बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंसा, भारतीय मजदूर संघ ने कहा - हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए सरकार

Bangladesh Violence : भारतीय मजदूर संघ की 157वीं विस्तारित केंद्रीय कार्यसमिति ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ जारी हिंसा की घोर निंदा की।

Newstrack :  Network
Update: 2024-08-16 14:53 GMT

सांकेतिक तस्वीर (Pic : Social Media)

Bangladesh Violence : बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिन्दुओं के खिलाफ जारी हिंसा को लेकर भारतीय मजदूर संघ ने एक प्रस्ताव पास करके निंदा की है। इसके साथ ही बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों को तुरंत बंद करने के लिए भारत सरकार से आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग की है।

भारतीय मजदूर संघ की 157वीं विस्तारित केंद्रीय कार्यसमिति ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ जारी हिंसा की घोर निंदा की। इसके साथ ही भारत सरकार से यह मांग की है कि बांग्लादेश के अंदर हो रहे अत्याचारों को तुरंत बंद करने के लिए आवश्यक कदम उठाए, ताकि वहां का जन जीवन सामान्य हो सके और शांति बहाल हो। भारतीय मजदूर संघ ने अपने प्रस्ताव में कहा कि विगत 5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश में तख्तापलट के दुष्चक्र के बाद वहां के अल्पसंख्यक समुदाय के साथ हुए जघन्य पाशविक अत्याचार, लूट-पाट एक पूर्व नियोजित सोची-समझी वैदेशिक षडयन्त्र का ही परिणाम था। छात्रों के आंदोलन को बहुत ही जल्दी, पहले से घात लगाए चरमपंथी ताकतों ने इसे कब्जा (Hijack) कर लिया और वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा तथा उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। उनके देश छोड़ते ही राजधानी ढाका में तथा देश के अनेक हिस्सों में अराजकता फैल गई।

हिंसक प्रवृत्ति ने मानवता को किया शर्मसार

प्रस्ताव में आगे कहा कि बांग्लादेश में हजारों वर्षों से रह रहे वहां के मूल समाज के लोगों को निशाना बनाते हुए हैवानियत की सारी हदें पार कर दी गयीं। राजधानी में हजारों निरीह स्त्री, पुरुष एवं बच्चों तक को बर्बरता से मारा गया, महिलाओं के साथ दुराचार हुआ। दुराचारियों की इस हिंसक प्रवृति ने पूरी मानवता को शर्मसार कर दिया। बांग्लादेश के साथ भारत के व्यापारिक एवं सांस्कृतिक विरासत को गहरा आघात लगा है।

 भारतीय मजूदर संघ की सांकेतिक फोटो (Pic - Social Media)

अमानवीय घटनाएं मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन

बांग्लादेश की बढ़ती अर्थव्यवस्था, देश में चलने वाले वस्त्र, जूट एवं अन्य उद्योगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा और हजारों मजदूर बेरोजगार हुए हैं। वहां के हिंदू-बौद्ध तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय में अभी भी भय और आतंक का वातावरण व्याप्त है। उनके वीभत्स उत्पीड़न की घटनाएं जो सोशल मीडिया व अन्य प्रचार माध्यमों से प्रचारित हुई हैं, उन अमानवीय घटनाओं को देखकर दिल दहल जाता है। यह मानवाधिकारों का खुला हनन है, जो सर्वदूर निंदनीय है।

संयुक्त राष्ट्र संघ की चुप्पी पर उठाए सवाल

भारतीय मजदूर संघ ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और संयुक्त राष्ट्र संघ पर भी सवाल उठाए और कहा कि उसकी चुप्पी भी एक गहरा संदेह पैदा करती है। इन सभी हालातों को ठीक करने और वहां के इन अल्पसंख्यक समाज के सुरक्षा की जिम्मेदारी भी बांग्लादेशवासियों की ही है। ऐसी परिस्थिति में बांग्लादेश सहित संपूर्ण विश्व समुदाय वहां के पीड़ित समाज के साथ खड़े हों तथा गहरी संवेदना के साथ उनकी हिम्मत और आत्मविश्वास को जगाए।

बांग्लादेश में हिंसा, घरों को लगाई गई आग (Pic - Social Media)

पीएम ने भी व्यक्त की चिंता

आगे लिखा, 15 अगस्त के महोत्सव को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस संबंध में चिंता व्यक्त की है तथा कहा कि “बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ है, उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते चिंता होना मैं समझ सकता सकता हूं, वहां के हिंदू एवं अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो। मैं आशा करता हूं कि वहां पर हालात जल्द ही सामान्य होंगे।

भारतीय मजदूर संघ के अनुपम ने इस को प्रस्ताव रखा, जिसका अनुमोदन विराज टीकेकर, सोमश विश्वास ने किया।

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