Sonbhadra News: उत्तर प्रदेश में गहराया बिजली संकट, 21724 मेगावाट पहुंची डिमांड
Sonbhadra News: अनपरा ओबरा और एनटीपीसी रिहंद सहित अन्य परियोजनाओं की सात इकाइयां बंद रहने से सस्ती बिजली उपलब्धता को लेकर पावर सेक्टर में हाय तौबा की स्थिति उत्पन्न हो गई।
Sonbhadra News: मौसम में नरमी और बिजली की अधिकतम मांग में आई गिरावट के बावजूद उत्तर प्रदेश में बिजली संकट बरकरार है। अनपरा ओबरा और एनटीपीसी रिहंद सहित अन्य परियोजनाओं की सात इकाइयां बंद रहने से सस्ती बिजली उपलब्धता को लेकर पावर सेक्टर में हाय तौबा की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
इसके चलते जहां पीक आवर में लगभग 800 मेगावाट की आपात कटौती करनी पड़ी। वहीं अधिकतम मांग के समय 1070 मेगावाट बिजली की पड़ी। कमी ने सिस्टम कंट्रोल को सोनभद्र सहित प्रदेश के कई हिस्सों में ताबड़तोड़ कटौती के लिए विवश कर दिया। हालात यह हो गए कि बृहस्पतिवार की सुबह 7:30 बजे बिजली की मांग महज 11000 मेगावाट रहने के बावजूद ग्रिड फ्रिक्वेंसी नियंत्रित रखने के लिए सिस्टम कंट्रोल को केंद्रीय पूल से रुपए 7 प्रति यूनिट से भी अधिक दर से बिजली खरीदने के लिए विवश होना पड़ा।
फिर से बंद हो गई सातवीं इकाई
अनपरा परियोजना की 500 मेगावाट वाली सातवीं इकाई 21 माह बाद नियमित उत्पादन पर आने के कुछ दिन बाद से ही फिर से बंद हो गई है। वहीं एनटीपीसी रिहंद की 500 मेगावाट की दूसरी इकाई अगलगी के समय से ही ट्रिप पड़ी है। ओबरा की 200 मेगावाट वाली 13 मई जहां 40 माह से भी अधिक समय से बंद पड़ी है। वहीं इसी क्षमता की 11वीं इकाई भी तीन दिन से ठप हो गई है। उधर टांडा और मेजा परियोजना की भी कुल 900 मेगावाट क्षमता वाली तीन इकाइयां तीन दिन से बंद पड़ी हुई हैं। इसके चलते जहां 1500 से 2000 मेगावाट की सस्ती बिजली उपलब्धता कम हो गई है। वहीं बारिश के चलते पारेषण लाइनों में आए फाल्ट भी पावर सेक्टर को बेचौन किए हुए हैं।
रात आठ बजते ही शुरू हो गयी कटौती
बुधवार की रात आठ बजे जैसे ही बिजली की मांग 20606 मेगा वाट पर पहुंची, कटौती का दौर शुरू हो गया। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर और नार्दन रीजन लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार पीक आवर में बिजली की कमी के चलते 790 मेगावाट की आपात कटौती करनी पड़ी। इसी तरह रात 11 बजे बिजली की मांग 21724 मेगावाट पहुंचने के कारण आपात कटौती बढ़ाकर 1070 मेगावाट कर दी गई। करार की महंगी बिजली लेने के अलावा केंद्रीय पूल से भी बिजली खरीदी गई लेकिन उस समय बिजली की उपलब्धता 20654 मेगावाट तक ही पहुंच पाई। इसके चलते पूरी रात सिस्टम कंट्रोल को मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाए रखने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। सस्ती बिजली की उपलब्धता में कमी की स्थिति यह थी कि बृहस्पतिवार की सुबह 7:30 बजे बिजली की मांग घटकर 11526 मेगावाट पर आ गई। इसके बावजूद ग्रिड की फ्रिक्वेंसी 50 के इर्द-गिर्द बनाए रखने के लिए, केंद्रीय पूल से ₹7.27 प्रति यूनिट में बिजली खरीद कर हालात संभालने पड़े।
रिहंद बांध के जलस्तर की बढ़ोतरी थमी
रिहंद बांध के जलस्तर में होती बढ़ोत्तरी थमने के बाद बेहद सस्ती बिजली देने वाले रिहंद जल विद्युत परियोजना से भी लगातार लिया जा रहा विद्युत उत्पादन रोक दिया गया है। कंट्रोल रूम के मुताबिक रिहंद जलस्तर में पिछले तीन दिन से जल स्तर करीब-करीब स्थिर बने होने की स्थिति बनी हुई है। बृहस्पतिवार की सुबह यहां का जलस्तर 861.1 फीट दर्ज किया गया। पिछले वर्ष के मुकाबले यह 1.3 फीट अधिक है। बता दें कि एक सप्ताह पूर्व रिहंद डैम के तेजी से बढ़े जलस्तर ने पिछले साल के आंकड़े को तीन फीट से भी ज्यादा पीछे छोड़ दिया था।
लेकिन जलस्तर में बढ़ोतरी का क्रम थमने के बाद धीरे-धीरे यह गैप कम होता गया। 860 फीट से उपर जल स्तर विद्युत उत्पादन के लिए तो बेहतर माना जाता है। लेकिन सितंबर में बारिश की स्थिति कैसी रहेगी इसको देखते हुए फिलहाल रिहंद जलविद्युत पुलिस से लगातार उत्पादन को रोक दिया गया है। जल विद्युत निगम के अधिकारियों के मुताबिक जलस्तर में बढ़ोतरी शुरु होने तक अत्यंत आवश्यकता के समय सिस्टम कंट्रोल से मिले निर्देश के अनुसार जल विद्युत इकाइयां चलाई जाएंगी।