खून के आंसू रो रहे, लॉकडाउन में बर्बाद हुए बुंदेलखंड के किसान
बुंदेलखंड के किसानों का कहना है कि अभी तक उनकी पीड़ा को समझने कोई नहीं आया है। आगे क्या होगा अगले सीजन की बुआई कैसे करेंगे। घर परिवार को कैसे पालेंगे यह समस्या गहराती जा रही है।
हमीरपुरः ज़िले में लॉक डाउन का शिकार हो कर बड़ी तादाद में हरी सब्जियां खेतों में ही सड़ रही हैं। करेला, कद्दू और भिंडी की बाजार में कीमत ना मिलने पर किसानों ने खेतों में तैयार सब्जियों को तोड़ना ही बन्द कर दिया है नतीजतन खेतो में ही हरी सब्जियां पीली पड़ कर सड़ी जा रही हैं। हरी सब्जियां खराब होने से लाखों का नुकसान झेल रहे सब्जी उगाने वाले किसानों के सामने रोजी, रोटी की समस्या पैदा हो गयी है। अपनी मेहनत की बर्बादी और भविष्य की चिंता में किसान खून के आंसू रो रहा है।
करेला , भिंडी और कद्दू जो इस सीजन में मंहगी कीमतों में बिका करते थे वो सब लॉक डाउन में खेतों में ही सड़ रहे है।
हमीरपुर ज़िले में बेतवा नदी के किनारे बड़े पैमाने में किसान हरी सब्जियां उगा कर ज़िले के अलावा कानपुर, लखनऊ, झांसी आदि शहरों में थोक बेच कर अपना गुजारा करते है पर इस सीजन में कोरोना के चलते लॉक डाउन में वाहन बन्द हो जाने से सब्जियों की कीमत घट गयीं है। ज़िले के अलावा कानपुर, लखनऊ की मंडियों में करेला, भिंडी और कद्दू एक रुपया किलो की कीमत में बिक रहा रहा जिससे सब्जी उगाने वाले किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है, इसी लिये सब्जी किसानों ने अब खेत मे उगी सब्जियां तोड़ना ही बन्द कर दिया है, जिससे सब्जियां खेतो में ही सड़ रही हैं और सब्जी किसानों के सामने रोजी रोटी की समस्या सुरसा जैसा मुंह फैला कर खड़ी हो गई है।
कोई नहीं हमारे आंसू पोछने वाला
बुंदेलखंड के किसानों का कहना है कि अभी तक उनकी पीड़ा को समझने कोई नहीं आया है। आगे क्या होगा अगले सीजन की बुआई कैसे करेंगे। घर परिवार को कैसे पालेंगे यह समस्या गहराती जा रही है। उनका कहना है कि कोरोना ने तो कम लेकिन लॉकडाउन ने इस इलाके के किसानों को बर्बाद और तबाह करके रख दिया है। सरकार को जल्द से कुछ करना चाहिए।