UP News: छत से टपक रहा पानी...टूटी खिड़कियां, रक्षाबंधन में सफर होगा मुश्किल भरा

UP News: कई बसों की सीटें बैठने लायक नहीं हैं। किसी का कवर फटा है तो किसी की गद्दी खराब है। रोडवेज बसों हाल जाना तो यह तस्वीर सामने आई। 94 रोड़वेज बसों में 12 बसें खटारा हालातों में दिखी।

Report :  Snigdha Singh
Update: 2024-08-16 15:28 GMT

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UP News: हाइवे की सड़क पर रोडवेज की बसें आम आदमी के लिए आवाजाही का एकमात्र साधन हैं। ये बसें इतनी खटारा हैं कि कभी-कभी आधे सफर में ही यात्रियों को छोड़ देती हैं। कंडम हो चुकीं इन बसों में सफर जान जोखिम में डालने जैसा है। मानसूनकाल में ये बसें यात्रियों का दर्द और बढ़ा रही हैं। टूटीं खिड़कियों से बारिश का पानी बसों में भर जाता है। लोहे की टीन जर्जर होने की वजह से छतें टपकती रहती हैं। लिहाजा, यात्रियों को रेनकोट पहनकर या छाता ओढ़कर सफर करना पड़ता है। कई बसों की सीटें बैठने लायक नहीं हैं। किसी का कवर फटा है तो किसी की गद्दी खराब है। रोडवेज बसों हाल जाना तो यह तस्वीर सामने आई। 94 रोड़वेज बसों में 12 बसें खटारा हालातों में दिखी।

उन्नाव डिपो के पास 94 रोडवेज बसें है। इसमें 29 बसें पिछले दो वर्ष के अंतराल में डिपो में शामिल हुई है। बची 65 बसों में 12 बसें ऐसी है, जिनकी मियाद पूरी हो चुकी है। यानी इन बसों को 15 लाख किलोमीटर से अधिक चलाया जा चुका है। इसके बावजूद यह सड़क पर दौड़ाई जा रही है। अब बारिश के दिनों में यह लापरवाही कठिनाइयां खड़ी कर रही। टपकती छतों के बीच सफर करते यात्री छतरी का सहारा ले रहे है। हालांकि अफ़सरो का कहना है, कि बरसात में बसों की भौतिक स्थिति और तकनीकी कार्यों पर अधिक ध्यान देंने के लिए निर्देश दिए गए है। छत से पानी अंदर आ रहा है, या खिड़की-दरवाजे सही नहीं हैं तो उनका सुधार प्राथमिकता पर कराया जाएगा।

नीलामी में जाने वाली 14 बसें भी दौड़ रही

इसी वर्ष जनवरी में मियाद पूरी कर चुकी 14 बसों को दौड़ाया जा रहा है। अधिकतर लोकल रूट पर चलती है। पुरवा, मौरावां, बिहार आदि मार्गो पर चलने वाली इन बसों को एक माह पहले ही नीलामी के लिए भेजना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वाइपर तक नहीं, सफर जोखिम भरा

तेज बारिश में सफर तय करना चालकों को खटक रहा है। वाइपर लगाने या व्यवस्थाओं के सुधार मे कितना पैसा खर्च हुआ यह तो प्रबंधन जाने, लेकिन चालक दबी जुबान से कहते है कि डिपो कार्यशाला के जिम्मेदार उन्हें मौत के मुंह मे ढ़केलने का पूरा इन्तिजाम किए है। बसों की मरम्मत के नाम पर कागजों पर ही काम होता रहा। अब यही लापरवाही संकट खड़ा करेगी। जीसी वर्मा, एआरएम के अनुसार जिन बसों की छतें खराब हो गई, उन्हें सही कराया जा रहा। झांसी जाने वाली एक बस में शिकायत मिली थी, उसे दुरुस्त करा दिया गया। आगे इन बसों की पड़ताल कराकर व्यवस्थाएं जल्द दुरुस्त होंगी।

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