UP: उत्तर प्रदेश में फसलों और फलों की खेती को 'ठंडा' कर गया मौसम, किसानों के लिए संकट

Weather Affect: मौसम ने करवट ली तो किसानों पर संकट आ गए। मई में फसलें ठंडी बड़ी गई। इस बार हुई ओलावृष्टि ने किसानों को कर्जदार बना दिया।

Update:2023-05-28 23:59 IST
Crops (Image: Social Media)

Weather Affect: फलों की फसलों को मई ने ठंडा कर दिया। मई में अधिकतम और न्यूनतम तापमान लगातार सामान्य से नीचे रहने, ओलावृष्टि और इस माह अब तक हुई करीब 70 मिमी बारिश ने फसलों को तबाह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इसका सबसे ज्यादा असर आम, जामुन, बेर, तरबूज, खरबूजा, लीची, अंगूर, केला और नींबू आदि पर पड़ा। एक अनुमान के अनुसार 10 से 25 फीसदी फसल प्रभावित हुई। अभी आगे असर जारी रहेगा।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार लगातार गर्मी के मौसम में आ रहे पश्चिमी विक्षोभों का असर पूरे प्रदेश पर पड़ा है। कहीं ओलावृष्टि अधिक हुई है तो कहीं बारिश। कहीं तापमान में काफी गिरावट रही है। प्रदेश में ओलावृष्टि, बारिश, तेज हवा के अलावा मई माह में इक्का-दुक्का दिन छोड़कर तापमान सामान्य से नीचे रहा है।

मिठास चली गई, रंग भी छोड़ दिया

सीएसए में अब तक हुए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि आंधी, पानी और तापमान में कमी से आम, बेर, जामुन की फसल 10 से 15 फीसदी बर्बाद हो गई है। दूसरा असर फलों के छोटे होने, अपना रंग छोड़ देने और मिठास में कमी के कारण हुआ है। उत्पादन में कमी की सबसे बड़ी वजह 60-70 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चली हवाएं और तेज बारिश है। फलों के स्वाद में बदलाव की वजह तापमान में कमी समेत अन्य कारक भी हैं।

मक्का बिछ गया, गेहूं भी बर्बाद

मई में हुई तेज बारिश से कानपुर और आसपास मक्का की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा। यहां कुछ क्षेत्रों में 25-30 फीसदी फसल खेतों में बिछ गई। उन्हें ज्यादा नुकसान हुआ जिनके खेतों में पानी पहले से भरा हुआ था। इससे पहले असमय तापमान में उतार-चढ़ाव से गेहूं को नुकसान पहुंचा था। सब्जियों में मिर्च, टमाटर,तोरई, लौकी, बैगन, कद्दू, भिंडी और सेम आदि भी प्रभावित हुई है।

मौसम पर क्या बोले विशेषज्ञ

मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पांडेय के अनुसार पिछले 51 वर्षों में कभी ऐसा नहीं रहा कि मई में लगातार पश्चिमी विक्षोभ आते जाएं, इतनी बारिश हो, तापमान सामान्य से नीचे रहे। इससे मई में फलों की सभी फसलें जैसे आम, बेर, तरबूज, खरबूजा, लीची (जिस क्षेत्र में होती हो) आदि काफी बर्बाद हुई हैं।

हॉर्टिकल्चर विशेषज्ञ डॉ. वीके त्रिपाठी का कहना है कि सीजन के फल एक विशेष तापमान और अनुकूल जलवायु मिलने पर सेहत में अच्छे होते हैं। बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवा के असर से फूलों के गिरने आदि की संभावना बढ़ जाती है। प्रतिकूल मौसम में फल छोटा होता है और मिठास कम हो जाती है।

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