Violence Over Prophet Remarks: इस्लामी कट्टरवाद का गढ़ है कानपुर, इस बार भी इसी शहर से शुरू हुई हिंसा

Violence Over Prophet Remarks: बीते हफ्ते शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद कानपुर में हिंसा भड़क गई। इस हिंसा की आग ने धीरे-धीरे अब प्रदेश के सहारनपुर, प्रयागराज समेत कई शहरों को अपने चपेट में ले लिया है।

Update:2022-06-11 13:30 IST

Kanpur Violence (Image Credit : Social Media)

Violence Over Prophet Remarks in Kanpur: भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा के पैगम्बर मोहम्मद (Prophet Muhammad) पर एक कमेंट के बाद बीते 3 जून को कानपुर में हुई हिंसा (Kanpur Violence) और पथराव ने एक हफ्ते के भीतर समूचे प्रदेश को अपने गिरफ्त में ले लिया। 3 जून को जुमे की नमाज़ के बाद जहाँ केवल कानपुर में हिंसा हुई थी तो वहीं, 10 जून को जुमे की नमाज़ के बाद पुरे प्रदेश में जम कर हिंसा और पथरबाजी हुई। प्रदेश के 10 जिलों में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने अब तक लगभग 227 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है।

अब जहाँ प्रदेश में हुई हिंसा मामले की पूरी जांच पुलिस कर रही है पर यदि इस्लामी कट्टरवाद की बात करें तो इसका सबसे बड़ा केन्द्र हमेशा से ही कानपुर रहा है। इस बार भी इसकी शुरुआत इसी नगर से हुई। जिसके बाद इसका असर प्रदेश के कई जिलों के साथ अन्य राज्यों में भी देखने को मिला है।

इन इलाकों से हमेशा आती है हिंसा की खबरें

कानपुर के भौगोलिक स्थित पर गौर करें तो यहां पर रामनारायण बाजार, पंेचबाग, फूलवाली गली, मो अली पार्क, दादा मियां का हाता, जूही लाल कालोनी, तकिया वाला पार्क बाकरगंज, यतीमखाना, चमनगंज, बेकनगंज, बजरिया, मछरिया, फेथफुलगंज, कुली बाजार, जाजमऊ और रावतपुर आदि मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से हमेशा हिंसा की घटनाएं प्रकाश में आती रही हैं।

90 के दशक में भी हुआ था कानपुर में दंगा

नब्बे के अयोध्या आंदोलन को याद करें तो कानपुर ने कई दंगों का सामना किया है। चाहे वह आडवाणी की रथयात्रा का मामला हो अथवा बाबरी ढांचा विध्वंस का का मामला हो, कानपुर कभी इससे बच नहीं पाया। 1993 में सभासद काला बच्चा की हत्या को भी इसी का परिणाम कहा गया। जिसके बाद पूरे शहर में कई दिनों तक तनाव रहा।  कई बार लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान मुस्लिम बस्तियों से भाजपा पर जुलूस की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।  साथ ही रामनवमी और दुर्गा विसर्जन पर भी मुस्लिम बस्तियों से पथराव की घटनाएं होती रही हैं।  

शहर से पकड़े गए आतंकी

इसके अलावा शहर से ही इंडियन मुजाहिद्दीन के भी आतंकी पकडे जा चुके हैं। आईएसआई से जुडे़ कई आतंकी अक्सर पुलिस की गिरफ्त में आते रहे हैं।  काफी समय पहले सिमी का ये शहर गढ़ रहा है। कुल मिलाकर आतंकी व देशी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता यहां के कुछ अपराधियों की रही है।  इस बार भी कानपुर में नई सड़क पर हुए बवाल की जांच में मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी के पीएफआई (पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) से तार जुड़े होने के सुबूत मिले हैं।

लव जिहाद का सबसे बड़ा गढ़ है कानपुर

दो साल पहले एसआईटी की जांच में लवजेहाद के मामलों  में केरल के बाद कानपुर को इसका सबसे बड़ा गढ बताया गया। जांच में यह बात सामने आई कि मौलानाओं के संरक्षण में यह गैग काम करता है। कानपुर लव जिहादी गैंग बहला-फुसलाकर हिंदू लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसाता है। गैंग ने पिछले दो साल में एक दर्जन हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण कराकर उनके साथ निकाह किया है।

अतीत पर गौर करें तो  1999 में कानपुर में सिमी का एक बडा सम्मेलन हुआ था जिसके बाद इस संगठन की गतिविधियों में खूब इजाफा हुआ। इससे पहले इस संगठन मंे एक लाख युवक जुड़ चुके थें।कानपुर सिमी का गढ हुआ करता था। एक मुस्लिम एरिया में इसका कार्यालय था।  जहां अंसार इरशाद शाहीन नामक फोर्स को  प्रशिक्षण दिया जाता था तथा धार्मिक कट्टरवादी तकरीरे दी जाती थी। इसके अलावा इस्लाम के नाम पर मर मिटने की कसमें खिलाई जाती थी। कहा तो यहां तक जाता है कि अर्न्तराष्ट्रीय माफिया दाऊद इब्राहीम के इशारे पर कानपुर के एक बडे क्षेत्र को मुस्लिम लैण्ड बनाने की योजना थी।

सिमी संगठन के कार्यकर्ताओं ने तो कानपुर में भीड़ के सामने एक अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) सीपी पाठक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वर्ष 2001 में हुई इस घटना के पहले मुस्लिम एरिया में उर्दू -फारसी भाषा में भडकाऊ पोस्टर लगाकर लोगों को भडकाने का काम इसी संगठन के सदस्यों ने किया था। तब अचानक एक हुजूम ने अटल विहारी वाजपेयी, बाला साहब ठाकरे और अशोक सिंहल के पोस्टरों को जलाया और  दुकानो में लूटपाट करते हुए परेड चौराहे तक पहुंची थी। जब पुलिस मौके पर पहुंची तो पथराव और बमबाजी शुरू कर दी।

परीक्षा देने जा रही छात्राओं और महिलाओं को खींच लिया गया। इस हिंसा में छह लोगों की मौत हुई थी जिसमें एडीएम पाठक भी शहीद हो गये थें। इस हिंसा में एके 47 का प्रयोग किया गया था। इसके बाद पांच थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू  लगाना पड़ा था।

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