दिया गया या अलग तरह से कोपभाजन बनना पड़ा।

खंडवा जाने वाले कोयले का अनपरा में कैसे कटा ट्रांजिट, बड़ा सवालः लंबे समय बाद पुलिस की तरफ से कोयला तस्करी को लेकर की गई बड़ी कार्रवाई ने वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। जब भी अनपरा से होकर कोई कोयला लदी ट्रक आगे बढ़ती है तो उसे काशी मोड़ के पास स्थित वन विभाग के कार्यालय पर ट्रांजिट शुल्क कटाकर ही आगे बढ़ना पड़ता है। ऐसे में तस्करी के इस खेल में वन विभाग के लोगों की भी तो संलिप्तता नहीं, इसको लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

मिले इनपुट पर की गई कार्रवाई, विशेष दल करेगा जांचः एसपी

पुलिस अधीक्षक अमरेंद्र प्रसाद सिंह का कहना है कि इसको लेकर कुछ दिन से इनपुट मिल रहे थे। इसी सिलसिले में अभियान के रूप में कार्रवाई कराई गई और इस अभियान में 23 ट्रक कोयला पकड़ा गया है।

इस मामले में चार थानों ने अलग-अलग कार्रवाई की है। जांच में एकरूपता लाने के लिए विशेष जांच दल गठित किया जा रहा है। जांच के दौरान जिस किसी की भी संलिप्तता मिलेगी उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि पकड़े गए अधिकांश चालक हैं। बड़ी मछलियां अभी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। जल्द ही पुलिस के हाथ उनकी गिरेबान तक भी पहुंचे नजर आएंगे।

इस खेल में पकड़ी जा चुकी है एनसीएल के कर्मियों की ट्रकें

कोयला तस्करी के इस खेल में जब तब ट्रकें छिटपुट रूप में पकड़ी जाती रही हैं। कभी कांटा बाबू की संलिप्तता तो कभी एनसीएल कर्मियों द्वारा ही तस्करी के लिए अपने ट्रकों का इस्तेमाल किए जाने की बात सामने आती रही है। 2009 के बाद पहली बार कोयला तस्करी पर बड़ी कार्रवाई सामने आई है। यह कार्रवाई इनके आकाओं तक भी पहुंच जाएगी? इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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