Bijali Sankat Gahraya: तीन दिन का भी कोयला नहीं बचा, क्रिटिकल इमरजेंसी, शुरू हुई कई-कई घंटे की कटौती
Bijali Sankat Gahraya: यूपी सहित पूरे देश में जबरदस्त कोयला संकट पावर सेक्टर में हाहाकार मचाए है। दूसरे राज्यों की छोड़ दें तो महज यूपी की 12 परियोजनाओं में तीन दिन से भी कम कोयले का स्टॉक बचा है।
Sonbhadra News: लगातार बढ़ रहा कोयला संकट (Koyla Sankat), यूपी की 12 परियोजनाओं में तीन दिन का भी नहीं स्टाक नहीं बचा जिसे क्रिटिकल इमरजेंसी (Critical Emergency) माना जाता है। हालात ये है कि महंगी बिजली खरीद कर भी स्थिति नहीं संभाली जा पा रही है। लिहाजा कई-कई घंटे कटौती (Bijli Katoti) शुरू कर दी गई है।
पिछले वर्ष शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) में भरपूर बिजली पाने वाले यूपी सहित पूरे देश में जबरदस्त कोयला संकट पावर सेक्टर (Power Sector) में हाहाकार मचाए है। दूसरे राज्यों की छोड़ दें तो महज यूपी की 12 परियोजनाओं में तीन दिन से भी कम कोयले का स्टॉक (Koyle ka Stock) बचा है। शेष नौ परियोजनाओं में दो के ही हालात बेहतर हैं। शेष की भी स्थिति क्रिटिकल जोन में है।
यूपी में की जा रही बिजली कटौती
हालात यह हैं उत्तर प्रदेश में ₹12 प्रति यूनिट से भी अधिक दर से बिजली खरीदी जा रही है। बावजूद हालात संभलने का नाम नहीं ले रहे हैं। शनिवार की रात पीक आवर में जैसे ही बिजली की मांग 16 हजार मेगावाट के पार पहुंची, सिस्टम कंट्रोल में हाय तौबा की स्थिति बन गई। लगभग 19 सौ मेगावाट की कटौती कर हालात संभाले गए। उमस के चलते रात में बिजली की मांग 19 हजार मेगावाट को भी पार कर गई। इसके चलते रह-रह कर बिजली कटौती का सिलसिला बना रहा। रविवार की सुबह भी सोनभद्र सहित प्रदेश के कई हिस्सों में दो से तीन घंटे की बिजली कटौती की गई।
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी से मिली जानकारी पर नजर डालें तो राज्य स्तर की प्रदेश की सबसे बड़ी 2630 मेगावाट वाली अनपरा परियोजना में 16% प्रतिशत कोयले का स्टॉक बचा है। पूरी क्षमता से उत्पादन जारी रहने की दशा में दो दिन तक ही यह स्टाक चल सकता है। कोयले के बकाया के चलते एनसीएल ने आपूर्ति कम कर दी है जिससे अनपरा परियोजना में पिछले तीन दिन से सुपरक्रिटिकल के हालात बने हुए हैं।
उत्पादन लड़खड़ाने की स्थिति
राज्य मुख्यालय स्तर से स्थिति बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए जाने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन जो हालात हैं, उसमें किसी भी दिन परियोजनाओं में उत्पादन लड़खड़ाने की स्थिति बन सकती है। यह परियोजना प्रदेश में सबसे सस्ती बिजली भी देती है। यहां उत्पादन ठप होने का मतलब विद्युत उपलब्धता की कमी के साथ सरकारी खजाने को बड़ी चपत भी लगना है। 1098 मेगावाट वाली ओबरा में महज तीन इकाइयों से उत्पादन जारी रहने के बावजूद कोयले का स्टॉक घटकर 21% पर आ गया है। अगर यहां इकाइयों से पूरी क्षमता से उत्पादन किया जाए तो स्टाक का कोयला महज चार दिन की जरूरत पूरी कर सकता है। यहां भी एनसीएल का बकाया होने के चलते यह स्थिति बनी है।
3000 मेगावाट वाली एनटीपीसी रिहंद में कोयले का स्टॉक, कोयला न मिलने की दशा में आठ दिन की जरूरत पूरी करने में सक्षम है लेकिन यहां की 500 मेगावाट वाली एक इकाई अनुरक्षण में होने के कारण परियोजना से पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है। एनसीएल की परियोजना से एकदम सटे स्थित एनटीपीसी शक्तिनगर का कोल स्टाक चिंताजनक स्थिति में पहुंचता जा रहा है। यहां महज 35% ही कोयले का स्टॉक बचा है, जो पांच दिन तक ही जरूरत पूरी करने में सक्षम है। वह भी तब, जब यहां की 500 मेगावाट वाली एक इकाई अनुरक्षण कार्य में पड़ी हुई है। निजी क्षेत्र की लैंको की भी स्थिति क्रिटिकल जोन में है जहां तीन दिन के कोयले का स्टॉक है लेकिन रोजाना के जरूरत का कोयला प्रतिदिन मिल जाने से बेहतर उत्पादन बना हुआ है। यूपी को चाहिए 45 लाख टन कोयला, तब हो पाएगा पूरा कोयले का स्टाक
केंद्रीय इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी से मिली जानकारी पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश की 19 बिजली परियोजनाओं में कुल 53 लाख 40 हजार टन कोयले का स्टॉक रहना चाहिए। लेकिन जो मौजूदा हालात हैं, उस में कोयले का स्टॉक घटकर आठ लाख 55 हजार टन पर आ गया है। इसका सीधा मतलब है कि लगभग 45 लाख टन कोयला उत्तर प्रदेश की परियोजनाओं को मिले, तब जाकर निर्धारित 15 दिन के कोयला स्टाक की पूर्ति हो पाएगी।
पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में जबरदस्त बिजली कटौती
नार्दन लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी पर ध्यान दें तो कोयला संकट के चलते सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में देखने को मिल रही है। इन तीनों राज्यों में पीक आवर में जमकर बिजली कटौती तो हो ही रही है, सामान्य समय में भी उपभोक्ताओं को अंधाधुंध कटौती से रूबरू होना पड़ रहा है।
आंकड़ों पर ध्यान दें तो शनिवार की रात पीक आवर में पंजाब में 800, राजस्थान में 3019, उत्तर प्रदेश में 1840 मेगावाट की कटौती की गई। सामान्य समय की कटौती को मिलाकर पंजाब की स्थिति सबसे खराब रही। यहां अधिकतम मांग 10487 (यूपी की मांग से करीब आधा) के समय ग्रिड की स्थिति नियंत्रित रखने के लिए 2360 मेगावाट तक की बिजली कटौती की गई।
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